विमर्श: प्रशासन के रवैये से सरकार की साख धूमिल

बीकानेर विकास प्राधिकरण का मास्टर प्लान-2043 लगातार सुर्खियां बटोर रहा है। इस मास्टर प्लान के गोचर ओरण को शामिल करने के एक तरफा प्रस्ताव को जहां कुछ लोग प्रशासन की कार्य दक्षता का ‘नमूना’ बता रहे हैं तो वहीं कुछ लोग इसे जन समस्याओं की अनदेखी का ‘पर्याय’ बता रहे हैं। बीकानेर की अधिकांश जनता इसका घोर विरोध ही कर रही है। वैसे तो यह विरोध प्रशासन के रवैये को लेकर है, लेकिन धीरे-धीरे ये राजस्थान सरकार के प्रति के चलते नाराजगी में तब्दील हो रहा है। बीकानेर में कांग्रेस लगातार आन्दोलनरत है और जनता त्रस्त। यह बात बीकानेर पश्चिम के विधायक जेठानंद व्यास और श्रीकोलायत विधायक अंशुमान सिंह भाटी ने सरकार तक भी पहुंचाई है। निश्चित तौर पर बीडीए के मास्टर प्लान- 2043 की वजह से राजस्थान सरकार की छवि धूमिल हुई है। आश्चर्य तब होता है कि प्रशासनिक अधिकारियों के रवैये के खिलाफ जनता, सत्तापक्ष के विधायक और विपक्ष की भूमिका में कांग्रेस विरोध जताती रही है फिर भी सरकार चुप है। सीएस को बीडीए के मास्टर प्लान में रही खामियों के जिम्मेदार अधिकारी को तत्काल हटाना चाहिए। जनता में नाराजगी बढ़ती जा रही है। सरकार की छवि खराब हो रही है। विपक्ष को सरकार को कोसने के अवसर मिल रहे हैं फिर क्यों ऐसे अधिकारियों को बख्शा जा रहा है?

बीकानेर जिले में राजस्थान में भाजपा सरकार बनने के बाद कांग्रेस के दो बड़े आन्दोलन हुए एक देशनोक ब्रिज पर दुर्घटना से मृतकों को मुआवजा देने तथा दूसरा नहरों में 4 में से 3 वरीयता का पानी देने को लेकर हुआ। दोनों ही आन्दोलन में सरकार की जमकर थू-थू हुई। कांग्रेस के आन्दोलन सफल रहे। सरकार को बात माननी पड़ी। ये दोनों आन्दोलन प्रशासन की नाकामी के कारण हुए। सरकार में इस बात को लेकर कोई चिन्ता नहीं है कि सरकार के प्रति जनता में नाराजगी बढ़ती जा रही है। विधायकों की न तो प्रशासन सुनता है और न सरकार में कोई तरजीह है। हालात यह है कि अधिकारी विधायकों से आंख तक नहीं मिलाते। मंत्रियों से कम वे झांकते ही नहीं है। ऐसे में जनता की कौन सुनता है? मंत्रियों की अनुशंसा पर ही ज्यादा ध्यान रहता है। रही जनता की आम समस्याओं की तो उसे लेकर तो विधायक तक परेशान है। अफसरों का रवैया कैसा है यह बात बीकानेर के लोग खुद ब खुद ही बात देते हैं। दूसरा अवैध खेजड़ी कटाई और बीडीए के नगरीय विकास के प्रस्ताव से तो प्रशासन के रवैये से जनता में जबरदस्त नाराजगी है। हालात यह हो गई है कि जो लोग कभी भाजपा के कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे वे अब कोस रहे हैं। राजस्थान में बीकानेर जिला भाजपा का गढ़ माना जाता है। इस विधानसभा में सात सीटों में से छह भाजपा विधायकों की है। सांसद मोदी के नाम पर हर बार जीतते रहे हैं। अब जनता का सरकार के प्रति तिलिस्म टूटता जा रहा है।

बीडीए के मास्टर प्लान को लेकर तो सरकार की जमकर फजीहत हुई है। जिला कलक्टर तो इस मुद्दे पर लोगों की बात तक सुनने को तैयार नही थी। उनके इस रवैये के चलते ही पूरे जिले के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और आपत्तियां दर्ज करवाई। अब लोग गोचर के मुद्दे पर भडके हुए हैं। हद तो तब हुई जब यहां के विधायकों ने जिला कलक्टर से इस मुद्दे पर बात करना ही उचित नहीं समझा। प्रशासन के मंत्री उन्मुख रवैयै के चलते बीकानेर पश्चिम विधायक जेठानंद व्यास और कोलायत विधायक अंशुमान सिंह भाटी ने जयपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वार खटखटाए। संघ के क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम से भेंट की। मुख्यमंत्री के विशिष्ट सचिव संदेश नायक से मिले। इन दोनों को प्रशासन के रवैये और जनता की प्रतिक्रिया की जानकारी दी। विधायक व्यास और भाटी ने बीकानेर विकास प्राधिकरण की ओर से बनाए मास्टर प्लान 2043 के प्रारूप में गोचर भूमि के अधिग्रहण के प्रस्ताव को रद्द करने का आग्रह किया। बताया कि मास्टर प्लान में शहर से लगती 40 हजार बीघा गोचर भूमि, 188 गांवों की ओरण-गोचर तथा जोहड़ पायतान भूमि के अधिग्रहण किया गया है जो स्वीकार्य नहीं है। गोचर भूमि का अन्यत्र उपयोग कानूनन गलत है। साथ ही स्थानीय नागरिकों में भी इस प्रस्ताव के प्रति रोष है। मास्टर प्लान 2043 के प्रस्ताव पर अब तक हजारों की संख्या में आपत्तियां दर्ज करवाई गई है। इसे रद्द किया जाए। विधायकों ने तो यहां तक कहा कि “ जिला प्रशासन तथा बीकानेर विकास प्राधिकरण के इकतरफे प्रस्ताव के कारण सरकार की छवि भी प्रभावित हो रही है।“ सवाल यह है कि सरकार का और मुख्य सचिव का जिला प्रशासन के अफसरों पर कोई नियंत्रण है अथवा नहीं? जनता में नाराजगी, सरकार, जनप्रतिनिधियों और ब्यूरोक्रेसी की छवि क्यों खराब होने दी जा रही है?

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