विमर्श : जनता-विधायकों की न सुनने वाले अफसरों की रिपोर्ट सरकार को गई

बीकानेर की जनता में अफसरों के व्यवहार से राज्य सरकार के प्रति ग़ुस्सा है। बीकानेर की जनता कुछ अफसरों को हटाने के लिए हस्ताक्षर अभियान चला रही है। जनप्रतिनिधियों ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन सिंह राठौड़ से भी अधिकारियों के रवैये को लेकर नाराज़गी जताई है। कमोबेश सभी विधायक और संगठन के कुछ पदाधिकारियों ने एक ही भाषा में बीकानेर के अफसरों के रवैये पर नाराज़गी जताई। परिणाम यह हुआ कि प्रदेशाध्यक्ष मदन सिंह राठौड़ ने सार्वजिनक मंच से ऐसे अफसरों को तत्काल बीकानेर में ही संदेश दे दिया कि उनका यह रवैया चलने वाला नहीं है।
वैसे, जनता और जनप्रतिनिधियों के साथ रूखा व्यवहार करने की शिकायतें पहले से ही सरकार के पास पहुंच गई थी। अपनी ही पार्टी के नेताओं को नीचा दिखाने में बड़े नेता के इंस्ट्रूमेंट के रूप में काम करने वाले अफसरों की शिकायत उचित कार्यवाही के लिए सरकार को भेज दी गई। बीकानेर में कुछ विधायकों के समर्थक दबी जुबान में कहते रहे हैं कि अफसर.. विधायकों की नहीं सुनते, सिर्फ मंत्री को ही मानते हैं। आलम यह है कि कुछ विधायकों ने तो अफसरों के पास जाना ही बंद कर दिया। सिर्फ विधायक ही नहीं, आम लोगों को भी अफसरों का ‘उपेक्षापूर्ण व्यवहार’ अखर रहा है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य मदन सिंह राठौड़ के बीकानेर प्रवास के दौरान ये सब बातें उनके ध्यान में दिलाई गईं। राठौड़ ने इस स्थिति पर सार्वजनिक मंच से प्रतिक्रिया भी दी थी। हालांकि उन्होंने इस मुद्दे पर संकेतों में ही बात कही।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने बीकानेर में प्रदेश के पहले जनसुनवाई केन्द्र के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा कि- मुझे पता चला है कि अफसर जनप्रतिनिधियों की बात नहीं मानते। जो अफसर काम नहीं कर रहे हैं कि ख़बर सरकार और संगठन के पास है। राठौड़ ने कहा कि प्रदेश के अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों की बात माननी होगी। वे इसके लिए पाबंद हैं। जनप्रतिनिधि, जनता के सेवक हैं तथा जनता की सेवा करने वालों की प्रत्येक बात को मानना अधिकारियों को दायित्व है। उन्हें तनख्वाह ही जनता की गाढ़ी कमाई से मिलने वाले टैक्स से दी जाती है। उन्होंने कहा कि जो अधिकारी, जनता के काम निःस्वार्थ भाव से करें, उन्हें आशीर्वाद दें। जो काम नहीं कर रहे, उनकी ख़बर सरकार और संगठन के पास है। राठौड़ ने प्रेस से कहा कि विधायक जन सेवा केन्द्र पर कोई नागरिक अभाव अभियोग लेकर जाता है तो यथासंभव समाधान करने का काम करेंगे। पार्टी स्तर पर या सरकार के स्तर पर राजस्थान सरकार पूरा सहयोग करेगी। अधिकारी जन सेवक होता है। जन प्रतिनिधि भी जन सेवक है। वह कोई व्यक्तिगत काम लेकर तो जाता नहीं है। जनता के अभाव अभियोग लेकर जाता है। अगर ये काम नियमों के तहत, जनहित में और उचित काम है तो करना अधिकारी का दायित्व है। कोई अधिकारी कैसे हावी हो सकता है? हमारे यहां तो जन हावी है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष से गोचर के मुद्दे पर आन्दोलनरत कार्यकर्ता मिले। राठौड़ को अफसर के व्यवहार का वृतांत सुनाया। विधायकों में जेठानंद व्यास, तारा चंद सारस्वत, अंशुमान सिंह भाटी, डॉ. विश्वनाथ मेघवाल, भाजपा के शहर एवं देहात जिलाध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी भी मिले। इनमें से कुछ विधायकों ने बीकानेर में अफसरों के रवैये की शिकायत की। वहीं अफसरों को संरक्षण देने वाले नेताओं की बात भी स्पष्ट रूप से रखी गई। पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी से मिलने राठौड़ उनके आवास पर गए। वहां भी गोचर और अफसरों के रवैये को लेकर बातचीत हुई। अब आगे क्या होता है, इसका निर्णय सरकार के स्तर पर होना है।