विमर्श : मेघवाल समाज की युवा पीढ़ी अर्जुन राम से सीख ले सकती है

बीते दिनों देश के क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दो कार्यक्रमों में शिरकत की। पहला- भावना मेघवाल मेमोरियल ट्रस्ट के कैरियर काउंसिलिंग कार्यक्रम में और दूसरा- बज्जू में मेघवाल समाज के महासम्मेलन में। इन दोनों ही कार्यक्रमों में उन्होंने समाज की नई पीढ़ी को शिक्षित करने पर जोर दिया। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि-
“देश के 30 करोड़ विद्यार्थी संस्कारवान, चरित्रवान और सक्षम बनेंगे तो भारत विकसित राष्ट्र की श्रेणी में आ जाएगा। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यही सपना है।”
वहीं दूसरे कार्यक्रम में उनका कहना था कि-
“शैक्षणिक उत्थान से ही समाज का विकास संभव है। पढ़-लिखकर संस्कारित बनो और ऊंचे पदों पर आसीन हों। इससे आपका और आपके परिवार का नाम रोशन होगा। इसके बाद उन्होंने कहा कि- बालिका शिक्षित होगी तो 2 घरों का विकास होगा, जिससे समाज उन्नति की राह पकड़ेगा। अभिभावक शिक्षा से पीछे नहीं हटें, अपने हर बच्चे को शिक्षित करें।”
दोनों कार्यक्रमों में कही गईं दोनों बातें अर्जुनराम मेघवाल के जीवन का हासिल हैं। क्योंकि वो शिक्षा ही थी, जिसने ग़रीब घर के एक साधारण बच्चे को संघर्ष में तपना सिखाया। वो शिक्षा ही थी, जिसने उन्हें पहले आईएएस अधिकारी, फिर सांसद और अब देश के क़ानून मंत्री की कुर्सी पर काबिज किया। अर्जुनराम विपरीत परिस्थितियों, सीमित संसाधनों के बावजूद यहां तक पहुंचे है। इन सबके पीछे के तिलिस्म ‘शिक्षा’ ही तो है। ..और जब मेघवाल समाज की युवा पीढ़ी सामने बैठी हो तो वे यह तिलिस्म उनके सामने रखने से कैसे चूकते? वहीं, युवा पीढ़ी ने भी उनसे जरूर प्रेरणा ली होगी। अर्जुनराम मेघवाल के राजनीतिक जीवन की आलोचना के कई बिन्दु हो सकते हैं। उनके संसदीय क्षेत्र के लोगों को उनसे नाराज़गी भी हो सकती हैं लेकिन उनके कृतित्व और व्यक्तित्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
केन्द्रीय मंत्री ने सरकार की विभिन्न योजनाओं और सांसद कोटे के तहत.. मेघवाल समाज के लिये 50 लाख की घोषणा भी की। इस राशि से मेघवाल समाज की भूमि पर सभा भवन, पुस्तकालय, चारदीवारी का निर्माण होगा। यह भी कहना ग़लत नहीं होगा कि भावना मेघवाल मेमोरियल ट्रस्ट एक तरह से डॉ. अम्बेडकर के ‘शिक्षा की अलख’ जगाने वाले संकल्प को साकार कर रहा है। कितना अच्छा हो कि देश का हर नेता.. इसी तरह देश के हर समाज के शैक्षणिक विकास और उत्थान की बात करने लगे। इससे कितने युवाओं को प्रेरणा मिलेगी। साथ ही, पीएम मोदी और अंबेडकर दोनों के सपने भी पूरे हो सकेंगे।