विमर्श : राजस्थान से देश में दूसरी धवल, हरित व ऊर्जा क्रांति

कनाडा में प्रधानमंत्री मोदी का भारतीय समूह को सम्बोधन दिया। बकौल मोदी, वे भारत के लिये ‘चतुष्करंगी विकास’ का सपना लेकर चलते हैं। भारत का राष्ट्रीय ध्वज- तिरंगा 3 रंगों से सजा है- केसरिया, सफेद, हरा। इसमें चौथा रंग (नीला) ‘अशोक चक्र’ का भी है। पीएम मोदी ने प्रतीकात्मक तौर पर एक नया विजन दिया है। भारत का ‘चतुष्करंगी विकास’ का विजन। इन चारों रंगों में जैसा कि मोदी मानते हैं कि-
पहला- केसरिया रंग.. ऊर्जा का प्रतीक है। सोलर एनर्जी, वींड एनर्जी, नेच्युलर एनर्जी, बायो एनर्जी, एनर्जी सेविंग इसी का हिस्सा है। एनर्जी सेक्टर में अब हम मेगावाट की जगह गीगावाट की बात करते हैं। 175 गीगा वाट ऊर्जा उत्पादन में से 100 गीगावाट सोलर से और 75 गीगावाट वींड से उत्पादित होती है।
दूसरा- सफेद रंग.. दुग्घ क्रांति (श्वेत क्रांति) के बाद अब पशु उत्पादकता का प्रतीक है। दुनिया की तुलना में भारत में पशुधन उत्पादकता बेजा कम है। दुनिया में दो पशुओं से जितना उत्पादन होता है, भारत में उतना 20 पशुओं से भी नहीं हो पाता। इसकी सबसे बड़ी वजह- पशुओं के लालन-पालन के वैज्ञानिक तरीक़े नहीं होना है। भारत अब इस तरफ ध्यान देने लगाहै, दूसरी श्वेत क्रांति की तैयारी में जुटा है।
तीसरा- हरा रंग.. कृषि के लिये इस्तेमाल किया जाता है। देश में कृषि उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है। इसके लिए सोयल हेल्थ कार्ड बनाए गए हैं, बूंद-बूंद खेती से उत्पादकता बढ़ाई जा रही है। इसमें पूर्वी भारत बिहार, उड़ीसा, प. बंगाल, असम आदि विपुल जल वाले क्षेत्रों में दूसरी हरित क्रांति का सपना साकार किया जा रहा है।
चौथा- नीला रंग.. ब्ल्यू क्रांति नीला आकाश पर्यावरणीय संकट मुक्त और पर्यावरण संरक्षण में जीरो डिफेक्ट-जीरो इफेक्ट नीति पर काम किया जा रहा है। नीले समुद्र में प्राकृतिक सम्पदा है, जैसे- तेल, गैस और अन्य सम्पदा।
ये तो हुई वे बातें, जो पीएम ने भारतीय मूल के लोगों से कहीं। ..लेकिन यहां यह कहने से भी गुरेज नहीं कि भारत के ‘चतुष्करंगी विकास’ के सपने में राजस्थान भी अपना भरपूर सहयोग दे रहा है। इसमें केसरिया रंग की बात करें तो हमारा पश्चिमी राजस्थान सोलर और वींड एनर्जी हब बन रहा है। सफेद रंग की बात करें तो यहां के कृषि और पशु विज्ञान से जुड़े अनुसंधान केंद्र.. उत्पादकता बढ़ाने के लिए व्यापक स्तर पर काम कर रहे हैं। अगले कुछ वर्षों में प्रति हैक्टयर कृषि जिन्सों की उत्पादकता और प्रति पशुधन दूध या अन्य उत्पादकता बढ़ने वाली हैं। ICAR, VCI समेत कई संस्थान इस दिशा में काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं, राजस्थान में देश का सर्वाधिक गोधन है और दूध उत्पादन में भी राजस्थान की महत्ती भूमिका है। इंदिरा गांधी नहर से सिचिंत राजस्थान के भू-भाग से सकल राष्ट्रीय कृषि उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान है।
इसी तरह हरित क्रांति और क्लीन ऊर्जा क्रांति में राजस्थान बीकानेर संभाग की भूमिका का नीति निर्धारकों का आकलन करना चाहिए। राज्य सरकार इसी आधार पर विकास और अनुसंधान की नीतियों पर काम करें तो राजस्थान पूरे देश में इन तीनों सेक्टर्स में ऊंचाइयां छू सकता है। राजस्थान से देश में दूसरी धवल, हरित व ऊर्जा क्रांतिकुल मिलाकर, राजस्थान देश के भारत के ‘चतुष्करंगी विकास’ के सपने को साकार करने का साहस रखता है।