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विमर्श : राज्यवृक्ष खेजड़ी की कटाई पर नेताओं की यह कैसी चुप्पी?

ख़बर अपडेट के एक इंटरव्यू में (यहां क्लिक करके देखें) केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘एक रात चांद के साथ’ कार्यक्रम के जिक्र पर मेघवाल ने पर्यावरण दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संवेदनशीलता का जिक्र करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री ने कहा कि “जब वे विदेश जाते हैं तो कार्बन उत्सर्जन का भारत जैसे विकासशील देश पर आरोप लगाते हैं। भारत तो ऐसा देश है जहां पीपल की पूजा होती है। राजस्थान में खेजड़ली में खेजड़ी बचाने के लिए अमृता देवी 363 लोगों के साथ शहीद हो गई।” आपने ‘एक रात चांद के साथ’ कार्यक्रम करके या साइकिल से दफ्तर जाकर पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता जताई। यह बात ठीक हैं मेघवाल जी। अब आपके ही पश्चिमी राजस्थान में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के दौरान राज्यवृक्ष खेजड़ी की जिस तरह से कटाई हो रही है, तब आपकी वही संवेदना कहां चली गई है? क्या खेजड़ी कटना ठीक है? पर्यावरण और प्रकृति को नुक़सान नहीं हो रहा है क्या? कार्बन एबिशन नहीं बढ़ेगा क्या? सारी जिम्मेदारी मोदी जी की है या अपनी भी कोई जिम्मेदारी है? आपसे यह सवाल इसलिये क्योंकि आप ही केंद्र में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं।

हमारे मंत्री, जनप्रतिनिधि, विधायक सांसद और बाकी नेता मानते हैं कि खेजड़ी राज्यवृक्ष घोषित है। खेजड़ी का मरुस्थलीय प्रकृति में अत्यंत महत्व भी है। जानने, समझने और स्वीकारने के बाद भी खेजड़ी की कटाई बंद क्यों नहीं हो रही है? अब चुप्पी क्यों पसरी है? खेजड़ी की कटाई को रोकना कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। प्रकृति के प्रति सबकी समान जवाबदेही है। जो धरने पर बैठे हैं, उनमें जागरुकता और जिम्मेदारी का भाव ज्यादा है। यह नहीं है कि खेजड़ी को बचाना केवल धरनार्थियों के ही जिम्मे हैं। फिर बाक़ी लोग अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं मान रहे हैं? खेजड़ी की कटाई को रोकने की मांग को लेकर धरने पर बैठे संगठन की ओर से ज़िले के सभी नेताओं को पत्र दिए गए हैं। मोखराम धारणिया ने बताया कि केवल देवीसिंह भाटी, मंगलाराम गोदारा, गोविंद मेघवाल, गिरदारी महिया और बिहारी विश्नोई ने खेजड़ी कटाई का दबंगता से विरोध दर्ज करवाया है। सुशीला डूडी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। राजस्थान सरकार के मंत्री सुमित गोदारा ने धरने से जुड़े लोगों को आश्वत किया कि आपकी बात वाजिब है वे कैबिनेट में रखेंगे। विधायक सिद्धि कुमारी और जेठानंद ने मुख्यमंत्री को अवगत करवाने की बात कही। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा की वे मुख्यमंत्री से बात करेंगे। इन सब नेताओं के आश्वानों का अभी तक कोई परिणाम नहीं आया है। और तो और कांग्रेस के बड़े नेता डॉ. बी. डी. कल्ला, भंवर सिंह भाटी, भाजपा विधायक तारा चंद सारस्वत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। बीकानेर संभाग मुख्यालय पर 16 अगस्त से छतरगढ़ में 39 दिनों, नोखदेया, सूडसर में खेजड़ी कटाई के ख़िलाफ़ आंदोलन चल रहा है। नेता चुप हैं। एक तरफ प्रधानमंत्री है जो देश के हर मुद्दे पर संवेदनशील है, दूसरी तरफ हमारे इन नेताओं की संवेदनाएं चुकता हो गई हैं। जो धरना दे रहे हैं, क्या वे इंसान नहीं है? खेजड़ियां नहीं काटी जानी चाहिये, यह तो सब कह रहे हैं। लेकिन फकत कहनेभर से इनकी कटाई थोड़े ही रुक जाएगी। यह तो लीपापोती हुई ना? आसान भाषा में इसे ‘जनहित के मुद्दों पर चुप्पी साधे रखना’ कहते हैं। ..और अगर ऐसा नहीं है तो आप चुप क्यों हैं? क्या मायने रह जाते हैं ‘एक रात चांद के साथ’ कार्यक्रम के? अपने राजस्थान को आपके पास कोई जवाब है? बताइये।

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