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विमर्श : एसकेआरएयू प्राकृतिक खेती की पहली मॉडल यूनिवर्सिटी

बीकानेर का ‘स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय’ राज्य का पहला कृषि विश्वविद्यालय रहा है। इस यूनिवर्सिटी ने प्रदेश के कृषि विकास में महत्ती भूमिका भी निभाई है। एक समय ऐसा भी आया, जब आईसीएआर के महानिदेशक राजेन्द्र परोदा ने सैध्दान्तिक रूप से घोषणा की थी कि “मरूस्थलीय पारिस्थितिकी भिन्नताओं के चलते इस एरिड जोन वाले विश्वविद्यालय को वे केन्द्रीय कृषि विवि बनाने की सैध्दान्तिक घोषणा करते हैं।” अफसोस कि राजस्थान सरकार और बीकानेर सांसद अर्जुन राम इस सैध्दान्तिक घोषणा को धरातल पर नहीं ला सके। इस विवि में कुलाधिपति और राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े आ रहे हैं। विवि अभी एक्रीडेशन से बाहर है। आईसीएआर का कोई बड़ा कृषि अनुसंधान का प्रोजेक्ट भी नहीं चल रहा है, फिर भी कुलाधिपति पधार रहे हैं। उम्मीद की जा सकती है कि इससे विवि के गिरते स्तर को सम्बल मिलेगा। संवाददाता सम्मेलन में कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने इस विवि को ‘प्रदेश का पहला प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन वाला विवि’ बनाने की घोषणा की है।

प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में राजस्थान राज्यपाल, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, पूर्व केबिनेट मंत्री देवी सिंह भाटी और अन्य दर्जनभर लोगों को बुलाया है। बताया गया है कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य- किसानों को प्राकृतिक खेती की विधियों के प्रति जागरूक करना और प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस विवि के वैज्ञानिकों की राजस्थान गो सेवा परिषद की पहल पर राज्य सरकार ने एक कमेटी गठित की थी। इसके अध्यक्ष विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ. बी. आर शेखावत रहे। राजस्थान सरकार के आदेश पर गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक प्रसंस्करण की वैज्ञानिक विधियां विकसित की गई है। वैज्ञानिकों की इस इजाद विधि के ब्रोसर छपे हैं। इसी आधार पर वेटरनरी विवि, कृषि विभाग, पशु पालन विभाग और तत्कालीन संभागीय आयुक्त नीरज के पवन के नेतृत्व में बीकानेर जिले के हर गांव से 2-2 लोगों को गोबर से खाद और गो मूत्र से कीट नियंत्रक बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। अगर एसकेआरयू के कुलपति जैविक खेती का प्रदेश और देश में पहला विवि घोषित करना चाहते हैं तो इसका यह उचित आधार है।

अगर कुलपति अपने मन्तव्य के प्रति प्रतिबध्द हैं तो देश में गोबर गोमूत्र के खाद एवं कीट नियंत्रक के रूप में उपयोग और जैविक कृषि की दिशा में एक नई क्रांति होगी। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में राजस्थान और गुजरात के राज्यपालों को बुलाना विवि की इस घोषणा का उनको साक्षी बनाना है। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के इस दिशा में किए कामों को कौन नहीं जानता? कुलपित और विवि अपने बताए आयोजन के मुख्य उद्देश्यों को प्रति गंभीर है और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना चाहते हैं तो सराहनीय क़दम है। अक्सर होता यह है कि कुछेक कुलपतियों ने विवि को अपने लाइजिनिंग का मंच बना लिया है। बड़े-बड़े उद्देश्य बताकर बड़ी-बड़ी बातों के हवाले से बड़े लोगों का बुलाकर अपना हित साधकर चलते बनते हैं। विवि और मुद्दे वहीं पड़े रहते हैं। राज्यपालों और आने वाले मंत्रियों को भी मंन्तव्य समझकर भूमिका अदा करनी चाहिए। उन्हें ये सोचना चाहिये कि प्राकृतिक खेती की राष्ट्रीय संगोष्ठी और आयोजन का मुख्य उद्देश्य पूरा हो रहा है या नहीं मंच पर बैठे लोगों को इसे जांचना जिम्मेदारी है। अन्यथा तो आयोजकों के इंस्टीमेंट के अलावा आप की क्या भूमिका रह गई।

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