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विमर्श: ‘अधूरे’ लालगढ़ ओवर ब्रिज में दिखती है- नेताओं की ‘पूरी’ गैर-जिम्मेदाराना छवि

बीकानेर का लालगढ़ ओवर ब्रिज… जिसका काम पिछले 6 सालों से लटका हुआ है। ये भी तब.. जब बीकानेर से केंद्र सरकार में एक और राजस्थान सरकार में 3-3 मंत्री थे। आख़िर हमारे जनप्रतिनिधि क्या करते रहे? क्या कोई सवाल पूछने वाला भी है? हैरानी इस बात की है कि इस अटके-लटके ओवर ब्रिज को विपक्ष भी देखता रहा लेकिन क्या विपक्ष के किसी भी नेता ने आवाज उठाई? जवाब है- नहीं। सब गहरी नींद में सोते रहे। हां, टिकट और पद पाने की हौड़ में ज़रूर रात-दिन जगते रहे, दौड़ते रहे लेकिन जनहित के इस मुद्दे के लिये कोई दौड़ा हो तो नाम बता दें। बात का लब्बोलुआब यह है कि इस ‘अधूरे’ पड़े लालगढ़ ओवर ब्रिज में बीकानेर के नेताओं की ‘पूरी’ गैर-जिम्मेदाराना छवि दिखाई देती है। बीकानेर के विकास को लेकर हमारे नेताओं का क्या रवैया है, ये ‘अटका’ पड़ा ओवर ब्रिज चीख-चीखकर इसका जवाब देता है।

खैर, इस मसले के लिए किस नेता को जिम्मेदार ठहराएं और किसे नहीं, समझ ही नहीं आता। किसी की झूठी निंदा करना ठीक नहीं लेकिन क्या गैर जिम्मेदारी पर मुंह में मिसरी लिये चुप बैठे रहें? फिर तो पत्रकारिता ही क्यों करें? वैसे, ज़रुरत भी क्यों ही है? हम भी चुपचाप बैठे-बैठे सब देखते रहें? नहीं… लालगढ़ ओवर ब्रिज पर सवाल पूछे जाने चाहिये।

तो बताइये.. माननीय डॉ. कल्ला साहब, जब आप सत्ता में थे, तब आपको लालगढ़ ओवर ब्रिज दिखाई नहीं दिया? वैसे, आपके पास कोई जवाब नहीं होगा। अगर है भी तो अभी इसे फकत बचाव का बहाना भर कहा जाएगा। बीकानेर पश्चिम से नए विधायक जेठानंद व्यास अभी तक स्वयं के स्वागत में ही व्यस्त है। देखना है, दबंग और जुझारू माने जाने वाले नए विधायक जी आगे क्या कमाल कर पाते हैं? केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के लिए यह ओवर ब्रिज मामूली सा काम था। लेकिन.. मंत्री जी को कभी ये मामूली से काम याद ही नहीं आए। उनको तो 15 साल बाद अब ‘विकसित बीकानेर की परिकल्पना’ याद आई है। वैसे, ये भी अच्छी ही बात है। देर आए, मगर दुरुस्त आए। अब जब आपको बीकानेर के विकास के मुद्दे पता चल ही गये हैं तो विकास की शुरुआत अपने लोकसभा क्षेत्र के इस ‘अटके-लटके’ ब्रिज को पूरा करवाकर कर लें। ‘विकसित बीकानेर की परिकल्पना’ और विकास के बड़े-बड़े काम तो आगे आपको ख़ूब करवाने ही हैं। सबसे पहले ये ब्रिज पूरा करवाकर… इन ‘अफवाहों’ का खंडन कर दीजिये, कि “अर्जुन राम जी सिर्फ घोषणाएं करने और वाहवाही लेने में माहिर हैं। उनसे घोषणाएं पूरी नहीं होतीं।”

इसी तरह अन्य नेताओं से भी जनता को भर-भरकर शिकायतें हैं। बीकानेर ज़िले में 7 विधायक हैं, ये सब अपने-अपने क्षेत्रों की बात करते हैं। लालगढ़ ओवर ब्रिज तो सभी नेताओं के लिये समान सुविधा हो सकता है। इसलिये.. कोई तो बोलो रे…। कोई तो आवाज़ उठाओ रे..। जनता बोले… या कोई संगठन बोले.. आख़िर कोई आगे आए तो सही.. बीकानेर में कई वरिष्ठ नेता भी तो हैं- देवी सिंह भाटी, वीरेंद्र बेनीवाल, कन्हैया लाल झंवर.. इनमें से भी कोई भी आवाज उठा ही सकते हैं.. सबकी आवाज़ बुलंद होगी, तभी तो कोई समाधान होगा.. नहीं तो 6 साल और निकल जाएंगे।

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