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विमर्श : रेलवे फाटक पर एलिवेटेड रोड या आरयूबी, ये विधायक को समझना चाहिये

बीकानेर पश्चिम के विधायक जेठानंद व्यास ने कोटगेट और सांखला फाटक पर यातायात सुचारू करने के निर्णयों के तकनीकी पहलुओं, प्रशासनिक निर्णयों, वित्तीय संसाधनों और अदालती कार्यवाही को नहीं समझा है। वे यहां कांग्रेस सरकार की ओर से एलिवेटेड रोड की जगह आरयूबी बनाने की प्रशासनिक और वित्तीय की तरफदारी कर रहे हैं। कोटगेट और सांखला फाटक पर वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री काल में एलिवेटेड रोड निर्माण की सारी प्रक्रियाएं पूरी हो गई थीं। रेलवे और राजस्थान सरकार के संबंधित विभागों के विभिन्न स्तरों पर कई बैठकें हुईं और निर्णय किया गया की कोटगेट सांखला रेलवे फाटक पर एलिवेटेड रोड बनाई जाएगी। एलिवेटेड रोड का नक्शा बनाकर राजस्थान सरकार ने हाई कोर्ट को शपथपत्र दे दिया कि इन फाटकों पर यातायात को सुचारू करने के लिए एलिवेटेड रोड बनाएंगे। तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने टेंडर भी आमंत्रित कर लिया। बीकानेर पूर्व के तत्कालीन विधायक गोपाल जोशी, सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने भी एलिवेटेड रोड की तरफदारी की थी। हाई कोर्ट के निर्देश पर कलक्टर और डीआरएम ने संयुक्त मीटिंग कर कोटगेट और सांखला रेलवे फाटक पर यातायात सुचारू करने के लिए एलिवेटेड रोड बनाना समाधान निकाला। रेलवे ने स्पष्ट मना कर दिया की बीकानेर रेलवे स्टेशन के नवीनीकरण पर 340 करोड़ रुपय खर्च किए हैं। अब बाईपास बनाना संभव नहीं है। हालांकि इसके बाद अर्जुन राम मेघवाल ने फिर रेलवे बोर्ड के समक्ष बाईपास का मुद्दा रखा। बोर्ड और रेल मंत्री ने 2019 में बाईपास के लिए फिर मना कर दिया। 2014 में इन रेलवे फाटकों पर ट्रैफिक सिस्टम सुचारू करने की जनहित याचिका अभी भी हाई कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है।

एडवोकेट आर. के. दास गुप्ता ने इस पर स्टे की कार्यवाही की लेकिन स्टे नहीं मिला। 2019 में हाई कोर्ट ने टेंडर ओपन करने और टेंडर एलाटमेंट पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। राजस्थान में भाजपा की सरकार, हाई कोर्ट, रेलवे और प्रशासन की पिछली कार्रवाई को ध्यान में रखकर आगे की कार्रवाई होनी चाहिए। हाई कोर्ट के संज्ञान में लाकर अंडरब्रिज बनाने का पुन: निर्णय करना कितना आवश्यक है यह तो विधिवेता ही बता सकते हैं। रेलवे फाटकों की समस्या समाधान में जनहित को सर्वोपरि रखा जाना जरूरी है या राजनीतिक फायदे के खातिर अन्य हित देखे जा रहे हैं। इधर बीकानेर के नए विधायक जेठानंद व्यास ने हाल ही में कहा है कि कि कोटगेट और सांखला फाटक पर प्रस्तावित आरयूबी के निर्माण से पूर्व यहां सीवर लाइन और पाइपलाइन की शिफ्टिंग तथा बरसात के दौरान आने वाले पानी के निस्तारण की ठोस कार्ययोजना बनाई जाए।

रेलवे के इंजीनियर एन.के. शर्मा का कहना है कि कोटगेट और सांखला फाटक आरयूबी की रेलवे से जुड़ी सभी तैयारियां कर ली गई हैं। अंडर ब्रिज को चारों ओर से कवर किया जाएगा। वहीं इनमें पम्प इंजन और सेंसर होंगे, जो बरसाती पानी के त्वरित निस्तारण में मददगार होंगे। यह कितना व्यवहारिक होगा, यह तो समय ही बताएगा।

बहरहाल, बीकानेर में कोटगेट और सांखला फाटक की समस्या वैसे 1991 से राजनीति के भेंट चढ़ी हुई है। प्रदेश में भाजपा की सरकार एलिवेटेड रोड बनाने की कार्यवाही की तो बाद में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने आरयूबी बनाने की कार्रवाई कर दी। नेता तकनीकी पहलुओं, प्रशासनिक निर्णयों, वित्तीय संसाधनों और अदालती कार्रवाई को बिना जाने समझे अपनी डफली बजाने लगे हैं। ऐसे तो समस्या का समाधान मुश्किल है।

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