विधानसभा में बीकानेर इलेक्ट्रिकल सप्लाई लिमिटेड का मामला जिस रूप में उठाया गया है, यह कई मायनों में सरकार, जन प्रतिनिधि और विधानसभा मंच के लिए बहुत ही गंभीर बात है। विधायक जेठानंद व्यास ने तथ्यों को कितना पुख्ता कर मामला सदन में रखा, यह गंभीर सवाल है। इतना ही नहीं, यह उनकी साख का भी सवाल है। डॉ. बी. डी. कल्ला का कहना है कि “कंपनी भाजपा सरकार के कार्यकाल में आई कर्मचारियों का ठेका भाजपा सरकार में हुआ। भाजपा के कार्यकाल में ठेकेदार के लगाए कर्मचारी अभी कार्यरत है। ठेकेदार गोपाल जोशी का आदमी रहा है। रिकार्ड की जांच करवाई जा सकती है। उनके कार्यकाल में एक भी कर्मचारी नहीं हटाया गया। सारे आरोप असत्य है। विधायक ने बिना तथ्य जाने ही सदन में बात रख दी। यह अपरिपक्वता है।”
इधर सीईएससी राजस्थान के वाइस प्रेसिडेंट अरुणाभा साहा ने स्थिति स्पष्ट कर दी है कि बीकेएसएल का किसी राजनीतिक दल से कोई जुड़ाव नहीं है। कंपनी मात्र स्टेट गवर्मेंट के प्रति ही जिम्मेदार है। यह सही है कि गर्मी में बिजली आपूर्ति में व्यवधान आया था। ऐसा 132 केवी जीएसएस में तकनीकी ख़राबी से हुआ। इसे ठीक करने की कार्यवाही की जा रही है। जहां तक बिजली बंद होने पर जनरेटर से बिजली सप्लाई की बात है तो ऐसा सरकार और कंपनी के बीच हुए अनुबंध में कोई प्रावधान नहीं है। अब सवाल यह कि कौन कितना सच है? नए विधायक की ओर से जनहित के नाम पर सदन में उठाए। मुद्दे का यथार्थ क्या है? कंपनी और कांग्रेस के पूर्व मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला की ओर से स्पष्टीकरण में कही गई बात की क्या वेल्यू है? विधायक दो बातों में तो विचारणीय स्थिति में है कि कंपनी ने स्पष्ट कर दिया है कि बिजली बंद होने से जनरेटर से आपूर्ति का सरकार के साथ कोई अनुबंध नहीं है। दूसरा कल्ला ने स्पष्ट किया है कि कंपनी भाजपा सरकार के कार्यकाल में आई और कर्मचारी ठेकेदार के हैं वो ठेका भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुआ। उसमें से एक भी कर्मचारी नहीं हटाया गया। विधायक असत्य आरोप लगा रहे हैं।
जबकि भाजपा विधायक जेठानंद व्यास ने विधानसभा में बीकानेर इलेक्ट्रिकल सप्लाई लिमिटेड की अव्यवस्था का आरोप लगाया और कहा कि बीकेईसीएल जानबूझकर शहरी क्षेत्र में बिजली की कटौती की जा रही है। कांग्रेस नेता और उनके रिश्तेदारों ने कंपनी से जुड़े विभिन्न ठेके लिए हुए हैं। एमओयू की शर्तों के अनुसार एक घंटे से अधिक समय तक बिजली कटौती होने पर जनरेटर अथवा अन्य वैकल्पिक माध्यम से विद्युत सप्लाई किया जाना होता है, कंपनी की ओर से ऐसा नहीं किया जा रहा है। शहरी क्षेत्र में दस-दस घंटे बिजली कटौती होती है और इससे बीजेपी और उनकी छवि ख़राब करने का प्रयास कम्पनी द्वारा किया जा रहा है। व्यास का यह सदन में कहना कितना तथ्यात्मक है? वाकई सरकार को इसकी तह तक जाने की ज़रुरत है। विधायक सही तथ्य रख रहे हैं तो सरकार को कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए और अगर तथ्य सही नहीं है तो सदन और सरकार को विधायक को हिदायत देनी चाहिए कि इस तरह से मुद्दे उठाने के कितनी दूरगामी प्रभाव होते हैं और सरकार, विधानसभा, विधायक के साख पर आंच आती है। विधायक ने और भी कई आरोप लगाए हैं। सदन में ऊर्जा मंत्री ने जांच कमेटी गठित करने की घोषणा की है। कमेटी को तथ्यों की तह में मुद्दे के सच का नीर छीर करना चाहिए तभी विधायक, सरकार और सदन की साख बढ़ेगी। मंत्री का यह कहना ठीक है कि वर्ष 2017 से लेकर अब तक की अनियमितताओं की जांच के लिए कमेटी गठित की जाएगी। यदि कंपनी की ओर से नॉर्म्स के अनुसार सुविधाएं और संसाधन का विकास नहीं पाया गया, तो कंपनी के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। मंत्री ने बीकानेर के अलावा कोटा, भरतपुर और अजमेर की फ्रेंचाइजी कंपनियों की जांच करवाने की बात भी कही। मंत्री और कमेटी को यह भी देखना चाहिए कि विधायक के आरोप, कंपनी और डा.कल्ला के स्पष्टीकरण में कितना अंतर्विरोध है। और इसमें सच क्या है? सच को सामने रखने से ही व्यवस्था सुधरेगी।