विमर्श : गोचर मुद्दे पर चुप्पी साधने पर मंत्री मेघवाल घिरे
–हेम शर्मा

बीकानेर में गोचर को रकबाराज घोषित कर दिया गया। जिसके बाद केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने इसे सरासर ग़लत ठहराया। शेखावत से पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, बीकानेर के चार विधायकों ने भी गोचर अधिग्रहण प्रस्ताव को लेकर असहमति जाहिर की थी। यहां तक कि 37 हजार लोगों ने आपत्तियां भेजी थीं। देवीसिंह भाटी और वसुंधरा राजे की ओर से इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से बात करने की भी सहमति बनी थी। लेकिन.. इस बीच आंदोलनकारियों में कानून मंत्री अर्जुनराम को लेकर नाराज़गी देखी जा रही है।
गोचर आन्दोलन के मुख्य लोगों में शामिल मन्नू बाबू सेवग का कहना है कि “भाजपा के 4 विधायक, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समेत कई नेताओं ने बीडीए मास्टर प्लान में गोचर अधिग्रहण और रकबाराज घोषित करने को ग़लत बताया है। फिर केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम क्यों नहीं कुछ बोल रहे हैं? इससे पता चलता है कि गोचर के मामले में प्रशासन को केंद्रीय मंत्री मेघवाल का वरदहस्त है।”
इतना ही नहीं, गोचर संरक्षण महाअभियान से जुड़े लोगों ने मेघवाल से नाराज़ होकर उनके विरोध में पोस्ट डालनी शुरु कर दी। जिनमें मेघवाल से सवाल पूछे जा रहे हैं कि-
“अर्जुनरामजी ! गोचरभूमि अधिग्रहण पर अब तो कुछ बोलो”
“अर्जुनरामजी गोचरभूमि अधिग्रहण पर जवाब दो”
मामला यहीं नहीं रुका। विजय कोचर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राजस्थान के मुख्यमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भी मेल भेजा है। जिसमें गोचर के बारे में कई बिन्दु रखे और मेघवाल से पूछा है कि- “चुप्पी क्यों है मंत्री जी?“
गोचर ओरण बचाओ आन्दोलन से जुड़े लोगों का कहना है कि उनके पास गोचर को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं करने वाले नेताओं का घेराव करने, काले झण्डे दिखाने और उनका बहिष्कार करने का सुझाव है। गोचर आन्दोलन कार्यकर्ता कहने लगे हैं कि-
“जब मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत बयान दे सकते हैं, तो मेघवाल क्यों चुप हैं?”
आन्दोलनकारियों का एक शिष्टमंडल पहले मेघवाल से मिला भी था। तब भी उन्हें मेघवाल का रवैया ढुल-मुल ही लगा था। तब मेघवाल ने कहा था कि-
“देखना पड़ेगा कि बाकी जगहें, जहां विकास प्राधिकरण बना है, वहां क्या हुआ? मुख्यमंत्री से बात करेंगे।“