विमर्श

बीकानेर में कांग्रेस संगठन बदहाल, टूटा सत्ता का तिलिस्म

राजस्थान में कांग्रेस की सत्ता का तिलिस्म बीकानेर में आयोजित संवाद कार्यक्रम में टूटकर चकनाचूर हो गया है। बीकानेर से कांग्रेस सरकार के तीन पूर्व मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला, भंवर सिंह भाटी और गोविंद मेघवाल कांग्रेस पार्टी के लिए भी सवाल बन गए हैं। संगठन तो नकारा साबित हो गया है। खुद प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने ही खुलेआम इस पीड़ा को जाहिर किया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की तरफ से राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर रंधावा इन पूर्व मंत्रियों की तरफ इशारा करके यह कहने से नहीं चूके। तीन-तीन मंत्री बनाए, इन्हें फिर से टिकट दिलाया, फिर भी इनके साथ कोई नहीं आया। यह कांग्रेस की बदहाली की पराकाष्ठा और रंधावा की गहरी पीड़ा है।

ये तीनों कांग्रेस सरकार के मंत्री चुनाव हार गए। अब कांग्रेस के 10 मंत्रियों के ख़िलाफ़ शिकायत में बीकानेर के 2 मंत्रियों के ख़िलाफ़ जांच का मुद्दा ज़ोर पकड़ता नज़र आ रहा है। बीकानेर में आयोजित कांग्रेस के संवाद कार्यक्रम में राजस्थान में कांग्रेस पार्टी का धरातल जग-जाहिर हो गया है। कांग्रेस कार्यकर्ता और पदाधिकारियों में उत्साह, जिम्मेदारी, संगठन में विश्वास, पार्टी के प्रति समर्पण और निष्ठा नहीं दिखाई दी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी पार्टी के इन हालातों से आहत दिखाई दिए।

बीकानेर संभाग मुख्यालय है। राजस्थान की राजनीति में बीकानेर की अहमियत है। संवाद कार्यक्रम में बीकानेर में कांग्रेस नेताओं की भूमिका से संकेत गया है कि पार्टी निढाल हो गई है। नेताओं ने सत्तासुख तो ख़ूब भोगा लेकिन पार्टी में कोई योगदान नहीं दे रहे हैं। यह बात संकेतो में डोटासरा और रंधावा कठोर शब्दों में संवाद कार्यक्रम में कह गए हैं। पार्टी के शहर अध्यक्ष यशपाल गहलोत और देहात अध्यक्ष बिशनाराम सिहाग के लिए तो इससे ज्यादा शर्मनाक कोई बात नहीं हो सकती। उनके सामने संगठन के पदाधिकारियों के हाथ खड़े करवाए। उपस्थिति देखकर कोई भी शर्मसार हुए बिना नहीं रह सकता!

सवाल यह कि कांग्रेस सरकार की सत्ता में रहकर मलाई खाने वाले मंत्री, निगम बोर्ड्स के अध्यक्ष और संगठन में रहकर सत्ता का लाभ उठाने वाले लोग अब कहां चले गए? आख़िर वे कांग्रेस पार्टी के संवाद कार्यक्रम में क्यों नहीं आए? उनके ऐसे रवैये के कारण ही कांग्रेस गर्त में जा रही है। सत्ता का फायदा उठाने में तो हम कांग्रेस-हम कांग्रेस। लेकिन सत्ता से बाहर होते ही क्या हाल हो गए हैं ? डोटासरा और रंधावा की संवाद कार्यक्रम में पीड़ा बताती है। धिक्कार है जिलाध्यक्ष, पूर्व मंत्रियों, बोर्ड निगमों के पूर्व अध्यक्षों और संगठन के पदाधिकारियों! आप कैसे लोकतंत्र के हितैषी हो सकते हैं? फकत कांग्रेस पार्टी ही नहीं, बल्कि जनता भी आपसे यही सवाल पूछती।

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