विमर्श : बीकानेर में भाजपा में अंतर्द्वंद की तस्वीर कुछ साफ हुई है

बीकानेर में डबल इंजन की भाजपा सरकार के बीच चल रहे अंतर्द्वंद की तस्वीर कुछ साफ हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे के सामने सारी स्थिति रख दी गई है। प्रशासन के रवैये और पीछे की राजनीति का अब अंत होने वाला है। डबल इंजन की अपनी ही पार्टी की सरकार में भाजपा विधायकों और पदाधिकारियों की इस अनदेखी को सब स्तर पर भांप लिया गया है। यह सच भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन सिंह राठौड़ के बीकानेर प्रवास और इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की बीकानेर यात्रा के दौरान उजागर हो गया है। पार्टी के भीतर के इस द्वंद ने न सिर्फ पार्टी और सरकार की छवि ख़राब की, बल्कि पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं के बीच भी दरारें बढ़ा दी।

बीकानेर में प्रशासन किसके दबाव में है? भाजपा की डबल इंजन सरकार में विधायकों और बाक़ी कार्यकर्ताओं की कोई सुनवाई क्यों नहीं होती? यह बात बीकानेर के लोग और पार्टी के पदाधिकारी तो जानते ही हैं, अब भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने ऊपर तक पहुंचा दी है। गोचर ओरण अधिग्रहण और खेजड़ी की कटाई के मामले ने मुख्यमंत्री और ऊंचे पदों पर बैठे ब्यूरोक्रेट्स को ज़िला प्रशासन के रवैये से पहले ही अवगत करवा दिया था। खेजड़ी की अवैध कटाई के मामले में विश्नाई समाज के शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री और उच्च पदस्थ अधिकारियों से भेंट की थी। बाद में गोचर ओरण के मामले में ज़िला प्रशासन के रवैये की रिपोर्ट से राज्य सरकार को इस आन्दोलन में लगे लोगों ने अवगत करवा दिया।

जिला कलक्टर का एक ऑडियो, जिसमें सरेह नथानिया गोचर पर बन रही दीवार के बारे में कहा गया है कि इस पर कब्जा कर लिया। उनका इशारा देवी सिंह भाटी की तरफ रहा। यह दीवार भाटी के प्रयासों से जन सहयोग से बन रही है, जबकि देवी सिंह भाटी वर्षों से राजस्थान में गोचर-ओरण, जोहड़-पायतन और बहाव क्षेत्र की भूमि को अपने स्वरूप में कायम रखने की हिमायती करते रहे हैं। वे विधानसभा में इस मुद्दे पर बोले हैं और प्रदेश स्तर पर ऐसी भूमियों के संरक्षण के लिए आन्दोलनरत रहे हैं। देवी सिंह भाटी ने पूर्व मुख्यमंत्री को बताया कि अधिकारी उनके लिए कहते हैं कि गोचर पर कब्जा कर रहे हैं। क्या यह बात राजनीतिक दुर्भावनाओं से प्रेरित नहीं है? कलक्टर ने ऐसा क्यों कहा ? उनको किसने बताया कि गोचर पर दीवार बनाकर कब्जा किया जा रहा है? गोचर अधिग्रहण पर बीकानेर के चार विधायकों और 37 हजार नागरिकों, संस्थाओं ने आपत्तियां दर्ज करवाई। कलक्टर का यह कहना कि सभी आपत्तियां खारिज करेंगे। जिला कलक्टर के पीछे कौन है जो इस तरह के राजनीतिक बयान देने को प्रेरित करते हैं? गोचर पर बस स्टेण्ड के मामले में काउंटर स्टे आना क्या साबित करता है कि प्रशासन किसी राजनीतिक  इशारे पर चल रहा है? खैर, बीकानेर की जनता और भाजपा के नेताओं के सब समझ में आ रहा है। अब गुपचुप की यह राजनीति प्रदेश स्तर पर भाजपा संगठन और सरकार तक पहुंचा दी गई है। इसे प्रशासन के कुछ लोग क्यों नहीं समझना चाहते ?  प्रदेशाध्यक्ष प्रशासन को आगाह करके गए कि उनको जन प्रतिनिधियों की बात सुननी पड़ेगी। पूर्व मुख्यमंत्री ने तो खुद अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री से प्रशासन के रवैये पर मिलना तय किया है। इसके क्या मायने निकाले जाए?

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