लोकसभा चुनाव नजदीक हैं। भारतीय जनता पार्टी ने बीकानेर संसदीय सीट पर केंद्रीय मंत्री और बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल को फिर से उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस उनके सामने राजस्थान सरकार में केबिनेट मंत्री रहे गोविन्द राम मेघवाल को चुनावी मैदान में उतार रही है।
गोविन्द मेघवाल ने राजनीति में घाट-घाट का पानी पिया है। भाजपा में ही संसदीय सचिव रहकर कांग्रेस का हाथ थामा है। राजनीति में माहिर गोविन्द मेघवाल कांग्रेस में अजा जजा के बडे नेता माने जाते है। वो राजनीति में साम-दाम-दण्ड-भेद की नीति से हर तरह की राजनीतिक चालें चलने में माहिर हैं। सियासी गुणा-गणित के इस खेल में भाजपा के अर्जुन राम गोविन्द के आगे कहीं नहीं टिकते। वे पार्टी के बाहर भी नेताओं को साधने के खेल में खिलाड़ी हैं। साथ ही, गोविन्द मेघवाल की संसदीय क्षेत्र की हर विधानसभा में पार्टी के अलावा भी पैठ है। गोविन्द मेघवाल अर्जुन राम के सामने चुनावी मैदान में छकाने वाला खेल खड़ा कर सकते हैं। यह बात सही है कि गोविन्द राम कांग्रेस में पार्टी के बाकी दावेदारों से भारी प्रत्याशी है।
यह भी सच है कि जनता में अर्जुन राम की प्रतिष्ठा गोविन्द मेघवाल से ज्यादा है। राजनीतिक, सामाजिक और सार्वजनिक छवि में अर्जुन राम की तुलना में गोविन्द का ग्राफ बहुत नीचे है। गोविन्द मेघवाल राजनीति में रहकर जिस तरह के विवादों में घिरे रहे है और सार्वजनिक व्यवहार के चलते जो जनता में साख है। अर्जुन राम इससे इतर साफ सुथरी छवि और सौम्य व्यवहार के कारण जनता में लोकप्रिय है। यह बात इतर है कि जनता में अर्जुन राम कई मुद्दों को लेकर आलोचना के पात्र भी है, लेकिन उनके व्यक्तिगत और सार्वजिनक जीवन में कोई लांछन नहीं है। विकास के मामले में जनाकांक्ष पर भले ही वे खरे नहीं उतरे हो, लेकिन उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया जो जनता को अखरता हो। दांव-पेंच में माहिर गोविन्द राम अर्जुन राम के खिलाफ जनता में महौल बना सकते हैं। चुनाव प्रचार में गोविन्द मेघवाल अर्जुन राम मेघवाल को भले ही नाकों चने चबा दें, परन्तु जनता का रुझान अर्जुन राम की तरफ ही दिखाई दे रहा है। जन भावना की अभी की अभिव्यक्ति के आधार पर आकलन को भले ही जल्दबाजी में किया आकलन मानें। मोदी की लहर के आगे गोविन्द की सारी राजनीति फीकी ही है।
मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा, जी 20, राष्ट्रीय बैंको को लाभ में लाना, तीन तलाक, कानून संहिता में बदलाव, कश्मीर में धारा 370, कुटनीति में अन्तरार्ष्ट्रीय धाक, देश को सामरिक मजबूती, तेजी से बढ़ती हुई भारतीय अर्थव्यवस्था समेत बाकी मुद्दों को एकबारगी छोड़ भी दें तो मोदी की पश्चिमी बंगाल यात्रा और कश्मीर यात्रा ही भाजपा को राजनीति का लक्ष्य हासिल करने में पर्याप्त है। बंगाल में संदेशखाली की घटना पर मोदी ने जो रुख अख्तियार किया उससे पूरे देश की जनता पर गहरा असर है। कश्मीर में जनता ने जो मोदी के प्रति अपनापन जताया उससे पूरा देश अभिभूत है। ऐसे में कांग्रेस और गोविन्द मेघवाल बीकानेर सीट पर अर्जुन राम को प्रचार के दौरान भले ही तौबा कहलवाले पर होना वो ही है जो मोदी लहर से जन विश्वास अभिव्यक्त हो रहा है।