भले ही खेजड़ी को राजस्थान के राज्य वृक्ष का दर्जा दिया गया हो, भले ही खेजड़ी को पूजा जाता है, भले ही खेजड़ी की सांगरी बादाम जितनी मूल्यवान क्यों न हो? बावजूद इसके खेजड़ी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। खेजड़ी को राज्यवृक्ष का दर्जा देने के अलावा राज ने किसी भी स्तर पर इसकी सुरक्षा नहीं मुकर्रर की है। बीते 6 सालों की बात करें तो फलोदी से छ्तरगढ़ तक के क्षेत्र में क़रीब 10 हजार खेजड़ी के पेड़ काट दिए गए हैं। यह शिकायत पिछले वर्ष बीकानेर में बीस सूत्री कार्यक्रम के सदस्य मगन पानेचा ने कार्यक्रम के उपाध्यक्ष डा. चंद्रभान की अध्यक्षता में चल रही मीटिंग में की थी। उन्हें बताया कि सोलर पार्क के नाम पर पिछले छह सालों में कमोबेश 10 हजारों बीघा में खड़े खेजड़ी के पेड़ काट दिए गए हैं। लेकिन प्रशासन मूक बना रहा। तब डॉ. चंद्रभान ने इस बात को सही नहीं माना। लेकिन पूछताछ में ये बात सच निकली। अब आकवाली डेर, सादोलाई, गोरिसर के खातोदारों और अन्यों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने पर यह मामला प्रकाश में आया है।
सवाल यह उठता है कि खेजड़ी को राज्य वृक्ष का दर्जा देने का क्या अर्थ रह गया है? खेजड़ी मरुस्थलीय पारिस्थितिकी के लिए वरदान माना गया है। इसकी पर्यावरणीय महता तो जन जन में खेजड़ी की पूजा की आस्था से समझी जा सकती है। खेजड़ी की विशेषता और उपादेयता पर तो किताब लिखी जा सकती है तभी तो राजस्थान सरकार ने से राज्य वृक्ष का दर्जा देकर संरक्षण दिया है। वन विभाग का पूरा लवाजमा, कृषि विभाग, राजस्व विभाग, पुलिस और प्रशासन फिर भी आंखें मूंद कर क्यों बैठा है। सबसे पहले तो ज़िला कलेक्टर के ख़िलाफ राज्य सरकार कड़ी कार्यवाही करें। लेकिन.. क्या सरकार ऐसा करेगी ? ज्यों ही मामला सामने आया, लीपापोती शुरु हो गई। पटवारी से रिपोर्ट मांगी है। खातेदारों और अन्यों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। सबको पता है कि सोलर पार्क लगने के साथ खेजड़ी की कटाई होती रही है। प्रशासन के स्तर पर एक बार भी मामला क्यों पकड़ में नहीं आया? हमेशा जनता की ओर से ही शिकायत की गई। प्रशासन स्वत: संज्ञान क्यों नहीं ले पा रहा है। खेजड़ी काटने की या तो प्रशासन की मूक स्वीकृति या फिर मिली भगत है। नहीं तो क्या ही मजाल, जो इतनी बड़ी तादाद में राज्यवृक्ष- खेजड़ी की कटाई हो सके।
खैर, अब तो नई ‘जिम्मेदार’ सरकार आ गई है। राज्य वृक्ष खेजड़ी की सुरक्षा तो सुनिश्चित होनी चाहिये। सोलर पार्क वाले पूरे पश्चिमी राजस्थान जैसलमेर से बीकानेर तक सर्वे किया जाए। जहां-जहां खेजड़ी काटी गई हैं, वहां-वहां दोषी सरकारी नुमाइंदों, खाताधारी कास्तकारों और सोलर ऊर्जा कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिये। नहीं तो खेजड़ी को राज्य वृक्ष का दर्जा देने का कोई मायना ही नहीं रहेगा।