विमर्श : कौन बनेगा बीकानेर कांग्रेस ज़िलाध्यक्ष ?

-हेम शर्मा
बीकानेर संभाग मुख्यालय के कांग्रेस नेताओं में शहर और देहात ज़िलाध्यक्ष की केन्द्रीय पर्यवेक्षक के आते ही ज़ोर-आजमाइश शुरू हो गई है। इसमें पार्टी संगठन से जुड़े पदाधिकारियों के अलावा 2 पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला और गोविन्द मेघवाल, लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार रहे मदन गोपाल मेघवाल, ज़िला प्रमुख मोडा राम मेघवाल, केश कला बोर्ड के महेन्द्र गहलोत, पूर्व महापौर एवं न्यास अध्यक्ष मक़सूद अहमद, गजेन्द्र सिंह सांखला, वर्तमान शहर अध्यक्ष यशपाल गहलोत, उपाध्यक्ष अरविन्द मिढ्डा, देहात अध्यक्ष बिशना राम सियाग समेत करीब 30 नेताओं ने खुद या चेहतों को कांग्रेस के सृजन अभियान में जिलाध्यक्ष बनने की मंशा जाहिर की है। इन सबके पीछे अपनी अपनी राजनीतिक ताक़त है। पार्टी में बड़े नेताओं का समर्थन, जातीय समीकरण और संगठन में भूमिका से दावेदारी पुख्ता है। इसी आधार पर सब जोर-आजमाइश में लगे हुए हैं।

कांग्रेस में राजनीति पीढ़ी दर पीढ़ी से आगे बढ़ती है। बीकानेर कांग्रेस में लम्बे अर्से से राजनीति डॉ. बी.डी. कल्ला के इर्द-गिर्द घूम रही है। किसी भी पद के लिए कल्ला की अनुशंसा मायने रखती है। उनकी.. अनिल कल्ला को अध्यक्ष बनाने की पहले से ही दावेदारी रही है। यशपाल गहलोत को खुद अशोक गहलोत का संरक्षण है। मकसूद मुस्लिम नेता है। वे न्यास अध्यक्ष और महापौर रहे हैं। उनकी पैठ और संगठन में भूमिका अच्छी रही है। अरविन्द मिढ्ढा 33 वर्षों से राजनीति में सक्रिय है। पार्टी में विभिन्न पदों पर है। सर्व समाज में उनकी अच्छी पैठ है। पंजाबी, मोदी, खत्री और सिंधी मतदाताओं पर उनकी पकड़ है। गजेन्द्र सिंह सांखला अपनी सक्रियता के कारण प्रदेश स्तर पर पहचाने जाते है। पार्टी में उनकी अहमियत है। सचिन पायलट और गोविन्द डोटासरा के क़रीबी हैं। मदन गोपाल मेघवाल सेवानिवृत आईपीएस और लोकसभा से उम्मीदवार के कारण पार्टी में पहचाने जाते हैं। इनके अलावा शर्मिला पंचारिया, हारूण राठौड़, अरूण व्यास, नितिन वत्सस, आनन्द सिंह सोढ़ा, आज़म अली, अब्दुल मजीद खोखर, इक़बाल मालवण, रवि पुरोहित, राहुल जादू संगत पार्टी में सक्रियता के बलबूते मैदान में हैं।

देहात में वर्तमान अध्यक्ष बिशना राम सियाग ने विपक्ष में रहते हुए भी संगठन की गतिविधियों से पार्टी में अच्छी पकड़ बनाई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के हर आह्वान पर धरना, प्रदर्शन और आन्दोलन किये हैं। इतना ही नहीं, जनहित के मुद्दों पर भी एक क़दम आगे बढ़कर काम किया है। जनसमस्याओं पर लगातार बोलते रहे हैं। बीकानेर जनता की भावनाओं से जुड़े गोचर के मुद्दे पर भी सियाग ने सक्रियता दिखाई। वे उभरते जाट नेता हैं। ग्रामीण इलाका जाट राजनीति का गढ़ है। महेन्द्र गहलोत भी देहात की राजनीति में वर्षों से सक्रिय हैं। गांव-गांव, ढाणी-ढाणी में इनकी पैठ है। राज्य मंत्री का दर्जा होने से प्रदेश की राजनीति में भी इनकी अहमियत है। गोविन्द मेघवाल भाजपा से कांग्रेस में आए हैं। वे कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं और राजस्थान की राजनीति में एक पहचान रखते हैं। लक्ष्मण कड़वासरा भी देहात अध्यक्ष और भूदान बोर्ड के चैयरमैन रहे हैं। मोडा राम मेघवाल जिला प्रमुख है और श्रीकोलायत में मेघवाल वोटों पर पकड़ है। शिव लाल गोदारा, राम निवास कूकणा, डॉ. प्रीति मेघवाल, प्रह्लाद सिंह मार्शल देहात में अध्यक्ष पद के पार्टी में युवा दावेदार हैं।

सृजन अभियान में पहले तो पर्यवेक्षण के स्तर पर पैनल बनेगा। वो पैनल प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भेजा जाएगा। वहां अनुमोदन के साथ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पास अंतिम निर्णय के लिए भेजा जाएगा। इसके बीच की राजनीति ही निर्णायक होगी। जिसमें भाई-भतीजावाद, राजनीति में अपने चहेतों, आकाओं की अनुकंपा का खेल चलेगा। अभी तो पारी की शुरूआत है। निर्णायक मैच तक कई रूप देखने को मिलेंगे। देखते जाइये।

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