विमर्श : अपनों ने ही फूंका भजन लाल सरकार के खिलाफ विरोध का बिगुल
शनिवार को बीकानेर के भीनासर के मुरली मनोहर मैदान में गाय-गोचर के मुद्दे पर प्रदेश सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें राज्यभर से आये साधु-संतों, गोपालकों-गोप्रेमियों ने भजन लाल सरकार के खिलाफ विरोध का स्वर मुखर किये। ये सब वही संत और गौभक्त थे, जो गाय-गोचर की वजह से कभी भारतीय जनता पार्टी के गुणगान करते नहीं थकते थे। अब ये लोग सार्वजनिक मंचों से भजन लाल सरकार की आलोचना कर रहे है। भाजपा के वरिष्ठ नेता देवी सिंह भाटी ने मंच से आवाज़ बुलंद करते हुए कहा है कि “वे 3-4 दिन में बड़े आन्दोलन, विशाल अनिश्चित कालीन धरना देने की घोषणा करने वाले हैं। इसके लिये अगर देह भी त्यागनी पड़े, तो त्याग दूंगा। वाजिब बात है यह लड़ाई लम्बी लड़नी पडेगी। सभी संगठन रखों। चुनाव में भाग मत लो। सारे समर्थक एक हो जाओ।”
वैसे, सरकार गठन के बाद से कांग्रेस तो भजन लाल सरकार की आलोचना कर ही रही है कि मुख्यमंत्री कमजोर है, अफसर.. सरकार चला रहे हैं। सरकार नाम की कोई व्यवस्था नहीं है। खैर.. कांग्रेस के इन आरोपों को विपक्ष के आरोप बताकर खारिज किये जा सकते हैं, लेकिन क्या हो, जब भाजपा के विधायक भी दबी जुबान से कहने लगे कि “सरकार में उनकी नहीं सुनी जाती। अफसर मनमानी करते हैं।” वहीं, जनता में भी आमतौर पर यह खुसर-फुसर चलती रहती है कि सरकार कमजोर है। जनता की कोई सुनवाई नहीं है, अफसर मनमानी करते है। इससे भी बड़ी बात पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ने इस मंच से कही कि “गोचर के मामले में वे मुख्यमंत्री और अन्यों से मिले। मुख्यमंत्री ने जो निर्देश दिए, प्रशासन उनकी पालना ही नहीं कर रहा है। मैंने ऐसी कमज़ोर सरकार नहीं देखी। भला ऐसा कैसे हो सकता है कि सरकार के निर्देश.. प्रशासन नहीं माने? प्रशासन खड़े-खड़े पेशाब नहीं कर दे? असल बात तो यह है कि सरकार में दम नहीं है। सरकार के 2 सालों के काम से आम जन संतुष्ट नहीं है। लोगों को सरकार पर भरोसा नहीं है। इसीलिये लोगों ने राजस्व शिविरों में जाना बंद कर दिया है।
इस मंच से जो भी वक्ता आए, उन्होंने गाय-गोचर मुद्दे पर सरकार की जमकर भर्त्सना की। फिर चाहे बोलने वाला चाहे संत हो या कोई गोभक्त। सरकार को चेतावनी भी दे डाली कि संभल जाइये सरकार, नहीं तो खैर नहीं। देवी सिंह भाटी ने तो खुल्लम-खुला सरकार के खिलाफ आव्हान कर दिया कि “गोचर के मुद्दे पर प्रतिनिधियों ने कितनी ही बार मंत्रियों के आगे हाथ जोड़े, ज्ञापन दिया लेकिन कुछ फर्क पड़ा क्या? गोचर की जो बात रखी, सही बात है। अब एक बार मन बना लो। सबसे बात करो। फिर निर्णय करो। जो कदम उठाओगे, महसूस हो जाएगा सरकार को।
भाटी ने गोचर आन्दोलन से जुड़े प्रदेशभर से आए लोगों से सवाल किया कि सरकार ! आप से क्यों डरें? सरकार को हिलाने के लिए आंखें दिखाने वाला चाहिए। सरकारें बहुत कमजोर होती है। आप तय कर लो कि कोई चुनाव या सरकारी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे। सब वोट और सत्ता की चिन्ता में रहते हैं। भाटी और सभी वक्ताओं ने इस मंच से सरकार की नाकामी को उजागर किया। वहीं प्रशासन की मनमानी और अनदेखी पर रोष जताया। भजन सरकार के खिलाफ प्रदेश के गोचर आन्दोलन के प्रतिनिधि लोगों का यह बिगुल सरकार को भारी पड़ सकता है, क्योंकि इसका संदेश व्यापक स्तर पर जाने वाला है।
