मेरी बात : दीपक जी ! बीकानेर की ‘बदहाली’ से किसे क्या फर्क पड़ता है?
“आजकल किसी को भी बीकानेर लाते हैं तो बेइज़्ज़ती सी फील होती है। यह फीलिंग जितनी कम होगी, उतना अच्छा होगा। बीकानेर का इंफ्रास्ट्रक्चर तो लाजवाब हो रखा है इन दिनों। पूरे भारत में प्लास्टिक बैन है लेकिन हमारे यहां…
ग्राउंड रिपोर्ट : श्रीकोलायत की ‘पूर्णता’ अभी बाक़ी है
पहले पहर की सुबह। ख़बर अपडेट की कार.. बीकानेर से कोलायत की दूरी को कम करती जा रही थी। हम ज्यों-ज्यों आगे बढ़ रहे थे, त्यों-त्यों कई चीज़ें पीछे छूटती जा रही थी, जैसे- बीकाजी के दीपक अग्रवाल का शहर…
मेरी बात : मोदी जी ! जो बात आपके ‘मंतरी’ न कह सके, वो राजस्थानी लेखक की ‘ख़ामोशी’ कह गई
कहते हैं- ख़ामोशी में बहुत तेज़ ‘गूंज’ होती है। लेकिन.. इसे सुन वही सकता है, जिसमें उसे सुनने की क्षमता और चाहत हो। 27 अक्टूबर को बीकानेर का रोटरी क्लब के ‘राजस्थानी भाषा समारोह’ में एक ऐसी ही ‘गूंज’ सुनाई…
मेरी बात : लखावत बोले- “मैं राजनीति नहीं जानता”। लेकिन उनकी यह बात मानने में नहीं आती
बात पिछले साल की है। राजस्थान में चुनावी मौसम चल रहा था। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी का जयपुर दौरा होता है। प्रधानमंत्री की अगुवाई के लिये प्रदेश नेताओं की हौड़ मच जाती है। लेकिन.. प्रदेश नेतृत्व ने कुछ और…
विमर्श : ओम जोशी ‘गौतम महासभा’ के अध्यक्ष बनें, मगर ऐसे नहीं।
राष्ट्रीय लोकतंत्र के भीतर भी देश में एक लोकतंत्र है। जातीय संगठन, सामाजिक संगठन और विभिन्न संस्थाओं के भी चुनाव होते हैं। जो ठीक राष्ट्रीय लोकतंत्र की तर्ज पर ही होते आए हैं। देश में जो जातीय संगठन जितना मजबूत…
मेरी बात : रतन टाटा इस बार भी भरोसा न तोड़ते, गर मौत दगा न देती
“मैं बिल्कुल ठीक हूं। ज्यादा उम्र के कारण रुटीन चेकअप के लिए अस्पताल गया था। चिंता की कोई बात नहीं है।” ये वो बयान है, जो रतन टाटा ने 7 अक्टूबर 2024 को सोशल साइट X पर जारी किया था।…
मेरी बात : लुक्खा लाड अर घणी खम्मा
कुछ रोज़ पहले.. पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया था। इसी के साथ देश में अब कुल 11 शास्त्रीय भाषाएं हो गई हैं। केंद्र का…
मेरी बात : पत्रकार भाइयो ! इतना सन्नाटा क्यों पसरा है ?
हाल ही बीकानेर में कवि कुमार विश्वास को बुलाया गया था। ..लेकिन कुमार से ज़्यादा मीडिया को पासेज न देने की चर्चाओं ने सुर्खियां बटोरीं। कुमार तो शो करके चले गये, लेकिन पत्रकारों के लिये पीछे छोड़ गये- विश्वास को…
व्यंग्य : मोदी जी ! मेरा इतना सा काम कर दीजिये
आप में से ज़्यादातर लोगों ने कॉमेडी फिल्म ‘हेराफेरी’ ज़रूर देखी होगी। इस फिल्म में जो परेशानी बाबूराव को थी, ठीक वैसी ही परेशानी से मैं पिछले कई बरसों से जूझ रहा हूं। इस उलझन की सुलझन सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी…
मेरी बात : आइए, ऐसा करके पत्रकारिता की ‘तसवीर’ बदलें
पत्रकार बंधुओ ! कुछ दिन पहले मैंने मीडिया की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताते हुए एक आलेख (यहां पढ़ें- पत्रकारो ! जागो..) लिखा था जिसमें आप सबसे जानना चाहा था कि क्या ऐसा कुछ नहीं किया जा सकता- जिससे मीडिया…