बीकानेर शहर के आस-पास 45 हजार बीघा गोचर चारागाह है। इतने बड़े भू-भाग पर सालाना कितना चारा उत्पादित हो सकता है? ज़रा सोचकर देखिए। क्या कोई इस पर सोचता भी है? नेता, अफसर या गो सेवक ? अभी इस गोचर में एक भी गाय का पेट नहीं भर पा रहा है। चारे का एक तिनका भी गोचर में नहीं है। गोचर किसी की नहीं है लेकिन हमारी पारिस्थितिकी और पर्यावरण का केंद्र बिंदु है। राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव सुधांशु पंत ने आगामी वर्षा से पहले पौधारोपण और चारागाह विकास को अभियान के तौर पर चलाने पर जोर दिया है।
चारागाह विकास की भारत सरकार और राज्य सरकार की योजनाएं भी हैं लेकिन किसी को भी गोचर में चारागाह विकसित करने की फिक्र और फुर्सत नहीं है। हज़ारों बीघा की भू-संपदा बेकार पड़ी है। जिसके चलते भूखी गायें कचरा खाकर डोल रही हैं। सरकार और जनता के समन्वित प्रयासों से अगर गोचर में चारागाह विकसित कर दिया जाए तो आस-पास के सभी गांवों के गायों को चारा मिल सकता है। गोपालक को महंगा चारा खरीदना नहीं पड़ेगा और गोचर की घास चरने से गायों की दुग्ध-उत्पादक क्षमता भी बढ़ जाएगी। लेकिन पहल करे कौन?
गोचर में चारागाह विकास और पौधारोपण को लेकर पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी, पूर्व महापौर नारायण चोपड़ा, गोचर संरक्षण और विकास पर कार्यरत सूरज माल सिंह अन्य लोगों के बीच विचार-विमर्श हुआ। जिसमें इस विषय में सरकार और प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग देने के विषय पर चर्चा हुई। ऐसी भावना से पूर्व महापौर नारायण चोपड़ा की अध्यक्षता में मनीष होटल गार्डन गोचर से जुड़े प्रतिनिधि लोगों की निर्णायक मीटिंग हुई। इस मीटिंग में सरेह नथानिया, गंगाशहर, भीनासर की गोचर भूमि के प्रतिनिधि शामिल हुए। इस बैठक में तय किया गया कि ज़िला कलक्टर के सामने गोचर में चारागाह विकास और पौधरोपण का राज्य सरकार और प्रशासन के सहयोग से काम करने का प्रस्ताव रखा जाए। जिसमें एसटीपी के पानी का चारागाह और पौधारोपण में उपयोग लेने की एनओसी दी जाए। इस प्रस्ताव पर पूर्व महापौर नारायण चोपड़ा की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई। जिसमें सूरजमाल सिंह सुरनाना, बंशी लाल तंवर, मिलन गहलोत, कैलाश सोलंकी, निर्मल बरड़िया को शामिल किया गया। यह कमेटी अगले सप्ताह ज़िला कलक्टर को सरकार, प्रशासन और जन सहयोग से चारागाह विकास और पौधारोपण करने का प्रस्ताव देगी। इसी आधार पर मुख्य सचिव की योजना को बीकानेर गोचर में मॉडल रूप में धरातल पर लाने की कार्य योजना बनेगी।
गोचर विकास को लेकर किसमें कितनी टीस है? नेतृत्व की कुशलता, गोचर संरक्षण और विकास की भावना से कार्यरत लोगों की इच्छा शक्ति, जिला प्रशासन और राज्य सरकार की सक्रियता और मिलजुल कर राजस्थान में बीकानेर शहर से सटी गोचर में चारागाह विकास का मॉडल बनाने की मंशा कितनी फलीभूत हो पाती है? अगले पखवाड़े में कलक्टर से मिलने से सामने आ जाएगी।