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श्रीकोलायत की धार्मिक-तीर्थाटन यात्रा में उभरे अनदेखे-अनछुए पहलू

16 फरवरी को ‘ख़बर अपडेट’ की तरफ से तीर्थराज कोलायत पर में ‘एक दिवसीय धार्मिक-तीर्थाटन यात्रा’ का आयोजन किया गया। जिसमें बीकानेर और दूर-दराज से आए कई श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान ये श्रद्धालुओं अलसुबह बीकानेर से बस द्वारा कोलायत धाम पहुंचे और यहां आकर इस अनूठी धार्मिक यात्रा का आनंद लिया।

ख़बर अपडेट की इस धार्मिक-तीर्थाटन यात्रा का उद्देश्य- श्रद्धालुओं को एक ऐसे कोलायत से रू-ब-रू करवाना था, जो पहले कभी जाना नहीं गया था। उनका इस तीर्थ धाम की ऐसी विशेषताओं से साक्षात्कार करवाना था, जो इसे काशी-मथुरा के समकक्ष खड़ा करती हैं।

आपको बता दें कि यह ‘धार्मिक-तीर्थाटन यात्रा’ तीन सेशन में रखी गई थी। पहले सेशन में शिवबाड़ी मठ के अधिष्ठाता स्वामी विमर्शानंद गिरि जी ने अपने संबोधन में कोलायत तीर्थ धाम, महर्षि कपिल मुनि और सांख्य दर्शन के महत्व को श्रद्धालुओं के साथ साझा किया।

इस दौरान उन्होंने सुझाव भी दिया कि कपिल तीर्थस्थल पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संत समागम करवाया जाए ताकि इस तीर्थस्थल की सुषुप्त आध्यात्मिक थाती पुनः स्थापित हो सकें।

दूसरे सेशन में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित अली-गनी ब्रदर्स के अली मोहम्मद ने अपनी गायकी से समां बांधा. केसरिया बालम से लेकर अपनी मांड गायकी से उन्होंने समां बांध दिया। ख़बर अपडेट की डॉक्यूमेंट्री के लिये नोएडा से आई प्रोफेशनल टीम ने शूटिंग भी की।

उनके बाद विख्यात गायक शिव-बद्री सुथार और उनकी टीम ने अपने गायन से श्रद्धालुओं को भाव-विभोर किया। साहित्यकार राजेंद्र स्वर्णकार ने ख़बर अपडेट की डॉक्यूमेंट्री ‘तीर्थराज कोलायत’ के गीतों का गायन किया।

इसके बाद तीसरे सेशन में श्रद्धालुओं ने यहां के कपिल मुनि मंदिर, पंच मंदिर, 12 ज्योतिर्लिंग मंदिर समेत प्रमुख मंदिरों के दर्शन किये। इस पूरी यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने एक अलग ही तरह के कोलायत को जाना और समझा। मसलन-

कोलायत में 100 से ज्यादा मंदिर हैं। इस क्षेत्र में आदिकाल में सरस्वती नदी बहती थी, जो अब भूमिगत प्रवाह में है।
-कोलायत में अलग-अलग समाजों की 100 से ज्यादा धर्मशालाएं हैं.
-कोलायत में 84 घाट हैं. यहां के कपिल सरोवर के जल को गंगा के समान पवित्र माना जाता है।
-कोलायत को 68 तीथों और 4 धाम का गुरु कहा जाता है
-कोलायत में देशभर से 36 कौम के श्रद्धालु दर्शन के लिये पहुंचते हैं.
-इसी कोलायत में एक साथ, एक ही जगह 12 ज्योतिर्लिंग मंदिर हैं।
-कोलायत में संत गुरु गोविंद सिंह और गुरु नानक ने कई दिनों तक प्रवास किया था.
-कोलायत के गुरुद्वारे में 12 मासी लंगर-प्रसाद चलता है.
-कोलायत की 8 कोस की परिक्रमा क्षेत्र में सप्तऋषियों के आश्रम मौजूद हैं। वहां आज भी चेतन धूणे मौजूद हैं। जैसे- डेह में- देवहुति का मंदिर, जागेरी में- याज्ञवलक्य ऋषि, टेचरी में- काग ऋषि, जोगीरा में- जोग ऋषि, दियातरा में दतात्रैय ऋषि, चानी में च्यवन ऋषि और बीठनोक में सिद्ध-महात्माओं की तपोभूमि रही है।
-कोलायत में पंच मंदिर हैं।
-कोलायत में 2 धमों का समागम होता है। एक तरफ हिंदू और दूसरी तरफ सिख समाज के लोग कार्तिक मास की पूर्णिमा को यहां एकत्रित होते हैं।
-कोलायत वो धाम हैं, जहां देश के अलग-अलग कोनेसे आकर लोग.. एकरूप हो जाते हैं।
-यहां एक दिन का प्रवास अन्य तीर्थ-स्थल पर 10 साल बिताने के बराबर है।
कोलायत तीर्थधाम को पूरण तीर्थ धाम कहा जाता है। यहां के दर्शन करने के बाद ही सब तीथों की यात्रा पूरण मानी जाती है।

लेकिन.. विडंबना है कि इन सब का कभी ढंग से प्रचार-प्रसार ही नहीं हो सका। ख़बर अपडेट इन सब विशेषताओं को समेटते हुए इस पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म तैयार कर रहा है, ताकि देश-विदेश में कोलायत के धार्मिक-महात्मय का प्रचार-प्रसार हो सके। विडंबना की बात है कि आश्रम, अखाड़े, मठ, संत-समागम वाले इस तीर्थस्थल की आध्यात्मिक थाती, ऐतिहासिक महत्व और तीर्थ स्थल से जुड़ी भारतीय ज्ञान संस्कृति.. सुषुप्त पड़ी है। 100 से अधिक मंदिरों में स्थापित अधिष्ठाता देव.. सरकार, समाज और संतों की अनदेखी के चलते सुषुप्त हैं।

यहां की स्थापत्य कला, शिल्प कला, मूर्ति कला को वो अधिकार नहीं मिल रहा, जिसकी वे हकदार हैं। कई मंदिरों के तो ताले ही नहीं खुलते, कुछ मंदिर बदहाल है। इस आध्यात्मिक थाती की पुरासंपदा का क्षरण हो रहा है। इन्हें पुनः प्रकाश में लाने के लिए कपिल तीर्थस्थल की आध्यात्मिक विशेषताओं पर शोध और अध्ययन की जरुरत है। भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय, राजस्थान सरकार के शोध, पुरातत्व विभाग और इतिहास विभाग को श्रीकोलायत पर काम करने की जरुरत है।

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