गुजरात सरकार गोबर गैस और स्लरी बेचकर गो पालकों को आर्थिक संबल देने की योजना पर काम कर रही है। मध्य प्रदेश सरकार ने भी गो समृध्दि योजना के तहत एनडीडीबी और पशु पालन विभाग के बीच एमओयू के तहत बैतूल में गोबर गैस और स्लरी घोल बनाने के पायलट प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है। स्लरी घोल एक रुपया किलो एफपीओ खरीदेगा। बैतूल में 100 गोपालकों का एक क्लस्टर बनाकर 10 टन स्लरी एफपीओ प्रतिदिन खरीदेगा। प्रोम फास्फेट रिच ऑर्गेनिक मैन्यूर 9 हजार लीटर किसानों को वितरित किया जाएगा। फॉस्फेट रिच ऑर्गेनिक मैन्यूर पोषक तत्वों से भरपूर होगा। गो समृद्धि योजना पर मध्य प्रदेश में काम शुरू हो गया है। कई अन्य प्रदेशों में भी वहां की सरकारें गोबर के समुचित उपयोग के लिए आर्थिक संबल दे रही है।
राजस्थान गो धन पालन की दृष्टि से देश के बड़े राज्यों में से एक है। राजस्थान सरकार आगामी बजट घोषणा में उक्त राज्यों की तर्ज पर गो उद्यमिता विकास योजना का बजट में प्रावधान करना चाहिए। गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बनाकर गोबर और गोमूत्र को रसायनिक खेती का विकल्प बनाएं। गो आधारित उद्यमिता विकास से प्रदेश में गुजरात और मध्य प्रदेश की तर्ज पर गोबर गोमूत्र से नया उद्यमिता क्षेत्र विकसित हो सकेगा।
राजस्थान गो सेवा परिषद ने वेटरनरी वि.वि. बीकानेर के साथ एक एमओयू के तहत गोबर और गोमूत्र का गो आधारित उद्यमिता विकास की दिशा में काम कर रही है। इसमें वैज्ञानिक तरीके से गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बनाने का कांसेप्ट नोट राजस्थान सरकार, भारत सरकार के नीति आयोग को भी भेजा गया था। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि वि.वि., केवीके, कृषि मंत्रालय और सरकारें इसकी उपादेयता और महत्ता को बताती रही है। राजस्थान सरकार इस योजना को बजट प्रावधानों में शामिल करें। जिससे गोबर और गो मूत्र प्रसंस्करण से गोधन आधारित कृषि को बढ़ावा मिल सकें। मुख्यमंत्री जी गोबर गोमूत्र से गो उद्यमिता विकास एक प्रमाणित सेक्टर है। बजट में इसे पुख्ता करेंगे तो प्रदेश में गो पालन और गो आधारित कृषि दोनों को लाभ होगा। देखते हैं इस बजट घोषणा में राजस्थान सरकार कितनी विजनरी साबित होती है।