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क्यों जनता के नहीं बन पा रहे हैं अर्जुन राम ?

“अर्जुन जी बोली रा तो मीठा घणा ही है, पण काम रा कोनी”
-“अर्जुन जी जनता रा काम कोनी करावै”
-“लारलै 15 बरसां म्है अर्जुन जी बीकानेर म्हैं कांई भी काम कोनी करायौ”
-“कांई करां? म्हैं तो मोदी जी लारै मेघवाल जी नै वोट देवां”

ये सभी वे पंक्तियां हैं, जो आये दिन बीकानेर की गलियों में सुनने को मिल जाती हैं। बीकानेर सांसद और केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल अपने लोकसभा कार्यकाल के 3 टर्म पूरे करने वाले हैं। 3 टर्म यानी सांसद के तौर पर 15 साल का सफर। लेकिन अफसोस ! इतने लंबे अंतराल के बावजूद उनका अपने संसदीय क्षेत्र को लेकर विकास का विजन उभरकर सामने नहीं आ सका। मेघवाल कांग्रेस के रेवन्तराम पंवार, शंकर पन्नू और मदन गोपाल मेघवाल को हराकर संसद में पहुंचे थे। वे भारत सरकार में वित्त राज्य मंत्री, उद्योग, जल संसाधन, संसदीय कार्य मंत्री रह चुके हैं और फिलवक़्त क़ानून मंत्री की कुर्सी पर काबिज हैं। बावजूद इसके उनके पास अपने संसदीय क्षेत्र में गिनाने को काम ही नहीं है।

राजस्थान और बीकानेर में केंद्र सरकार की योजना से रेल, राष्ट्रीय सड़क मार्ग, गैस पाइप लाइन, हवाई सेवाओं का विस्तार जैसे काम भारत सरकार की समग्र विकास योजनाओं का हिस्सा रहा है। मेघवाल अपने संसदीय क्षेत्र के विकास कार्यों में भारत सरकार की योजनाओं के कामों को अपनी उपलब्धियां बताकर गिना रहे हैं। जबकि भारत सरकार में मंत्री रहते हुए भी उनके निजी प्रयासों से उनके संसदीय क्षेत्र में विकास की उपलब्धियों का ग्राफ नगण्य है। आलम यह है कि केंद्रीय मंत्री होते हुए भी वे ड्राई पोर्ट, टेक्सटाइल पार्क, सिरेमिक्स हब, मेगा फूड पार्क, नया औद्योगिक क्षेत्र, बड़ी औद्योगिक इकाई या कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं ला पाये। इतना ही नहीं, आईसीएआर की सैद्धान्तिक स्वीकृति के बावजूद वे बीकानेर में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय नहीं खुलवा पाये। ऐसे में अपने संसदीय क्षेत्र की जनता के सामने केंद्र सरकार के करवाये कामों को गिनाने के अलावा उनके पास बचता ही क्या है? जाहिर है- अर्जुन राम मेघवाल अभी तक वो आभा मंडल बनाने में कामयाब नहीं हो सके, जिससे वे ख़ुद के बलबूते चुनाव जीत सके। जनता में उनके प्रति आकर्षण जानना हो तो अनजान बनकर किसी भी अनजान से पूछ लें, तसवीर कांच की तरह साफ हो जाएगी। मोदी का कवच तो आज भी उनको ढाल देता है। 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर भी माना जा रहा है कि मोदी के आभामंडल से राजस्थान में लोकसभा की सभी 25 सीटें भाजपा के खाते में जाएगी। अर्जुन राम भी चुनाव जीत सकेंगे, लेकिन मोदी के बूते। अपने बूते कतई नहीं।

अर्जुन राम ज़मीन से जुड़े उन लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिन्होंने आज़ादी के बाद कठिन परिस्थितियों में ख़ुद को आगे बढ़ाया। वे ख़ुद भी ऐसे लोगों में शामिल हैं। वे समकालीन भारतीय पारिवारिक और सामाजिक हालातों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। इस मायने में वे ज़मीन से जुड़े इंसान हैं। प्रशासनिक सेवा से राजनीति में आकर, उन्होंने भाजपा और केंद्र सरकार में जो भी किया, उससे पार्टी और सरकार में उनकी पैठ बढ़ी है। इसके बावजूद वे बीकानेर संसदीय क्षेत्र में अपना सिक्का नहीं जमा पाए है। पार्टी के केडर से लेकर आम कार्यकर्ता और मतदाता पर उनकी पकड़ नहीं है। उनको पार्टी में चाहने वालों के अपने निहितार्थ है। मतदाताओं को तो भाजपा और मोदी का आकर्षण है, ऐसे में वहां अर्जुन राम हो या कोई और…कोई अर्थ नहीं रहता। इसमें कोई दो राय नहीं है कि भाजपा और मोदी सरकार ने मेघवाल को बेहतरीन मौक़े दिये, बावजूद इसके मेघवाल ख़ुद को अपने संसदीय क्षेत्र में स्थापित नहीं कर पाए।

बहरहाल, 2024 के लोकसभा चुनावों की घोषणा होने वाली है। मोदी का नारा- भाजपा इस बार 400 पार। इस नारे में अबकी बार फिर अर्जुन राम की जीत भी समाहित है। मेघवाल अपनी संसदीय क्षेत्र की जनता के मन में वैसे नहीं बस पा रहे हैं, जैसे प्रधानमंत्री मोदी पूरे देश की जनता के मन में बस गए हैं।

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