विमर्श : समाज विकास का अच्छा मॉडल : विप्र फाउंडेशन

विप्र फाउंडेशन.. यानी देश का सबसे बड़ा सक्रिय जातीय संगठन। जो कि 400 जिलों में सक्रिय है। इस संगठन से देश-विदेश से ब्राह्मण समाज की 60 न्यातों के लोग जुड़े हुए हैं। साल 2010 में ‘राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता और स्वजातीय गतिशीलता’ के उद्देश्यों को लेकर इस संगठन का गठन किया गया था। भावना यह थी कि ब्राह्मण स्वयं तेजस्वी बनकर देश के सभी समाजों को तेजस्वी बनाएगा। इस बात को आज 15 साल बीत चुके हैं। इतने बरसों में यह संगठन अपने उद्देश्यों की पूर्ति की दिशा में तेज़ी से अग्रसर हुआ है। यह कहने में गुरेज नहीं कि विप्र फाउंडेशन के प्रयासों से समाज में समरसता और सौहार्द का संचार हुआ है। समाज.. धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिक क्षेत्र में आगे बढ़ा है। संगठन ने शिक्षा, संस्कार, रोजगार की दिशा में उम्दा काम किया गया है।
बहरहाल, भारत विभिन्न जातियों और समाजों वाला देश है। हर जाति-समाज की अपनी सांस्कृतिक और जातीय विशेषतायें हैं। समृध्द परम्पराओं वाले समाज के विकास में संगठित होकर कैसे आगे बढ़ा जा सकता है, ये विप्र फाउण्डेशन मॉडल के जरिये समझा जा सकता है। कोई समाज अपने सांगठनिक बूते पर विभिन्न क्षेत्रों कैसे आगे बढ़ सकता है, यह विप्र फाउण्डेशन की कार्य प्रणाली, सांगठनिक ढांचे और लाखों कार्यकर्ताओं की टीम से समझा जा सकता है।
विप्र फाउण्डेशन का अन्तराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राज्य और जिला, तहसील और गांव स्तर का संगठन बना हुआ है। लोग अपने समाज की शिक्षा, संस्कार, रोजगार को लेकर प्रयासरत है। इतना ही नहीं, पूरे समाज में इस संगठन की विश्वनीयता है। समाज के लोगों ने आपसी सहयोग से विप्र एक्सीलेंस सेंटर, छात्रावास, कौशल विकास केन्द्र, कोचिंग सेन्टर बनाया है। देशभर में छात्राओं को समाज अपने स्तर पर एज्यूकेशन लोन दे रहा है। जहां समाज की कोई जरुरत है, उसे आपस में मिलकर पूरा करने की कोशिश करते हैं। विप्र फाउण्डेशन की सरकारों में इतनी साख है कि इसकी अनुशंसा पर राजस्थान में विप्र कल्याण बोर्ड और 4 राज्यों में ब्राह्मण कल्याण बोर्ड गठित है।
यह संगठन राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्र और समाज कि उत्थान की भावना से काम करता है। क्या सांसद, क्या विधायक और क्अया ही अन्य जनप्रतिनिधि.. हर कोई विप्र फाउण्डेशन के मंच पर आना चाहता है। सरकार, जनप्रतिनिधि और ब्यूरोक्रेसी विप्र फाउण्डेशन की बात को अनसुना नहीं कर सकते। यह संगठन सभी राजनीति दलों के साथ समता का व्यवहार रखता है। समाजों का राष्ट्रीय हित में समग्र विकास ही राष्ट्रीय विकास है। हर समाज को संगठित होकर सामूहिक विकास की बात इस मॉडल पर सोचनी चाहिए। देश का कोई भी समाज इस मॉडल को अपनाकर अपना विकास कर सकता है।