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विमर्श- ‘अर्जुन राम हार भी सकते हैं’ य़ह बात किसी के गले नहीं उतरती

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने एक ही नारे पर ज़ोर दिया – “अबकी बार, 400 पार”। राजस्थान में तो शुरुआत से ही बीजेपी 25 सीटों पर जीत का दावा करती रही। वहीं, बीकानेर संसदीय सीट पर केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की हैट्रिक की गूंज रही। उनके अंध भक्त 5 लाख वोटों के मार्जिन से उनकी जीत बताते रहे। पार्टी के लोग 2-ढाई लाख वोटों से जीतने का दावा करते दिखाई दिए। यहां तक कि ख़ुद अर्जुन राम भी कई मंचों पर बड़े मार्जिन से जीत का दावा करते सुनाई दिए। लेकिन.. 19 अप्रैल को मतदान पूरा होते-होते जीत का ये ‘दावा’ लाखभर वोटों तक सिमट गया।

अब पार्टी में उनके समर्थक ही दबी जुबान से यह कहने लगे हैं कि “अर्जुनराम लाख से पचास हज़ार वोटों के मार्जिन से जीत जाएंगे।” लाखों के मार्जिन से जीत के दावे करने वाले वही समर्थक बार को संभालते हुए कहते हैं कि “चाहे कितने ही वोटों से जीतें, अर्जुन राम जीत ही जाएंगे।” अर्जुन राम का आभा मंडल ऐसा बना हुआ है कि अगर कोई कह भी दें कि अर्जुन राम चुनाव हार सकते हैं तो सुनने वाला टेढ़ी नज़रों से देखने लगता है और जवाब देता है कि “मार्जिन भले ही कम रहे, जीतेंगे तो अर्जुन राम ही।” वैसे, लगता भी ऐसा ही है। लेकिन अर्जुन राम चुनाव हार सकते हैं, यह बात गले नहीं उतरती। इसका कारण जनभावना, मोदी फैक्टर, राम मंदिर, मोदी सरकार की उपलब्धियां और कांग्रेस की राष्ट्रीय स्तर पर बने हालात से उत्पन्न माहौल है।

जैसा कि मतदान से पहले पूरे राजस्थान में सभी 25 सीटें भाजपा के खाते में जाने का माहौल बना। मतदान के बाद कयासों में 12 -13 सीटों पर टक्कर की स्थिति मानी जा रही है, वहीं 3 सीटें कांग्रेस की मानी जा रही हैं। यही फैक्टर बीकानेर संसदीय सीट पर भी लागू किया जा सकता है। दरअसल-

बीकानेर लोकसभा सीट पर पिछले चुनाव से क़रीब 5% कम वोटिंग हुई है, जिसका सीधा नुक़सान भाजपा के लिये ज़्यादा माना जा रहा है।
-इस सीट पर मुस्लिमों के वोट कांग्रेस को दिये गये हैं, इस बात को नकारा नहीं जा सकता।
-राजस्थान की राजनीति से वसुंधरा को किनारे करना राजपूत समाज को रास नहीं आया है। इसके चलते राजपूत भाजपा से नाराज़ रहे। ये बात राजपूत वोटों की बीकानेर संसदीय क्षेत्र में कम मतदान से भी प्रमाणित मानी जाती है।
-यहां तक कि जाट मतदाता स्पष्ट रूप से भाजपा के साथ नहीं दिखाई दिए।
-बीकानेर लोकसभा क्षेत्र में भी जाट मतदाताओं ने तुलनात्मक रूप से वोट कम डाले या कांग्रेस को दिए।
-बीकानेर में नोखा और श्रीकोलायत समेत अन्य क्षेत्रों में विश्नोई समाज ने आगे बढकर अर्जुन राम के प्रति रुचि नहीं दिखाई।
-खुद मेघवाल समाज के वोट भी अर्जुन राम मेघवाल की बजाय गोविन्द राम मेघवाल को ज्यादा देने के दावे सामने आए हैं।
-बीकानेर लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से अनूपगढ़ और नोखा में कांग्रेस के विधायक हैं।
-खाजूवाला और अनूपगढ़ सीट पर कांग्रेस के बढ़त का दावा है।
-वहीं बीकानेर पूर्व और पश्चिम पर भाजपा की बड़ी बढ़त स्पष्ट है।
-बाक़ी 4 विधानसभा लूणकरनसर, श्रीडूंगरगढ, नोखा और श्रीकोलायत के क़स्बों में भाजपा और ग्रामीण इलाक़ों में कांग्रेस की बढ़त का दावा है।

इस तरह कांग्रेस और भाजपा के बीच इस आधार पर जीत हार का आंकड़ा बहुत निकट का बैठता है। भाजपाई 50 हजार से ऊपर की जीत और कांग्रेसी 20 हजार से जीत का दावा ठोक रहे हैं। हालांकि ‘कौन जीतेगा’ इसका फैसला तो 4 जून को ही हो पाएगा। फिर भी यह बात तो स्पष्ट है कि अर्जुन राम की जीत को बड़ी चुनौती है। सवाल चौंकाने वाला है कि क्या अर्जुन राम चुनाव हार भी सकते हैं? अभी तो यह बात गले नहीं उतरती। फिर भी सर्वे और सट्टा बाजार बीकानेर संसदीय सीट को लेकर असमंजस में जरूर है। आगे-आगे देखते हैं, होता है क्या?

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