‘गौ राष्ट्र यात्रा’ का आज बीकानेर में पड़ाव। गौपालकों, संगठनों से होगा संवाद

ऋषिकेश से शुरु हुई ‘गौ राष्ट्र यात्रा’ राजस्थान के बीकानेर में पहुंच चुकी है। आज.. इस यात्रा का नेतृत्व कर रहे भारत सिंह राजपुरोहित और उनके सहयोगी बीकानेर में देसी नस्लों पर काम कर रहे पशुपालकों, संगठनों और युवाओं से संवाद करेंगे। राजस्थान के साथ-साथ फिलवक्त यह यात्रा पंजाब में भी जारी हैं। जीव-जंतु कल्याण एवं कृषि शोध संस्थान (AWARI) के अध्यक्ष श्री भारत सिंह राजपुरोहित ने बताया कि “इस यात्रा का उद्देश्य देसी नस्ल की गायों पर काम कर रहे ब्रीडर्स, गौपालकों और पशुपालकों से सीधा संवाद करना, उनकी समस्याओं को सुनना, और गौसेवा को जनांदोलन का रूप देना है। इस यात्रा के माध्यम से एक स्पष्ट संदेश दिया जा रहा है —
“गौ नहीं बचेगी, तो गाँव नहीं बचेगा
और गाँव नहीं बचेगा, तो भारत नहीं बचेगा।”

बीकानेर से पहले अन्य कई जगहों, जैसे- 4H छोटी, 25F गुलाबेवाला, अरायन और 58RB में पहुंचकर.. देसी गायों पर कार्यरत गौपालकों और ब्रीडर्स से चर्चा की गई। इस दौरान एसएस ढोल, नरवीर देओल, शमशेर सिंह चानी, जगवीर बरार और पाला राम जाट जैसे समर्पित गौसेवकों ने अपने अनुभव साझा किए। इन क्षेत्रों में गौसेवा सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि जीवनशैली है। यहाँ के लोग तमाम चुनौतियों के बावजूद देसी नस्लों की रक्षा कर रहे हैं, जो भारत की आत्मनिर्भर ग्राम्य संस्कृति का प्रतीक है।

इसी तरह पंजाब चरण की यात्रा के दौरान ‘गौ राष्ट्र यात्रा’ के यात्रियों ने वरियाम खेड़ा में चौधरी रघुवीर सिंह मेमोरियल स्कूल के संस्थापक सौरभ के यहाँ देसी नस्लों के संरक्षण कार्यों को देखा-जाना। इसी तरह साहीवाल नस्ल की गायों के लिए प्रसिद्ध ढींगावली गाँव में चौधरी सुरेंद्र पाल सिहाग के परिवार द्वारा पिछले 100 वर्षों से किए जा रहे संरक्षण प्रयासों को भी देखा और चर्चा की।

यात्रा के सूत्रधार भारत सिंह राजपुरोहित ने कहा कि “गौ राष्ट्र यात्रा केवल गाय के संरक्षण की यात्रा नहीं है, यह भारत की आत्मा, ग्राम्य अर्थव्यवस्था और पारंपरिक कृषि ज्ञान की पुनर्प्राप्ति का संकल्प है। देसी गायें सिर्फ़ दूध का साधन नहीं, बल्कि संस्कृति, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता की आधारशिला हैं। जब पंजाब और राजस्थान के गाँवों में पाँच-पाँच पीढ़ियाँ देसी नस्लों को सहेजती दिखती हैं, तो यह केवल सेवा नहीं, यह सांस्कृतिक उत्तराधिकार है।”

उन्होंने आगे कहा कि, “AWARI संस्था का उद्देश्य केवल शोध नहीं, बल्कि नीति निर्माण, प्रशिक्षण और जन-जागरूकता के माध्यम से देश में देसी नस्लों के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाना है। हम चाहते हैं कि हर किसान यह समझे कि देसी गायें घाटे का सौदा नहीं, बल्कि स्थायी कृषि और जैविक खेती का आधार हैं।”

आपको बता दें कि 15 जून को शुरु हुई 61 दिवसीय ‘गौ राष्ट्र यात्रा’ रामेश्वरम तक जाएगी, जिसका नेतृत्व भारत सिंह राजपुरोहित, अध्यक्ष जीव-जंतु कल्याण एवं कृषि शोध संस्थान कर रहे हैं। इस दौरान यह यात्रा देश के 12 राज्यों के कई गांवों-ढाणियों, शहरों-कस्बों से होते हुए गुज़रा जाएगा। इस पूरी यात्रा के दौरान लगभग 10,127 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी। इस यात्रा को लेकर देशभर में उत्साह देखा जा रहा है।

इस यात्रा की ताजा जानकारी www.khabarkisanki.com पर उपलब्ध रहेगी। अन्य किसी जानकारी के लिये भारत सिंह राजपुरोहित से (+91-9772923956) रवि (+91-9719763911) से संपर्क किया जा सकता है। अन्य जानकारी वेबसाइट www.gaurashtrayatra.com पर पाई जा सकती है।

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