मेरी बात

व्यंग्य : मोदी जी ! मेरा इतना सा काम कर दीजिये

आप में से ज़्यादातर लोगों ने कॉमेडी फिल्म ‘हेराफेरी’ ज़रूर देखी होगी। इस फिल्म में जो परेशानी बाबूराव को थी, ठीक वैसी ही परेशानी से मैं पिछले कई बरसों से जूझ रहा हूं। इस उलझन की सुलझन सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के पास है।मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे हो चुके हैं। शुभकामनाओं के साथ-साथ ये मनोकामना भी कि वे मेरी एक छोटी सी समस्या का समाधान करवाएंगे।

प्रधानमंत्री जी ! दरअसल मसला यह है कि बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पुरी लोकसभा क्षेत्र के सांसद सांबित पात्रा और ख़बर अपडेट का ऑफिसियल मोबाइल नंबर काफी मिलता-जुलता है। पात्रा सा’ब का नंबर 9999611442 (वेबसाइट का स्क्रीन शॉट नीचे) है और ख़बर अपडेट का नंबर 9999611142 है। सिर्फ एक एके का ही फर्क है। इस उलझन में अक्सर लोग हमें कॉल करके “हैलो ! देवीप्रसाद जी हैं?” की तर्ज पर “हैलो ! सांबित पात्रा जी हैं?” पूछते रहते हैं।

जाहिर सी बात है, हम लोग यही कहते हैं कि “आपने रॉन्ग नंबर लगाया है, यह ख़बर अपडेट का नंबर है।”… लेकिन वे लोग हमारी बात मानने को तैयार ही नहीं होते। बोलते हैं- “अजी ! हद करते हैं। बीजेपी की वेबसाइट पर यही नंबर लिखा है। हमने वहीं से लिया है। ग़लत थोड़े न बोल रहे हैं।” इसके बाद वे हमें अपने सांसदों की आलोचना-सराहना, शिकायत-सुझाव बताने लगते हैं। हम कॉल कट भी कर दें, तो कॉलबैक कर देते हैं और आख़िरकार बात मनवाकर ही दम लेते हैं। हमारे पास उनकी बात मानने के सिवाय कोई चारा नहीं होता। वैसे, इस बातचीत के हम दोनों को ही फायदे हैं- पब्लिक को लगता है कि उनकी बात आप तक पहुंच गई और हमें भी कुछ देर के लिये यह महसूस होता है कि हम दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं।

अब देखिये न ! एक दिन सुबह-सुबह कॉल आता है। फोन उठाते ही कॉलर बोलता है कि “पात्रा जी ! मैं फलां जगह से फलां बोल रहा हूं। मोदी साहेब को कहिये कि 18-18 घंटे काम तो आप करते हैं। मगर आपके सांसद, मंतरी-संतरी आपके नाम पर भोट मांगकर जीत जाते हैं। और आपकी मेहनत पर 5 साल छककर मलाई खाते हैं। कछु काम नाही करवाते।”
इस बात पर हम उनको क्या ही कहते? सच्चाई जानते हैं, इसलिये “हम्म..हम्म” करते गये।
तिस पर सामने वाला चिढ़ गया, बोला- “सुन भी रहे हैं कि हम्म..हम्म किये जा रहे हैं, बताइये, बोलेंगे ना मोदी जी को?”
हम संभले, बोलना पड़ा- “महाराज ! इत्ती देर से आपकी ही तो सुन रहे हैं। आपका नाम लेकर बोलेंगे मोदी जी को कि ऐसे सांसदों, मंतरियों-संतरियों से हिसाब-किताब लिया करे। उनको बोले कि भइया कितने दिन तक ऐसे मलाई चट करोगे? कुछ भिकास करवाय दो जनता का। ओके?”
“हांअअअअ…तब ठीक है।” हमारी बात से सहमत होकर कॉलर ने फोन रख दिया।

इसी तरह एक और कॉल आया। कोई महिला बहुत सारी शिकायत से भरकर बोल रही थी कि “हमारे सांसद सार्वजनिक तौर पर कार्यक्रमों में लाखों-करोड़ों की घोषणाएं करते हैं, मगर कसम खाकर कहती हूं कि नेता जी चवन्नी तक नहीं दिलाते। वाहवाही लूटकर वोट तो बटोर ले जाते हैं, मगर कभी पलटकर उस घोषणा की बात तक नहीं करते। ऐसे कितने दिनों तक उल्लू बनाएंगे? ये पब्लिक है, सब जानती हैं। कह देना हमारे प्रधानमंत्री जी को।”

एक दिन तो हद ही हो गई। एक कॉलर ने कॉल करके पूछा कि “एम आई टॉकिंग टू मिस्टर पात्रा?”
अंग्रेजी सुनकर हम समझे कि चलो ये तो मान ही जायेगा कि उसने रॉन्ग नम्बर लगाया है। हमने कहा- “नो ! यू आर नोट. एक्च्युअली, यू हेव डायल्ड रॉन्ग नंबर..”
ये सुनते ही उसका मिजाज बिगड़ गया। बोला- “हे यू ! स्टॉप लाइंग. आई नोह, यू आर मिस्टर पात्रा. डॉन्ट ट्राई टू इग्नोर मी, ओके.”
हम हारकर बोले- “ओके… ओके. प्लीज़ काम डाउन एन्ड टेल, व्हाट डू यू वांट टू से?”

मोदी सा’ब ! उस बंदे ने एक-आध घंटे जो बकर-बकर की.. जो बकर-बकर की.. कि कोई हिम्मत वाला ही सुन सकता था। वो आपसे तो ख़ुश नज़र आया, मगर अपने सांसद से जीभर कर दु:खी दिखा। अब इस मसले पर भी आपसे क्या ही बोलें ? आप भी सब समझते हैं। हमने जैसे-तैसे उसको भी समझा-बुझाकर शांत किया।

बहरहाल, एक दिन तो एक बुजुर्ग ने डांटने के से लहजे में बोला कि “पात्रा जी ! पीएम मोदी से कहियेगा कि ऐसे लोगों को टिकट न दिया करे, जो डेपलेपमेंट का ‘डी’ तक नहीं समझते। बेड़ा गर्क कर दिया है हमारे इलाक़े का। हाथी के दांत दिखाने के और.. खाने के और..”
बुजुर्ग का लहजा इतना लाउड था कि हमसे तो कोई जवाब देते न बना। वो सुनाते गये, हम चुपचाप सुनते गये।

आदरणीय मोदी जी ! हमारे पास ऐसे किस्सों की लंबी फेहरिस्त है। किस-किस का ज़िक्र करूं? हमें यह रॉन्ग नम्बर वाली समस्या पिछले 6-7 साल से आ रही है। ज़रा सोचिये, हमने इतने बरसों में कितने कॉल रिसीव किये होंगे? कभी आप तक कोई बात न पहुंचने दी। जनता सुनाती गई, हम चुपचाप सुनते गये। मगर आपके सांसदों की शिकायतों का तो मानो अब समंदर ही आ चुका है। हमसे संभाले नहीं संभल रहा। कृपया इस समस्या का समाधान निकालिएगा।

आपसे गुज़ारिश है कि या तो अपने सांसदों को उनके संसदीय क्षेत्र में काम करवाने का बोलिये, उनसे उनके क्षेत्र में विकास का लेखा-जोखा पूछिये… या फिर साम्बित पात्रा जी को बोलकर उनका मोबाइल नंबर बदलवा दीजिये। हमारे वश में होता तो हम हमारे ऑफिस का नंबर कब का चेंज कर लिये होते, मगर पब्लिक से कैसे संपर्क तोड़ लें? आखिर पब्लिक ही तो हमारी अपनी है। इसीलिये डायरेक्ट आप ही को अर्ज़ी लगानी पड़ रही है। और हां, माफ कीजियेगा.. मैं इस गम्भीर मुद्दे पर व्यंग्य से शायद ही हंसाने में ‘कामयाब’ हो पाया होउंगा।

बहरहाल, मोदी जी ! आप तो मेरा इतना सा काम कर दीजिये। कृपा करके हमें इस सेवा से निवृत कीजिये।

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