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मेरी बात : कांग्रेस द्वारा अर्जुन राम के विरोध का यह ‘तरीक़ा’ कितना सही है?

देशनोक ओवरब्रिज हादसे को लेकर बीकानेर जिला कलेक्ट्रेट के सामने 9 दिनों से धरना जारी है। इस हादसे में एक ही परिवार के 6 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद मृतकों के परिवार को आर्थिक मदद देने की मांग उठ रही थी। …लेकिन विडंबना की बात रही कि 1 महीना से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी न तो शासन ने संवेदना दिखाई और न ही प्रशासन ने। ऐसे में जनता का गुस्सा फूटना लाजमी था। और फूटा भी। नाराज़ लोग अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गये। सोमवार को बीकानेर बंद भी रखा गया। इस धरने की अगुवाई पूर्व कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल, केश कला बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष महेंद्र गहलोत और रामनिवास कूकणा कर रहे हैं।

कल शाम भी बीकानेर ज़िला कलेक्ट्रेट के सामने विरोध के सुर मुखर हुये। कांग्रेस नेता महेन्द्र गहलोत, रामनिवास कूकणा, संघर्ष समिति के सदस्य और सैन समाज समेत वहां मौजूद सैंकड़ों लोगों ने बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल का पुतला जलाकर विरोध दर्ज कराया। यहां तक तो ठीक था, लेकिन इसके बाद जो कुछ किया गया, उसे भारतीय समाज कतई स्वीकार्यता नहीं देता। विरोध करने के उस ‘तरीके’ पर सवाल उठने लगे हैं।

सबसे पहले तो “अर्जुन राम मुर्दाबाद..” के नारे बुलंद किये गये, फिर मेघवाल का पुतला जलाया गया। लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसे स्वच्छ राजनीति में कतई जगह नहीं मिल सकती। मुझे लिखते हुए अच्छा नहीं लग रहा लेकिन आपको बताना जरुरी है, इसलिये लिख रहा हूं। जलते पुतले के सामने “राम नाम सत्य है..” “होय अर्जुनी.. रे..” के नारे लगाये गये। इतने भर से जी नहीं भरा, तो जलते पुतले को देखकर झूठे ‘रोने’ और ‘मातम’ मनाने का दौर चला। अजी ! हद तो तब हो गई, जब कांग्रेसी नेताओं ने जलते हुए पुतले की बाकायदा परिक्रमा भी लगा डाली। उफ्फ ! ज़रा सोचिये, विरोध का ये तरीका तब कितना घिनौना रहा होगा, जब जीवित व्यक्ति का नाम लेकर.. उनके लिये.. ऐसे ‘क्रियाकर्म’ किये गये। आप इस वीडियो में (यहां CLICK करें) देख सकते हैं।

सवाल उठता है कि क्या बीकानेर की राजनीति में विरोध जताने का इससे बेहतर तरीक़ा नहीं है? क्या कांग्रेस नेताओं को इल्म नहीं है कि ऐसे विरोध से समाज पर क्या असर पड़ेगा? क्या विरोध का यही एकमात्र तरीक़ा बचा है? दूसरी बात, कांग्रेस के पूर्व विधायक और अन्य नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना कर रहे हैं और केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का पुतला जला रहे हैं। जबकि इस घटना के लिए न तो मोदी जिम्मेदार है और न ही अर्जुन राम। जिम्मेदारी है तो राजस्थान सरकार और प्रशासन की है। फिर मोदी को गाली और अर्जुन राम का पुतला क्यों जलाया जा रहा है? राजस्थान सरकार और प्रशासन से जवाबदेही क्यों नहीं मांगी जा रही? मोदी-मेघवाल का विरोध करना तो अपनी सियासी रोटियां सेंकने जैसा हुआ न? हां, इस बात को भी यहां नकारा नहीं जा सकता कि जब अर्जुन राम मेघवाल देशनोक में कबीर के गीतों का लुत्फ उठाने और मंच पर गीत गाने जा सकते हैं, तो वे इन परिवारों का दु:ख साझा करने क्यों नहीं जा सकते थे? उन्हें जाना चाहिये।

वहीं, इस धरने का नेतृत्व करने वाले गोविंद राम मेघवाल को समझना होगा कि ऐसे विरोध से उनकी छवि ही ख़राब होगी। ऐसे विरोध को अर्जुन राम से खुन्नस निकालने के अलावा अन्य कोई नाम नहीं दिया जा सकता। अर्जुन राम के राजनीतिक जीवन में अलोचना के कई बिन्दु हो सकते हैं, लेकिन इस घटना के प्रति उनमें मौजूद मानवीय संवेदनाओं को कतई नकारा नहीं जा सकता। ऐसे विरोध से पीड़ित परिवारों को भी न तो संबल मिलेगा और न ही संवेदनाएं। उल्टा, जनता में ग़लत संदेश ही जाएगा, जिससे गोविन्द राम की छवि को सीधा नुक़सान होगा। कुल मिलाकर, कांग्रेस को विरोध के ऐसे तरीक़ों पर मंथन ज़रूर करना चाहिये।

Note- इस आर्टिकल पर अपनी राय हमें नीचे कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं।

3 COMMENTS

  1. न्यूज़ पढ़ते वक्त ऐसा लगा जैसे बड़े प्यार से गाल सहला रहे हो……………?????????

  2. राजनीति का स्तर इतना गिर सकता है यह कल्पना से परे है विरोध करने के और भी तरीके हैं। जनता के चुनें हुए एडम माननीय मंत्री का विरोध का यह तरीका घोर निंदनीय है।

  3. Bikaner’s culture is to give respect to everyone – even if that person is your opponent – that should be adopted by Congress persons also. First they are Bikaneri – then Congressi. They should start respecting everyone and present an example of how Congress of Bikaner is different from other Congress…..

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