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विमर्श : सड़कों के गड्ढे.. सरकार और न्यास अध्यक्ष की संवेदनशीलता पर सवाल

बीकानेर में बारिश के बाद स्वीकृत बजट से सड़कें बनेंगी। कब बनेंगी, कितनी बनेंगी, यह आकलन का विषय है। जगह-जगह से टूटी सड़कें और गहराये गड्ढे जनता के लिये परेशानी का सबब बने हैं। सवाल उठता है कि क्या नगर निगम, नगर विकास न्यास और पीडब्ल्यूडी राहत नहीं दे सकती? अफसर और नेता ख़ुद इस परेशानी को भुगतते हैं। एक विजन की जरुरत है और लीक से हटकर पहल करने के साहस की भी।

“किसी की भैंस कौन नीरे?” यानी हमें क्या पड़ी है? जैसा चल रहा है, वैसा चलता रहे। जब सड़कें बनने का टेंडर होगा, तब बन जाएंगी। अभी गड्ढे हैं, तो भुगते सभी। इस मानसिकता से उबर कर जानलेवा और यातायात में बाधक गड्ढों को भरकर जनता को राहत दी जा सकती है। ट्रिपल इंजन की सरकार की नगर निगम, न्यास अध्यक्ष एवं जिला कलेक्टर में जनता की तकलीफों के प्रति थोड़ी भी संवेदना होती तो सड़कों पर गड्ढोंसे यातायात में जन सामान्य को परेशानी और इनसे होने वाली दुर्घनाओं से बचाया जा सकता है।

नगर निगम महापौर और न्यास अध्यक्ष जिला कलक्टर को विचार करना चाहिए कि जहां खतरनाक गड्ढे हो गए हैं, वहां बैरिकेट लगा दिए हैं। क्या इन गड्ढों को भरकर सड़क को दुरुस्त करने में कोई भारी बजट की जरुरत है? आप जान लीजिये कि युवक कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से इन्होंने जो काम किया है, वो भले ही (सिंबॉलिक) प्रतीकात्मक है लेकिन ट्रिपल इंजन की सरकार, महापौर और न्यास अध्यक्ष के तमाचा है। युवक कांग्रेस के मनोज चौधरी, सुमित कोचर, बाल राज नायक, गजेंद्र सांखला समेत अन्य युवाओं ने जो सड़कों के गड्ढे भरने का काम किया है, उससे जनता को राहत मिली है। इसकी प्रेरणा से नागरिकों ने भी कुछ स्थानों पर ख़ुद ही सड़कों के गड्ढे भरे हैं।

रानी बाजार, ड्यूपलेक्स स कॉलोनी की मुख्य सड़क, जूनागढ़ के आगे, कोटगेट के अंदर, गोगागेट से लेकर गंगाशहर बाज़ार तक गड्ढे भरे गए। इससे अस्थायी तौर पर जनता को राहत मिली है। नगर निगम, न्यास और पीडब्ल्यूडी को यह काम अब भी तत्परता से करने की जरुरत है। यह हर बार की परेशानी है। फिर पंचायतों, नगर पालिका, नगर निगम और न्यास की जिम्मेदारी ही क्या है? निट्ठले और गैर जिम्मेदार अधिकारी काम नहीं करने के 50 बहाने ढूंढ लेते हैं। क्या सड़कों के गड्ढे भरने कोई बाहर की एजेंसी या नए अफसर आएंगे ? कलेक्टर साहब ! टूटी सड़कों पर नई बनने तक राहत के लिए कोई नया प्रावधान पारित होगा क्या? या आप अपनी पहल से राहत दे सकते हैं? कोई बड़ा मंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति आते हैं तब तो सारे गड्ढे फौरन भर जाते हैं। लेकिन जनता की इतनी बेकद्री? उफ्फ ! अफसरों का विजन ही योजनाओं की समीक्षा और मीटिंगों की औपचारिकता तक सिमट गया है। तभी तो युवक कांग्रेस के लोग ट्रिपल इंजन की सरकार और अफसरों की साख पर सवाल बन गए हैं। युवकों ने मात्र 27 हजार रुपए की लागत से मुड और कंकर से गढ्ढे भरकर व्यवस्था पर करारा तमाचा जड़ दिया हैं। दुर्भाग्य है कि सरकार और प्रशासन को इस तरह उनको तमाशा खाने का एहसास ही नहीं है। वाह री ! ट्रिपल इंजन की सरकार। जनता में क्या साख बनाई है। ज़िला कलेक्टर और न्यास अध्यक्ष भी प्रशंसा पा रही है। ये गड्ढे जिम्मेदार अधिकारियों की प्रशासनिक अयोग्यता के प्रतीक है। बने रहने दीजिए। ये कभी तो आपको कुरेदेंगे।

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