मनरेगा… रोजगार देकर स्थानीय जरुरत का विकास कार्य करवाने की महत्वपूर्ण योजना है। इस योजना के पीछे की दृष्टि समाज के विकास में दूरगामी और बहु आयामी असर डालना है। इस योजना से कई गांवों में अच्छे काम हुए हैं, वहीं कई ग्राम पंचायतों में यह योजना कामचोरी, मुफ्तखोरी और भ्रष्टाचार का माध्यम बनी हुई है। इसका प्रमाण वर्तमान ज़िला कलेक्टर नम्रता वृष्टि ने, जो कभी खुद सीओ ज़िला परिषद रही हैं, ने अपनी ही आंखो से देखा है। निरीक्षण में पाया कि ढींगसरी में मनरेगा कार्य पर आए 11 श्रमिकों के पास काम करने के आवश्यक औजार ही नहीं थे। यानि 11 श्रमिक हाजिर तो थे लेकिन काम नहीं कर रहे थे। खुदाई पर नियोजित श्रमिकों के पास औजार नहीं होना तो स्पष्ट रूप से काम चोरी है। बाकी श्रमिकों के कार्यों का नाप-झोख के साथ वितरण नहीं होना क्या दर्शाता है? यह सब जिला कलक्टर ने खुद देखा है। मनरेगा योजना में ज्यादातर ग्राम पंचायतों में इसी तरह भ्रष्टाचार होता है। बिना काम किए नामित ग्रामीण को दहाड़ी का पैसा कमीशन काट कर मिल जाता है। ग्राम पंचायत स्तर पर यह भ्रष्टाचार महत्ती राष्ट्रीय योजना को गर्त में ले जाना है। जिला कलक्टर को राज्य सरकार और केंद्र सरकार को इन हालातों की रिपोर्ट भेजनी चाहिए। ग्राम पंचायत और जिम्मेदार कार्मिकों के खिलाफ कड़े प्रावधान होने नितांत आवश्यक है। अन्यथा तो धीरे धीरे यह योजना काम चोरी मुफ्त खोरी, कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार की जड़ बन जाएगी। जिला कलक्टर इसे स्वीकार नहीं करें। अपने तईं तो कठोर कार्रवाई करें ही उच्च स्तर पर भी अवगत करवाएं। जिला कलक्टर ने श्मशान गृह में शेड, ब्लॉक निर्माण, कचरा संग्रहण केन्द्र के निर्माण कार्य देखे। विशेष रूप से फर्श की गुणवत्ता और रंग-रोगन नहीं होने पर नाराजगी व्यक्त की। ग्रामीणों ने बिजली, पानी, अतिक्रमण और स्कूल स्टाफ की समस्याएं बताई। गांव में जल अपव्यय का नजारा देखा। आंगनबाड़ी केंद्र का निरीक्षण किया। पोषाहार की गुणवत्ता जांच की। सैनेट्री पैड वितरण सहित केंद्र की विभिन्न व्यवस्थाओं की समीक्षा की। निरीक्षण से यह तो स्पष्ट ही हो गया निचले अधिकारी जिम्मेदारी से काम नहीं कर रहे हैं अन्यथा क्या मजाल की जिला कलक्टर के निरीक्षण में इतनी सारी खामियां सामने आए। निरीक्षण के बाद जिला कलक्टर को नाराज होकर जिम्मेदार कार्मिक के खिलाफ कार्रवाई के आदेश और कई हिदायतें देनी पड़े। कमोबेश सभी ग्राम पंचायतों में यही हालत है। जिला कलक्टर या तो इसे स्वीकार करले अन्यथा सख्ती से पेश आकर व्यवस्था में सुधार के कदम बढ़ाएं।