बीकानेर में 15 अगस्त 2024 को करणी सिंह स्टेडियम में आयोजित मुख्य स्वाधीनता दिवस समारोह के तुरंत बाद सर्किट हाउस में आयोजित एटहोम समारोह में सूचना और जन संपर्क विभाग की तरफ से प्रेस को भी आमंत्रित किया गया। यह परंपरा चली आ रही है कि इस दौरान प्रेस के लोग मंत्री और प्रशासन के साथ जनहित के मुद्दों पर चर्चा करते हैं। सुझाव और सवाल भी होते आए हैं। इस एटहोम में मंत्री सुमित गोदारा और जिला कलेक्टर नम्रता वृष्टि पूरे समय आपसी बातचीत में उलझे रहे। इन दोनों के संवाद पर अभिवादन करने और बातचीत के इंतजार में बैठे लोगों की नजरें टिकी रहीं।
खैर, ऐसे लोग कुछ समय बाद ही स्थिति को भांपकर नाश्ते की टेबल पर चले गए। फिर भी मंत्री और कलेक्टर आपसी बातचीत में उलझे रहे। उनको ये भान तक नहीं हुआ कि वे किसी सार्जनिक कार्यक्रम में मौजूद हैं। उनकी बातचीत की भाव-भंगिमा पर एक पत्रकार ने आपसी टिप्पणी में कहा कि “शायद मंत्री जी कलेक्टर की कार्यशैली से नाराज़ हैं। लगता नहीं अब कलेक्टर मैडम ज़्यादा दिन बीकानेर में टिक पाएंगी।” दूसरे ने कहा- हो सकता है कलेक्टर मंत्री के रवैए से दु:खी हो और अपना दुखड़ा रोने का अब ही मौक़ा मिला हो। भले ही ये बातें कयास हो लेकिन जिस हाव-भाव से मंत्री और कलेक्टर बातचीत कर रहे थे, वहां आए लोगों में उसका अच्छा संदेश नहीं गया। यही माना गया कि मंत्री और कलेक्टर के बीच किसी बात को लेकर तनाव है।
उनकी इस तरह की आपसी बातचीत का वहां आए लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा होगा? ये मंत्री जी और कलेक्टर साहिबा ख़ुद समझ सकते हैं। वे इसका कुछ भी प्रभाव माने, लेकिन उनका रवैया सामान्य शिष्टाचार के विरुद्ध तो था ही। इससे उनके सार्वजनिक कार्य व्यवहार और सामान्य प्रोटोकॉल पर भी सवाल उठता है। ज़रूर दोनों के बीच कोई महत्वपूर्ण या ज्वलंत मुद्दा रहा होगा लेकिन किसी सार्वजनिक समारोह में उनकी इस तरह की बातचीत का उनकी छवि पर क्या इंप्रेशन देता है, ये वे ख़ुद समझ सकते हैं।
कलेक्टर और मंत्री कोई एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पद हैं। इन पदों की अपनी मर्यादाएं होती हैं। अगर इन पदों के लोग साधारण शिष्टाचार का भी उल्लंघन करते हैं तो उनके इन पदों की गरिमा घटाते है। खैर, हुआ सो हुआ। प्रेस के लोगों ने अपना काम किया। आमंत्रित लोगों ने स्वाधीनता दिवस पर एटहोम में खाने का लुफ़्त उड़ाया। जन संपर्क विभाग ने प्रेस को आमंत्रित कर पूरा सम्मान दिया।
इतिश्री।