विमर्श : धरना-प्रदर्शन के माध्यम से सरकार को कड़ा संदेश

बीकानेर में बीडीए की ओर से प्रस्तावित मास्टर प्लान-2043 के विरोध में आज बीकानेर कलेक्ट्रेट के सामने धरना-प्रदर्शन किया गया। जिसमें आम जनता, गो सेवकों, साधु-संतों और राजनीतिक दलों के लोगों ने मिलकर राजस्थान सरकार को संदेश दिया है। संदेश यह कि “नगरीय या औद्योगिक विकास की किसी भी योजना में गोचर-ओरण, बहाव क्षेत्र (कैचमेंट एरिया) का भू उपयोग नहीं बदला जाए। ऐसा क़ानून बनाया जाए कि ये भूमि अपने स्वरूप में कायम रहे।” विरोध की यह आवाज बहुत बुलंद है। क्योंकि आवाज़ बुलंद करने वालों में भाजपा के कार्यकर्ता, पदाधिकारी, भाजपा आनुसांगिक संगठनों के लोग, कांग्रेस के नेता-कार्यकर्ता, गो सेवक, गोचर रक्षक, साधु -संत और गोचर-ओरण की संस्कृति को समझने वाले लोग शामिल हैं। यह आन्दोलन गोचर संस्कृति को बचाने के लिए स्वप्रेरित है। इसकी धमक पूरे प्रदेश तक है। गोचर, ओरण संरक्षण संघ राजस्थान प्रदेश स्तर का संगठन है। इस मंच से 19 सितम्बर को बीकानेर में इस मुद्दे पर हुए धरने प्रदर्शन को सरकार राजनीतिक भविष्य की दृष्टि से समझे तो कुछ खोना नहीं पड़ेगा। मंच से जो कहा गया, उसमें राजस्थान सरकार को उचित निर्णय करने का संदेश है।

गोचर आन्दोलन से जुड़े लोगों ने केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से भी मिलकर विरोध दर्ज कराया। केन्द्रीय मंत्री ने शिष्ट मंडल से कहा कि “देखना होगा कि जोधपुर, अजमेर में विकास प्राधिकरण बनाने पर क्या किया गया था? हम मुख्यमंत्री से भी बात करेंगे।” शिष्टमंडल बिना किसी आश्वासन से मंत्री से मिलकर आ गया। केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम ने उचित बात कही थी, क्योंकि राजस्व भू अधिनियम की धारा 102-ए के तहत राजकीय भूमि (गोचर समेत) नगरीय निकाय के अधीन रखी गई है। मास्टर प्लान के अनुसार इस भूमि का आवंटन, विकास किया जा सकता है। जिला कलेक्टर ने भी शिष्टमंडल को रूखा सा जवाब दिया था। इसके पीछे भी यही कारण था कि नगरीय विकास प्राधिकरण अधिनियम की धाराओं में गोचर ओरण को आवंटन और विकास किया जा सकता है। कुल मिलाकर केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम और ज़िला कलेक्टर इस मामले में ज्यादा कुछ भी नहीं कर सकते। जो कुछ कर सकती है, वो जनता ही है। हां, जनता के दवाब से क़ानून बदल सकता है।
वैसे, बीजेपी के वरिष्ठ नेता देवी सिंह भाटी का ऑडियो संदेश और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. बी.डी कल्ला का मंच से गोचर को यथावत रखने की बात.. सरकार के लिये यह मुद्दा समझने के लिए पर्याप्त है। बीकानेर से ‘गोचर-ओरण संरक्षण समिति’ के मंच से सरकार को कानून बदलने का संदेश दिया गया है। इस दौरान धरना स्थल पर क़रीब 5 हजार से ज्यादा लोगों ने प्रपत्र भरकर गोचर-ओरण को मास्टर प्लान में शामिल करने का विरोध दर्ज करवाया।