Uncategorized Blog विमर्श

विमर्श : …तो कुलपति ने विद्यार्थियों को कुछ ऐसे ‘दीक्षित’ किया

शुक्रवार को महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के संत मीराबाई सभागार में 8वां दीक्षांत समारोह और विवि का 21वां स्थापना समारोह मनाया गया। इस मौक़े पर राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने शिरकत की थी। समारोह में हज़ारों विद्यार्थी, विधायक गण और शहर के गणमान्य लोग मौजूद रहे। लेकिन… सबसे ज्यादा चर्चा कुलपति के भाषण की हुई। कुलपति मनोज दीक्षित ने कार्यक्रम के तय प्रोटोकॉल से बाहर जाकर राज्यपाल कलराज मिश्र की तारीफ के इतने कसीदे पढ़े कि उनके भाषण के दौरान ही फुसफुसाहट होनी शुरु हो गई। जबकि कार्यक्रम सूची के मुताबिक चलें तो राज्यपाल से पहले कुलपति को बोलना ही नहीं था, लेकिन वो बोले और ऐसा बोले कि बोलते ही गये। जिसके बाद छात्र सभागार में ही टिप्पणियां करने लगे कि “गुणगान तो करेंगे ही, राज्यपाल की कृपा से ही कुलपति जो बने हैं। कुलपति बोले कि-

“कलराज मिश्र उत्तर प्रदेश में मेरे क्षेत्र से विधायक रहे। वे मंत्री और उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहे। उत्तर प्रदेश के पर्यटन विकास में उनका योगदान रहा। कलराज मिश्र ने जिनको अंगुली पकड़ कर राजनीति का क.. ख.. ग.. सिखाया, वे आज राष्ट्रीय राजनीति के शिखर पर है। केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने सार्थक भूमिका निभाई। वे हिमाचल के राज्यपाल रहे। आदि..आदि..”

बेशक, राज्यपाल और कुलाधिपति योग्य और अच्छे नेता रहे होंगे, तभी राज्यपाल पद पर हैं। लेकिन दीक्षांत समारोह में उनके इस स्तुतिगान की क्या ही जरुरत आन पड़ी? कुलपति का ये भाषण उनके पद की गरिमा के ख़िलाफ़ है। भले ही राज्यपाल उनके बेहद नजदीकी हों लेकिन दीक्षांत समारोह के मंच से उन्हें ऐसा भाषण कतई शोभा नहीं देता। कुलपति दीक्षित जो खुद यूपी के हैं। वे कलराज मिश्र का ऐसा गुणगान करने लगे, जिसका दीक्षांत समारोह और श्रोताओं से कोई संबंध नहीं था।

क्या कुलपति को ज़रा भी खयाल नहीं आया कि उनके द्वारा इस तरह बेवजह स्तुति से छात्रों के जीवन पर क्या असर पड़ेगा? ये दीक्षांत समारोह यशोगाथा सुनाने के लिये आयोजित किया गया था या छात्रों की दीक्षित करने के लिये? कुलपति का यह भाषण चार विधायक भी सुन रहे थे। कुलपति का ये भाषण सुनकर उन्होंने उनके बारे में क्या सोचा होगा? दीक्षांत समारोह की अपनी एक गरिमा होती है। जहां दीक्षित होने वाला विद्यार्थी हर एक्शन का सूक्ष्मता से आकलन करता है। कलराज मिश्र से कुलपति अपनी निकटता दिखाने और उनका गुणगान के मायने अच्छे नहीं रहे। ..तो कुलपति ने विद्यार्थियों को कुछ ऐसे ‘दीक्षित’ किया।

LEAVE A RESPONSE

Your email address will not be published. Required fields are marked *