विमर्श : पत्रकारिता के ‘नये दौर’ में सक्सेस टॉक्स से ‘नई कहानी’ लिखने की कोशिश

हेम शर्मा
भारतीय पत्रकारिता ने देश के स्वतंत्रता संग्राम और लोकतंत्र के विकास में अहम भूमिका निभाई है। आज़ादी के बाद भी पत्रकारों ने नैतिकता के साथ अपना पत्रकारिता धर्म निभाया। लेकिन 90 के दशक के बाद पत्रकारिता के मूल्यों में गिरावट आनी शुरु हो गई। ..और आज आलम यह है कि पत्रकारिता और पत्रकार दोनों पर ही सवाल उठने लगे हैं। आज लोकतंत्र के इस चौथे पाये को पीत पत्रकारिता, गोदी मीडिया, सत्ता का पिछलग्गू मीडिया जैसी उपमाएं दी जाने लगी हैं। क्योंकि आज पत्रकार सत्ता से सवाल पूछने के बजाय सत्ता के लिए तालिया बजाने को आतुर हैं। आज पत्रकारिता पर विज्ञापन और राजनीतिक विचारधारा पूरी तरह हावी हो चुकी है। अब कहां बची है- निडर होकर सच कहने वाली पत्रकारिता। अब कहां बचे हैं ऐसे लोग, जिन्हें कोई लोभ डगमगा नहीं सकता। इसीलिये तो आज पत्रकारों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ख़तरा मंडराने लगा है।

खैर, पत्रकारिता तभी जिन्दा बचेगी, जब वो सत्ता के प्रति नहीं, बल्कि समाज के प्रति जवाबदेह होगी। …लेकिन क्या आज विज्ञापनों, राजनीतिक विचारधाराओं और पूंजीवाद के समय में ऐसा कुछ हो पाना संभव भी है? जवाब है- बिल्कुल, संभव है। डिजिटल जर्नलिज्म इसका एक अच्छा विकल्प हो सकता है। वो डिजिटल जर्नलिज्म ही है, जिसके जरिये पत्रकारिता के खोए मूल्यों की पुर्नस्थापना की जा सकती है। इसके लिये डिजिटल मीडिया के युवा पत्रकारों को नैतिकता और जिम्मेदारी के साथ काम करने की ज़रुरत है।

बंधुओ ! आपका खबर अपेडट मीडिया हाउस बीते कई बरसों से यही संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि तकनीक और डिजिटल मीडिया से भी सार्थक पत्रकारिता की जा सकती है। इसका सकारात्मक पत्रकारिता को समर्पित मंच ‘सक्सेस टॉक्स’ इसका एक बेलोस उदाहरण हो सकता है। यह कार्यक्रम खोज-खोजकर ऐसे लोगों को मंच देता है, जो कभी समाज में अंतिम पंक्ति में हुआ करते थे। लेकिन जिन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष से ऐसा मुकाम बनाया कि आज उसी समाज के लिये प्रेरणास्त्रोत बन गये। सक्सेस टॉक्स ऐसे ही लोगों को हज़ारों की भीड़ के बीच एक खुला मंच देता है। ताकि उनके संघर्ष की कहानियां सुनकर ऐसे कई और लोग तैयार हो सकें। यक़ीन मानिये, ये नये दौर की पत्रकारिता की एक नई कहानी है। जो सकारात्मकता के साथ देश और समाज को इतना कुछ देने की कोशिश कर रही है, जो मैनस्ट्रीम मीडिया भी नहीं कर पा रहा। इस प्रोग्राम की कई सुंदर परिणाम आए हैं। आप यहां क्लिक करके हमारे इस मंच पर ऐसी कई कहानियां सुन सकते हैं। आगामी 12 दिसंबर को भी जोधपुर के जीत यूनिवर्स में अगला ‘सक्सेस टॉक्स’ कार्यक्रम का आयोजन होने जा रहा है। आप इस अनोखे कार्यक्रम में हिस्सा लेकर नये दौर की नई पत्रकारिता को महसूस कर सकते हैं।

मित्रो ! कौन नहीं जानता कि देश में 90 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ताओं ने डिजिटल युग में पत्रकारिता के लिए नए अवसर पैदा किए हैं। जिससे प्रस्तुतीकरण तकनीक से व्यापक जन समूह तक पहुंच बढ़ाई जा सकती है। इसका ताजा उदाहरण ‘खेलो इंडिया यूनिर्वसिटी गेम्स- 2025’ है, जिसका डिजिटल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ है। आज पत्रकारिता के गिरते मूल्यों को लोकतंत्र में पुनः स्थापित करने के लिए डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को गहन शोध, निष्पक्ष रिर्पोटिंग की स्वतंत्रता है। डिजिटल मीडिया के जरिए पत्रकारिता समाज और जनता के बीच संवाद का सशक्त माध्यम बनता जा रहा है। जरुरत डिजिटल मीडिया के माध्यम से पत्रकारिता करने वाले युवाओं को नैतिकता और जिम्मेदारी से काम करने की है। ख़बर अपडेट पत्रकारिता के ‘नये दौर’ में सक्सेस टॉक्स से ‘नई कहानी’ लिखने की कोशिश कर रहा है।

One thought on “विमर्श : पत्रकारिता के ‘नये दौर’ में सक्सेस टॉक्स से ‘नई कहानी’ लिखने की कोशिश

  1. लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता की साख दिन -ब-दिन मंगसी पड़ती जा रही। सत्ता से समझौता करने वाले सच कहने-लिखने का साहस खो चुके हैं। पत्रकारिता की साख डिजिटल मीडिया ही मौजूदा समय में बचाए हुए है, जिसमें खबर अपडेट भी स्थानीय भूमिका निभाता आ रहा है। सक्सेस स्टोरी प्रोग्राम्स का मैं भी साक्षी रहा हूं। बहुत ही प्रेरक।
    आपकी बात से सहमत हूं कि युवा पत्रकारों को डिजिटल मीडिया के माध्यम से ईमानदार पत्रकारिता करनी चाहिए। जनता का अब इसी पर भरोसा बचा है।

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