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‘मोदी कवच’ है तो ही अर्जुन राम मेघवाल की ‘जीत मुमकिन’ है !

फेर आयसी रै,
मोदी फेर आयसी..
ओ तो 400 सौ सीटां रै पार,
मोदी फेर आयसी..

ये कोई ‘लोक गीत’ नहीं बल्कि बीकानेर से लोकसभा चुनाव प्रत्याशी अर्जुन राम मेघवाल का ‘वोट गीत’ है, जिसे वो घूम-घूमकर चुनावी सभाओं में गा रहे हैं। मेघवाल द्वारा मोदी का यशोगान गाकर चुनाव प्रचार करना और अपने वोट पक्का करने को जनता हास्यास्पद मान रही है। अव्वल तो उन्हें बीकानेर के विकास या जनहित के मुद्दों की बात करनी चाहिये लेकिन उनके पास इन दोनों ही चीज़ों की कमी है। ऐसे में वो मोदी के यशोगान से काम चला रहे हैं। अजी, आम लोगों को छोड़िये, यहां तक कि भाजपा कार्यकर्ता भी यह कहने में गुरेज नहीं कर रहे हैं कि अर्जुन राम मेघवाल ने सत्ता-सुख तो भोगा लेकिन बीकानेर के लिए कुछ नहीं किया। …और अगर कुछ किया हो तो बतायें।

अर्जुन राम मेघवाल की छवि साफ-सुथरी है। उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में ऐसा कोई काम नहीं किया, जिससे उन पर अंगुली उठाई जाए। मंत्री के तौर पर उनकी भूमिका भी सराहनीय मानी जा रही है। लेकिन जब बात उनके बीकानेर के विकास की आती है तो उन्हें ‘शून्य’ मार्क्स मिलते हैं। शून्य मायने ‘निल बट्टा सन्नाटा’। यही वजह है कि इस बार लोगों में उनका विरोध मुखर हुआ है। जनता के बीच उनकी स्वीकार्यता घटी है। यहां तक कि जनता संसदीय क्षेत्र में उनकी भूमिका पर भी सवाल उठाने लगी हैं। मेघवाल चौथी बार भी भले ही जीत जाएं लेकिन अपने संसदीय क्षेत्र की जनता का विश्वास नहीं जीत पाए हों। वे इसमें 100 फीसदी नाकामयाब रहे हैं।

खैर, मेघवाल भले ही नाकामयाब रहे लेकिन जनता ‘मोदी’ को अभी भी कामयाब नेता मान रही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि तीसरी बार भी मोदी लहर कायम है। और इसी मोदी लहर का फायदा फिर से बीकानेर सांसद अर्जुन राम को मिल सकता है। यानी इस बार भी मोदी कवच के चलते मेघवाल जीत सकते हैं। बीकानेर संसदीय क्षेत्र में चुनावी मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच अतिरेक पर जा पहुंचा है। अर्जुन राम ख़ुद भारी मतों से अपनी जीत बता रहे हैं। भाजपा के कई समर्थक (जिसमें डॉ. विश्वनाथ भी शामिल हैं) अर्जुन राम की 5 लाख से ऊपर जीत की घोषणा कर रहे हैं। भाजपा समर्थक, तथाकथित चुनाव विश्लेषक और अपनी राजनीति में स्किल दिखाने वाले भी ऐसी ही भाषा बोल रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के नेता अर्जुन राम के ख़िलाफ़ सत्ता की नाराज़गी, अपने संसदीय क्षेत्र में नहीं रहने, विकास के काम नहीं करवाने, पार्टी और संगठन के लोगों को तरजीह नहीं देने समेत अनगिनत मुद्दे गिनाकर कांग्रेस प्रत्याशी की जीत तय मान रहे हैं।

श्रीकोलायत में– विधानसभा चुनाव में आरएलपी और कांग्रेस के कुल वोट इस बार गोविंद के खाते में जाने का दावा है। वहीं लूणकरणसर राजेंद्र मूंड और वीरेंद्र बेनीवाल एक साथ आने को कांग्रेस बढ़त मान रही है। श्रीडूंगरगढ़ में– मंगला राम गोदारा और गिरधारी महिया के कुल वोट को कांग्रेस जीत का आधार बता रही है। नोखा में– कांग्रेस विधायक है और जाट वोटों का ध्रुवीकरण कांग्रेस के पक्ष में मान लिया गया है। अनूपगढ़ , खाजूवाला– पर इस बार गोविंद राम का पूरा दावा है। यह बात सही है कि बीकानेर संसदीय क्षेत्र में– पूरा कांग्रेस संगठन अर्जुन राम को हराने में लगा हुआ है। शहर की दोनों विधानसभा सीट- बीकानेर पूर्व और पश्चिम– पर कांग्रेस मुस्लिम वोटों की बदौलत बढ़त के ख्वाब संजोए हुए है।

बहरहाल, कांग्रेस प्रत्याशी गोविंद राम की जीत के दावे करने वाले यह बात भूल रहे हैं कि क्या कांग्रेस में कोई ‘मोदी जैसा’ नेता है? क्या कांग्रेस के पास मोदी लहर का कोई विकल्प है? भाजपा की संसदीय क्षेत्र में 8 में से 6 विधायक है। जन मानस में ‘मोदी-मोदी’ के जयकारे गूंज रहे हैं। ..और इसी जयकारे के बीच चुनाव परिणामों में अर्जुन राम मेघवाल के भी जयकारे लग रहे हैं। मोदी के नाम से भले ही वे बीकानेर से चुनाव जीत जाएंगे, लेकिन हां यह बात जरूर है कि अर्जुन राम की कमजोरियां का असर होगा ही।

इस बारअर्जुन राम का मुकाबला एक मजबूत कैंडिडेट से होने वाला है। कांग्रेस प्रत्याशी गोविंद मेघवाल ने अर्जुन राम की इतनी हेठी कर दी है कि जनता भी वही भाषा बोलने लगी है। लोग कहने लगे हैं कि अर्जुन राम मेघवाल का बीकानेर के विकास में कोई योगदान नहीं है। केंद्र में मंत्री रहते एक भी काम किया हो तो बताएं। केंद्र सरकार की योजना में हुए काम वो गिना रहे है। इस बार मोदी की भी जनसभा नहीं हुए है। दो बार अमित शाह की चुनावी सभा का कार्यक्रम निरस्त हो गया है। वहीं अर्जुन राम की गिरती साख का भी मतदाताओं पर असर अवश्यमेव होना है।

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