बीडीए पर सख्त हुआ रेरा, जारी किया ‘कारण बताओ नोटिस

बीकानेर विकास प्राधिकरण की ‘जोड़बीड़ आवासीय योजना’ फिर से सुर्खियों में है। इस बार वजह है- रियल एस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी (रेरा) द्वारा जारी ‘कारण बताओ नोटिस’। इस नोटिस में रेरा ने बीडीए से जोड़बीड़ आवासीय योजना को रेरा में पंजीकृत न करवाने का कारण पूछा है। आज 3 सितंबर को जारी किये नोटिस में रेरा ने कहा है कि-
• अधिनियम की धारा 3 के अनुसार, सभी रियल एस्टेट परियोजनाओं का रेरा में पंजीकरण ज़रुरी होता है।
• बिना पंजीकरण किसी भवन, भूखंड खरीदने के लिये विज्ञापन, विपणन, बिक्री या अन्य तरीकों से लोगों को आमंत्रित नहीं किया जा सकता।
• बीडीए द्वारा ‘जोड़बीड़ आवासीय योजना’ रेरा में पंजीकरण प्राप्त नहीं किया गया है, जो कि रियल एस्टेट एक्ट, 2016 का उल्लंघन है।

इस मामले में स्पष्टीकरण और सुनवाई के लिये रेरा ने बीडीए को 16 अक्टूबर को सुबह 11 बजे उपस्थित होने को कहा है। नियमों की पालना न करने पर प्रमोटरों को 3 साल की जेल या परियोजना की लागत का 10% तक जुर्माना या दोनों से दंडित करने की बात भी लिखी गई है।
आपको बता दें कि रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) का उद्देश्य- संपत्ति खरीदारों के हितों की रक्षा करना और खरीदारों-बिल्डरों के बीच विवादों से बचना है। यह सुनिश्चित करता है कि डेवलपर बिक्री समझौते के अनुसार जो वादा करता है, उसे पूरा करें। अगर कोई प्रोजेक्ट रेरा-पंजीकृत है, तो खरीदार प्रोजेक्ट की प्रगति को ट्रैक करने और शिकायत दर्ज करने में सक्षम होते हैं। वहीं, अगर कोई प्रोजेक्ट रेरा में पंजीकृत नहीं है तो ऐसी स्थिति में खरीदारों को परेशानी हो सकती है, जैसे- वादा की गई सुविधाएँ न मिलना, प्रोजेक्ट में देरी या किसी तरह की धोखाधड़ी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीकानेर में 179 निजी कॉलोनियां रेरा में रजिस्टर्ड नहीं है। हालांकि ‘जोड़बीड़ आवासीय योजना’ सरकारी परियोजना है लेकिन यह भी अभी तक रेरा में पंजीकृत नहीं है। योजना के आवंटी कई दिनों से इसे रेरा में पंजीकृत कराने की मांग उठा रहे थे। इस कड़ी में उन्होंने कुछ दिन पहले बीडीए अध्यक्ष व कलेक्टर नम्रता वृष्णि और सचिव कुलराज मीणा को भी ज्ञापन सौंपा था।
बीकानेर विकास प्राधिकरण द्वारा 18 जुलाई 2025 को जोड़बीड़ आवासीय योजना के तहत 1600 भूखंडों की ई-लॉटरी निकाली गई थी। भूखण्डों के आवंटन से बीडीए को क़रीब 376 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होगा। मंत्री सुमित गोदारा और बीकानेर विकास प्राधिकरण द्वारा जोड़बीड़ आवासीय योजना को ‘मॉडल आवासीय योजना’ के रूप में विकसित करने के दावे किये जा रहे हैं। इन दावों के इतर एक हकीकत यह भी है कि परियोजना के क़रीब 20 साल बीत जाने के बाद भी यह कॉलोनी वीरान पड़ी है। यहां बिजली, सड़क, साफ-सफाई और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी मयस्सर नहीं हो सकी हैं।