विमर्श : जेठानंद जी ! कल्ला जी से बड़ी लकीर खींचने की ज़रुरत है

जेठानंद व्यास की पहचान एक संघनिष्ठ नेता के तौर पर रही है। धर्म यात्राओं ने उन्हें हिंदुवादी नेता के तौर पर स्थापित करने का काम किया है। 2023 राजस्थान विधानसभा चुनाव ने उन्हें एक और पहचान दी- बीकानेर पश्चिम विधायक की। चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें कई बड़े वादे करते देखा-सुना गया और चुनाव जीतने के बाद यह कि “मैं 5 साल में बीकानेर का नक्शा बदल दूंगा।” इन तमाम बातों को डेढ़ साल का अंतराल हो चुका है। अब तक वे इन्हें पूरा करने की दिशा में कितना बढ़ पाये हैं? ये विश्लेषण करने की ज़रुरत है।

आपने देखा कि डॉ. बी. डी. कल्ला चुनाव हार गए। उनका नाम प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार रहा है। वे राजस्थान में कांग्रेस सरकार में कई बार कैबिनेट मंत्री रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे हैं। कल्ला डॉक्टेरट हैं और विजनधारी नेता हैं। राजनीति ही नहीं बल्कि धर्म, संस्कृति, समाज विज्ञान समेत कई विषयों के जानकार हैं। बीकानेर ही नहीं, प्रदेश और देश में भी उनकी पैठ रही है। इतना सब होने के बावजूद, वे चुनाव हार गये। क्यों? फिलहाल इसका विश्लेषण करने की जरुरत नहीं, बल्कि इस बात का विश्लेषण करने की है कि जेठानंद व्यास क्यों जीत गये। क्योंकि मतदाताओं को उनसे ज्यादा उम्मीदें थीं।

जेठानंद व्यास संघ समर्थित और संघर्ष से उठे व्यक्ति हैं। वे जनता के बीच रहते हैं, उनकी समस्याएं सुनते हैं। जनहित के मुद्दों की बात करते हैं, कड़ी मेहनत करते हैं। लेकिन… इन सबका असर धरातल पर दिखाई नहीं देता। क्यों? सवाल यह है कि उनका विजन क्या है? वे मुद्दों को कितना बेहतर समझते हैं? उनका वास्तविक मुद्दों की तरफ कितना ध्यान है? मिसाल के तौर पर, विधायक बनते ही उन्होंने कोटगेट पर अण्डर ब्रिज बनाने का मुद्दा उठाया, लेकिन परिणाम क्या निकला? वे बीकानेर विकास प्राधिकरण को लेकर कलेक्टर के आमने-सामने हुए। परिणाम क्या निकला? पीबीएम अस्पताल के अधीक्षक को हटाया। अब अगर वे किसी ई-मित्र पर जाकर ज्यादा पैसे लेने जैसे मुद्दे उठाएंगे तो वास्तविक मुद्दों की तरफ कैसे ध्यान दे पाएंगे? आख़िर एक विधायक के रूप में उनकी ऊर्जा कहां ख़र्च हो रही है? क्या वे इस तरह 5 साल में बीकानेर का ‘नक्शा’ बदलेंगे? इस तरह के तमाम सवाल उनके लिये ‘शूल’ बनते जा रहे हैं।

बात विधायक व्यास की आलोचना की नहीं है, बल्कि उनके विधानसभा क्षेत्र की जनता के प्रति जबावदेही की है। जितना ज़रुरी विधायक चुना जाना है, उससे कहीं ज्यादा जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना है। व्यास को लेकर अब दबी जुबान से निराशाजनक बातें आने लगी हैं। उन्हें संभलने की ज़रुरत है, अन्यथा उनका राजनीतिक भविष्य चुनौतीपूर्ण हो सकता है। उन्हें समझना चाहिये कि कई लोग.. अपने स्वार्थ के लिये सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं पर डोरे डालते हैं। ऐसे लोग नेताओं-अफसरों से निकटता दिखाकर, मीठी बातें करके स्वार्थ सिद्ध कर लेते हैं और नेता इस भ्रम में रहते हैं कि वे जनहित में लगे हैं। जबकि असल में उसमें हित उन स्वार्थी लोगों का होता है। पहले के विधायक भी ऐसे लोगों से बचे रहे या नहीं, इसका आकलन वे ख़ुद ही कर सकते हैं।

बहरहाल, बीकानेर संभाग मुख्यालय है। रियासत काल में रजवाड़ा रहा है। संभाग मुख्यालय के विधायकों की एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। बीकानेर पश्चिम के विधायक व्यास के कंधों पर भी एक बड़ी जिम्मेदारी है। जनता को उनसे बड़ी उम्मीदें है, उन्हें उन पर खरा उतरने की कोशिश करनी चाहिये। अपनी ऊर्जा, समय और समर्पण को सही दिशा देनी चाहिये। जेठानंद व्यास को जननायक के रूप में अपने व्यक्तित्व को निखारने की ज़रुरत है। उन्हें पूर्व विधायक कल्ला के राजनीतिक प्रतिमानों से आगे बढ़कर काम करने की ज़रुरत है। एक जनप्रतिनिधि के रूप में.. कल्ला से भी बड़ी लकीर खींचने की ज़रुरत है। अपने वादों को दावों में तब्दील करने की ज़रुरत है। वाकई में ‘नक्शा’ बदलने की ज़रुरत है। तभी वे सच्चे अर्थों में एक जनप्रतिनिधि का दायित्व निभा पाएंगे। साथ ही, अपने राजनीतिक भविष्य का भी संरक्षण कर पाएंगे।

2 thoughts on “विमर्श : जेठानंद जी ! कल्ला जी से बड़ी लकीर खींचने की ज़रुरत है

  1. If every leader, makes a schedule and raises a problem every day and then starts solving it, instead of going to some program every day and giving a speech for 2.5 hours, the leader will be able to make his existence meaningful

  2. LAGTA HAI ……YE AAM DHARNA JAISE HO GYI HAI ………………..CHUNAV SE PAHLE BADE BADE VAADE KARO ………JANTA KO RIZAO……….CHUNAV JEETO …………..OR 5 SAAL KHUB RUPIYA KAMAO ………….AGAR 5 SAAL BAAD CHUNAV FIR SE JEET JYE TO ACCHA VARNA..GOA BANGKOK MALDIVS JAISI JAGHO PAR JA KAR SANSYAAS LE LO JANTA OR JILE KA KUCH MT SOCHO………NETAO KO PATA HOTA HAI KI JANTA PURNROOP SE MURKH HAI …………OR KUCH KO MURKH KAISE BANANA HAI ……………NETA EK DUSRE KO NICHA DIKHANE KI HOD ME LAGE RAHTE HAI ……….NETAO KO IS BAAT KA VAHAM HOTA HAI KI HUM TO AJAR AMAR HAI ……..HAMARA KOI KUCH KYA BIGAD SAKTA HAI ……….CHAHE JANTA HO YA BHAGWAN ……………KYA KALLA JI OR KYA JETHANAND JI …….SB EK HI THALI KE HAI

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