
देश में नाट्य कला को प्रोत्साहन देने में ‘बीकानेर थिएटर फेस्टिवल’ ने नए आयाम स्थापित किए हैं। इस साल 8वां ‘बीकानेर थिएटर फेस्टिवल’ आयोजित किया गया। नाट्य कला प्रोत्साहन में भारत और राज्य सरकारों के योगदान से ‘बीकानेर थिएटर फेस्टिवल’ का योगदान कम नहीं हैं। इस फेस्टिवल में दर्शकों और कलाकारों का हुजूम उमड़ता है। ख़ास बात यह कि इस आयोजन में सरकारों से कोई सहायता नहीं ली जाती। ऐसे में इतना बड़ा आयोजन नाट्य क्षेत्र को हैरान करने वाला लगता है। यही वजह है कि आठ सालों से इस थिएटर फेस्टिवल के सफल आयोजन के चर्चे हैं।
सवाल यह उठता है कि बगैर सरकारी सहयोग के इतना सफल नाट्य आयोजन कैसे संभव है ? इसी तरह बीकानेर में कला के कद्रदानों ने निजी ख़र्च से कलाकारों के लिए ऑडिटोरियम बनवा दिया। जिसे विरासत की कला को संरक्षण देने के लिए बनाया गया है। बीकानेर में टी. एम. ऑडिटोरियम कला, प्रस्तुति और संरक्षण का अद्वितीय स्थल बन चुका है। इसी तरह तोलाराम हंसराज डागा चेरिटेबल ट्रस्ट, हंसा गेट हाउस भी कला प्रस्तुति स्थल बना हुआ है। टी. एम. लालाणी और हंस राज डागा की तरफ से इस फेस्टिवल के लिए ऑडिटोरियम और गेस्ट हाउस हर साल नि:शुल्क उपलब्ध रहता है। बीकानेर के कलाकार, परिवार और यहां के कला प्रेमियों की ओर से आयोजन में हरसंभव मदद मुहैया करवाई जाती है।
हैरानी की बात है कि देश में जहां दानदाता स्कूलें, अस्पताल, मंदिर, धर्मशालाएं, उद्यान और कई सार्वजनिक उपयोग के स्थल बनने में खुशी से धन खर्च करते हैं। जहां अस्पताल में 5 रूपये में भोजन दिया जा रहा है। जहां गायों को चारा, कुत्तों को रोटी समेत दान-पुण्य के प्रकल्प रोज़ चल रहे हैं। वहीं कला को संरक्षण देने के लिए बीकानेर में टी. एम. ऑडिटोरियम और हंसा गेस्ट हाउस बीते 8 सालों से बीकानेर थिएटर फेस्टिवल का केंद्र बना हुआ है। इस आयोजन में 22 राज्यों के क़रीब 1900 कलाकारों ने प्रस्तुतियां दी हैं। यहां पर एक अंतर्राष्ट्रीय स्तरीय और कई राष्ट्रीय स्तरीय नाटक दिखाए गए हैं।
इस आयोजन से देश में नाट्य विधा का परिष्कार हो रहा है। जिसमें कला-कद्रदान टी. एम. लालाणी विरासत, तोला राम हंस राज डागा चेरिटेबल ट्रस्ट, विनसम, होटल मिलेनियम, जिला प्रशासन, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, उत्तर क्षेत्र संस्कृति केंद्र, पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उत्तर-पश्चिमी रेलवे बीकानेर समेत 21 संस्थाओं का सहयोग रहता है। सुदेश व्यास की ‘बीकानेर थिएटर फेस्टिवल’ की परिकल्पना अब बीकानेर के हर नाट्य कला प्रेमियों का अपना बन गया है। जिसमें हर साल नाट्य प्रस्तुतियों की नई-नई परिकल्पनाएं की जाती हैं और कला प्रेमी मिल-जुलकर इसे बीकानेर थिएटर फेस्टिवल के रूप में मंच देते हैं। यह आयोजन इसी नक्शे क़दम पर चलता रहा तो आने वाले वर्षों में देश का सबसे बड़ा थिएटर फेस्टिवल बन सकता है।