meri baat

मेरी बात : सच्चे पत्रकारों का साथ दीजिये, ये ही आपकी आवाज़ बनेंगे

छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या कर दी गई। आरोप है कि सुरेश चंद्राकार नाम के एक ठेकेदार ने उनकी हत्या करवा कर शव अपने यहां सेप्टिक टैंक में चुनवा दिया. इस ठेकेदार का कांग्रेस पार्टी से जुड़ाव भी…

मेरी बात : ये ‘हत्या’ भारत के पत्रकारों की सुरक्षा पर तमाचा है

नये साल का आग़ाज़ हो चुका है। नये साल की खुमारी उतरी भी नहीं होगी कि एक ख़बर ने कई चेहरे उतार दिये हैं। ऐसी ख़बर, जो ‘हाड़ कंपा देने वाली सर्दी’ में रूह को भी कंपा दे। ख़बर है…

मेरी बात : “..बोला था न उलटा-सीधा सवाल नहीं करेंगे।”

बीबीसी का कैमरा रोल कर रहा था। बीबीसी संवाददाता- अंशुल सिंह नए-नवेले नेता और मास्टर सा’ब अवध ओझा का इंटरव्यू कर रहे थे। सवाल-जवाब का दौर जारी था। अंशुल सवाल पूछते हैं कि “क्या पहले की तरह अब भी वो…

मेरी बात : दीपक जी ! बीकानेर की ‘बदहाली’ से किसे क्या फर्क पड़ता है?

“आजकल किसी को भी बीकानेर लाते हैं तो बेइज़्ज़ती सी फील होती है। यह फीलिंग जितनी कम होगी, उतना अच्छा होगा। बीकानेर का इंफ्रास्ट्रक्चर तो लाजवाब हो रखा है इन दिनों। पूरे भारत में प्लास्टिक बैन है लेकिन हमारे यहां…

ग्राउंड रिपोर्ट : श्रीकोलायत की ‘पूर्णता’ अभी बाक़ी है

पहले पहर की सुबह। ख़बर अपडेट की कार.. बीकानेर से कोलायत की दूरी को कम करती जा रही थी। हम ज्यों-ज्यों आगे बढ़ रहे थे, त्यों-त्यों कई चीज़ें पीछे छूटती जा रही थी, जैसे- बीकाजी के दीपक अग्रवाल का शहर…

मेरी बात : मोदी जी ! जो बात आपके ‘मंतरी’ न कह सके, वो राजस्थानी लेखक की ‘ख़ामोशी’ कह गई

कहते हैं- ख़ामोशी में बहुत तेज़ ‘गूंज’ होती है। लेकिन.. इसे सुन वही सकता है, जिसमें उसे सुनने की क्षमता और चाहत हो। 27 अक्टूबर को बीकानेर का रोटरी क्लब के ‘राजस्थानी भाषा समारोह’ में एक ऐसी ही ‘गूंज’ सुनाई…

मेरी बात : लखावत बोले- “मैं राजनीति नहीं जानता”। लेकिन उनकी यह बात मानने में नहीं आती

बात पिछले साल की है। राजस्थान में चुनावी मौसम चल रहा था। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी का जयपुर दौरा होता है। प्रधानमंत्री की अगुवाई के लिये प्रदेश नेताओं की हौड़ मच जाती है। लेकिन.. प्रदेश नेतृत्व ने कुछ और…

मेरी बात : बीकानेर के इस ‘रावण’ का संहार कौन करेगा?

विजयादशमी शुभ हो। आज ही तो पुरुषोत्तम श्रीराम ने लंकापति रावण का संहार किया था। आज ही के दिन दंभ हारा था, अन्याय का अंत हुआ था। आज ही तो श्रीराम की जय-जयकार हुई थी। ख़बर अपडेट के सभी पाठकों/दर्शकों…

व्यंग्य : मोदी जी ! मेरा इतना सा काम कर दीजिये

आप में से ज़्यादातर लोगों ने कॉमेडी फिल्म ‘हेराफेरी’ ज़रूर देखी होगी। इस फिल्म में जो परेशानी बाबूराव को थी, ठीक वैसी ही परेशानी से मैं पिछले कई बरसों से जूझ रहा हूं। इस उलझन की सुलझन सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी…

मेरी बात : आइए, ऐसा करके पत्रकारिता की ‘तसवीर’ बदलें

पत्रकार बंधुओ ! कुछ दिन पहले मैंने मीडिया की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताते हुए एक आलेख (यहां पढ़ें- पत्रकारो ! जागो..) लिखा था जिसमें आप सबसे जानना चाहा था कि क्या ऐसा कुछ नहीं किया जा सकता- जिससे मीडिया…