बीकानेर के पूगल क्षेत्र में पहले तो भूमि नियमों की अनदेखी की गई। फिर हज़ारों बीघा ज़मीन का आबंटन कर दिया गया। मामला उठा तो 3 तहसीलदार, 2 नायब तहसीलदार, 12 पटवारियों के ख़िलाफ़ नामजद मामला दर्ज कर लिया गया। यहां फकत मामला दर्ज करना ही काफी नहीं है, बल्कि पूरे उपनिवेशन और राजस्व क्षेत्र की भूमि विक्रय और आबंटन के अन्य प्रकरणों की जांच भी ज़रुरी लगती है। इस प्रकरण में 144 खातेदारी के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई होनी है।
इससे पहले गजनेर में भी कुछ ऐसा ही वाकया हुआ था। जहां क़रीब 300 बीघा सरकारी जमीन की रजिस्ट्री करवाने पर पटवारी और तहसीलदार के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करवाया था। रजिस्ट्री निरस्त करके फिर यह मामला राजनीतिक हस्तक्षेप से रफा-दफा कर दिया गया। श्रीकोलायत में महाजन फील्ड फायरिंग के विस्थापितों को भूमि आवंटन के मामले में ज़िला कलेक्टर के अधीन जांच चल रही है। मोहनगढ़ में जमीन नामे बताकर फ़र्ज़ी डिग्री जारी होने के कई मामलों में उपनिवेशन आयुक्त प्रदीप गांडवे के स्तर पर जांच की जा रही है।
दरअसल, पिछली सरकार के कार्यकाल में पूगल ही नहीं श्रीकोलायत, गजनेर, मोहनगढ़, जैसलमेर में उपनिवेशन की जमीनों के आबंटन के मामले में अनियमितताएं सामने आई हैं। जिन पर जांच चल रही है। इसके अलावा भी शिकायतें हुई हैं। राज्य सरकार और बदला प्रशासन क्या कार्रवाई करता है, ये आने वाले वक्त में ही साफ हो सकेगा। श्रीकोलायत में जमीनों की ख़रीद और आबंटन के मामलों में बड़ी शिकायतें रही होंगी, तभी विधानसभा चुनाव के दौरान चुनावी सभा में देवी सिंह भाटी ने जनसभा में वायदा किया था कि भूमि आबंटन और विक्रय के प्रकरणों की वे जांच करवाएंगे और ग़लत आबंटन निरस्त करवाएंगे।