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विमर्श: बीकानेर संभागीय आयुक्त और विधायक का यह कैसा पीबीएम निरीक्षण ?

संभागीय आयुक्त वंदना सिंघवी जी !

आपने संभाग के सबसे बड़े हॉस्पिटल ‘पीबीएम अस्पताल’ का यह कैसा निरीक्षण किया? इस निरीक्षण में ऐसी कई बातें आनी चाहिये थीं, जिन पर आपका ध्यान तक नहीं गया। मसलन-

यूरो साइंसेज सेन्टर का 2008 से शहरी जनसहभागी योजना में काम अधूरा पड़ा है।
जन सहयोग में एस.एल. दुग्गड़ चैरीटेबल ट्रस्ट ने यूरो सीइंसेज सेन्टर का भवन बनाने में अपने हिस्से के 4.5 करोड़ रुपये ख़र्च कर दिए हैं। राज्यांश की 4.5 करोड़ की राशि अभी तक खर्च क्यों नहीं हुई?
राज्यांश नहीं आने से ब्लॉक-A, ग्राउंड फ्लोर और ब्लॉक-B , सेकंड फ्लोर, ऑपरेशन थियेटर, वॉर्ड, डॉक्टर चैम्बर्स, आङट पेशेंट डिपार्टमेंट के काम अधूरे पड़े हैं।
यूरोलोजी और नेफ्रौलोजी के रोगियों की परेशानी आपके निरीक्षण में क्यों नहीं आई?

जो आधा-अधूरा भवन बना है, उसकी गुणवत्ता की तो जांच करवा लें। कोई अनहोनी हो गई तो जनता में निरीक्षण करने वाले अफसरों की क्या ही इज्जत रह जाएगी?
यूआईटी और पीडब्लूडी ने जो निर्माण कार्य करवाया है, वो गुणवत्तापूर्ण हैं भी या नहीं? एक तकीनीक एजेंसी ने तो पिलर में घटिया सरिया लगाने और जंग लगने से निहायत घटिया काम होना माना है। अगर आप जांच करवा लें। निरीक्षण सफल हो जाएगा।
ज़िला प्रशासन और न्यास अध्यक्ष के रूप में ज़िला कलक्टर इसमें अनदेखी के दोषी हैं, यह भी जांच करवा सकती हैं।
9 करोड़ का यूरो साइंसेज सेन्टर का 2008 से शुरू हुआ, भवन निर्माण का काम पूरा क्यों नहीं हो रहा है ? इसके जिम्मेदार को क्यों बख्शा जा रहा है?
राज्यांश की राशि स्वीकृति के बावजूद क्यों ख़र्च नहीं हो रही है। बाक़ी निर्माण और उपकरणों की क्या स्थिति है?
डॉक्टर ,तकनीकी कर्मचारी, नर्सिंग स्टाफ, सुरक्षा और सफाई कर्मचारी नॉर्म्स से काम करते है अथवा नहीं।
अस्पताल व्यवस्था पर अवांछित लोगों का हस्तक्षेप तो नहीं है ?

अगर ये सभी बातें भी आप निरीक्षण के दौरान जान लेतीं तो इस निरीक्षण की साख बढ़ती। फिलहाल तो जनता आपके निरीक्षण को निरर्थक और हास्यस्पद मान रही है। पब्लिक का कहना है कि “संभागीय आयुक्त ने फिर पीबीएम अस्पताल का निरीक्षण किया। पहले भी कई बार कर चुकी है। नए बने विधायक ने भी अस्पताल के एक हिस्से की सीलिंग गिरने के बाद निरीक्षण किया। विधायक पहले भी कई बार निरीक्षण कर चुके हैं। और तो कुछ नहीं हुआ, मगर हां.. संभागीय आयुक्त और विधायक की पब्लिसिटी बहुत हुई है। दुर्भाग्य यह है कि दिखने वाली चीजों के अलावा इन्हें बाकी मूल समस्या दिखाई ही नहीं दे पा रही है।”

बहरहाल, संभागीय आयुक्त अपनी प्रशासनिक दक्षता से अपने आफिस में बैठकर ही पीबीएम अस्पताल की सफाई व्यवस्था पर माकूल निगरानी रख सकती हैं। निरीक्षण करने क्यों आना पड़ रहा है? और वैसे भी, पहले के निरीक्षण का प्रशासनिक सुधार में कितना असर है? विधायक और संभागीय आयुक्त केवल औपचारिकता पूरी कर रहे हैं, नहीं तो क्या मजाल कि व्यवस्था न सुधरे। निरीक्षण की प्रशासनिक खानापूर्ति हो गई। जनता कई अफसरों और विधायकों की कार्य प्रणाली देख चुकी है, वो सब समझती है। आपका भी आकलन करती है। इंपैक्ट क्या रहा ? सिफर ? खैर, आपने यह निरीक्षण सुधार की भावना से ही किया होगा। लेकिन अब जो कमियां ध्यान में लाई गई हैं, उसमें तो सुधार सुनिश्चित कर लें। जनता आपको याद रखेगी ।

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