विमर्श : गंगाशहर के शहरी सा. स्वास्थ्य केन्द्र का 2-2 बार उद्घाटन, लेकिन इलाज नहीं

बीते राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले.. बीकानेर के उपनगरीय क्षेत्र गंगाशहर में एक ‘शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र’ के भवन का निर्माण किया जाता है। बनाने में लागत आती है- तक़रीबन 4 करोड़ 50 लाख रुपये। फिर इसका एक लोकार्पण समारोह रखा जाता है। तत्कालीन कैबिनेट मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला लोकार्पण करते हैं। इस दौरान वे संबोधन में कहते हैं कि “अस्पताल निर्माण के लिए ट्रक ऑपरेटर एसोसिएशन की तरफ से क़रीब साढ़े तीन बीघा जमीन दी गई है। अस्पताल में डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से चिकित्सकीय उपकरण उपलब्ध करवाए जाएंगे। यह 30 बेडेड अस्पताल के रूप में काम करेगा और यहां 24 घंटे चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध रहेंगी। अब गंगाशहर, भीनासर, किसमीदेसर, सुजानदेसर, श्रीरामसर और आसपास के हजारों लोगों को इलाज के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा। राष्ट्रीय राजमार्ग पर होने से सड़क दुर्घटना की स्थिति में पीड़ितों को त्वरित इलाज मिल सकेगा।”
…लेकिन इस सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के शुरु होने के सालभर बाद भी चिकित्सा व्यवस्था.. मेडिकल नार्म्स के अनुरूप नहीं हो पाई है।
खैर.. इसके बाद राजस्थान में चुनाव होते हैं। इस बार सूबे में कमल खिलता है। सरकार बदलने के बाद केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी इस स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन करते हैं। इस बार उससे भी तगड़ा कार्यक्रम होता है। बीजेपी नेताओं की जाजम जमती है। जयकारे लगते हैं..बड़ी-बड़ी बातें और घोषणाएं होती हैं और यह स्वास्थ्य केंद्र एक और बार जनता को समर्पित कर दिया जाता है। वही ईंट-पत्थर, लोहे-सरिये, गाटर का बना एक कोरा भवन। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल थे। वे मंच से बोले कि “राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने का प्रयास किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने इसके लिए कोई कमी नहीं रखी है। गंगाशहर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रारंभ होने से आसपास के 50 हजार लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी। सीएसआर अथवा अन्य मद से अस्पताल की चारदीवारी बनवाई जाएगी।”
…लेकिन अभी तक न तो चारदीवारी बनाई गई है और न ही स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू हुई है। जबकि केन्द्रीय मंत्री ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को इसका बेहतरीन संचालन करने के निर्देश दिए।
उस कार्यक्रम में बीकानेर पश्चिम विधायक जेठानंद व्यास ने कहा था कि “मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का संकल्प है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर के आसपास बेहतर चिकित्सा सुविधा मिले। यह स्वास्थ्य केंद्र इस दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।”
लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका।
इसके बाद भाजपा शहर अध्यक्ष श्रीमती सुमन छाजेड़ भी बोलीं कि “अस्पताल का शुभारंभ गंगाशहर क्षेत्र के लिए नई शुरुआत है। केंद्र पर सभी आवश्यक सुविधाएं और संसाधन मुहैया करवाने के प्रयास किए जाएंगे।”
लेकिन ऐसे प्रयास अभी तक तो धरातल पर नहीं उतारे गये हैं।
कुल मिलाकर इस 1 भवन के 2-2 बार उद्घाटन किये गये। कांग्रेस और बीजेपी ने नेताओं ने मंच से बड़ी-बड़ी बातें कीं.. लेकिन उनके वादे.. दावे नहीं बन सके। आलम यह है कि इस स्वास्थ्य केंद्र में अभी तक स्वीकृत पद के डॉक्टर, तकनीकी कर्मचारी और पैरा मेडिकल स्टाफ तक नहीं लगे है। सभी आवश्यक चिकित्सा उपकरण भी नहीं आये हैं। हां, अनुबंध पर 2-3 डॉक्टर्स और कुछ कर्मचारी जरूर हैं, जिनमें एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, दंत रोग विशेषज्ञ और एक बाल रोग विशेषज्ञ नियुक्त किये गये हैं। इसके अलावा 3 चिकित्सा अधिकारी, 6 नर्सिंग कर्मी तथा 1-1 फार्मासिस्ट और लैब टेक्नीशियन भी लगाए जाने बाक़ी हैं। अधिकतर कमरों, वार्डों पर ताले लटके हुए हैं।
कोई यह बताये कि इनका क्या अर्थ निकाला जाए? यह कि जिस स्वास्थ्य केंद्र का उपयोग जनता का इलाज के लिये होना था, उसका उपयोग राजनेता अपनी राजनीति चमकाने में किया जा रहा है? यह कि नेताओं की कथनी और करनी में बड़ा फर्क है?