राजस्थान में गाय के गोबर से बायोगैस, जैव ईंधन और जैव-उर्वरक बनाने का माडल प्रस्तावित किया गया है। इसके साथ गोबर से विनिर्माण में ईंटें, पेंट (कलर) और सजावटी सामान भी बनाया जा सकेगा। पेंट निर्माण के लिए जयपुर में खादी बोर्ड की ओर से प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित हो रहा है। गोबर से खाद और दो मूत्र से कीट नियंत्रक का प्रशिक्षण राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान वि.वि. की ओर से चालू किया गया है। राजस्थान गो सेवा परिषद और जीसीसीआई के संयुक्त प्रयासों से इस दिशा में कार्य योजना प्रस्तावित है। गौ आधारिता उद्यमिता के लिए ग्लोबल कान्फ्रीडेशन आफ काऊ बेस इंडस्ट्री (जीसीसीआई) के स्तर पर तकनीकी ज्ञान और इंडस्ट्री के लिए मशीनरी की उपलब्धता संभव है।
भारत से गोधन विपुलता के देश में गौ आधारित उद्यमिता विकास की व्यापक संभावनाएं है। केवल गाय के दूध से खाद्य प्रसंस्करण या गो मूत्र , पंचगव्य, गोघृत से चिकित्सा तक सीमित नहीं है। गोबर गो मूत्र गो आधारित उत्पादकता का बड़ा सैक्टर है। जीसीसीआई के प्रयासों से इसे नया उद्यमिता सैक्टर विकसित करने की दिशा में प्रयास किया गया है। पहले चरण में गोबर से बायोगैस, जैव ईंधन, जैव-उर्वरक, विनिर्माण सामग्री ईंटें पेंट आदि बनाने का राजकोट में मशीनरी बनाई गई है। अगला कदम उत्पादन और विपणन को प्रोत्साहित करने का रहेगा। पशुपालन, डेयरी फार्मिंग, गोबर, गोमूत्र और पंचगव्य उत्पादों और अन्य नवीन क्षेत्रों सहित गौ आधारित अर्थव्यवस्था के माध्यम से ग्रामीण समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार से स्टार्ट-अप के रूप में युवाओं के लिए नए रोजगार पैदा होंगे।
राजस्थान गो सेवा परिषद ने गो उद्यमिता विकास की योजना का प्रस्ताव योजना आयोग भारत सरकार, राजस्थान सरकार को भेजा है। प्रदेश और देश में गो उद्यमिता प्रोत्साहन के लिए राजस्थान गो सेवा परिषद की राष्ट्रीय गो उद्यमिता प्रोत्साहन पुरस्कार भी दिया जाता है। यह पहला पुरस्कार राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. वल्लभ भाई कथीरिया को दिया गया। राजस्थान में गोबर गोमूत्र आधिरता उद्यमिता के विकास से गोपालकों को गोबर और गोमूत्र का पैसा मिलेगा। इससे गाय पालना आर्थिक दृष्टि से फायदे का व्यवसाय बनेगा। गोधन जो कृषि की तर्ज पर उत्पादक है रोजगार का नया सैक्टर बन सकेगा।