
श्रीकोलायत की राजनीति.. दिलचस्प घटनाक्रम दिखा रही हैं। एक तरफ कांग्रेस सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे भंवर सिंह भाटी हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी सरकार में सिंचाई मंत्री रहे देवी सिंह भाटी। भंवर सिंह ‘भाटी’ रैली निकाल रहे हैं, तो देवीसिंह ‘भाटी’ धरना देने की घोषणा कर चुके हैं। लेकिन.. इस रैली और धरने के पीछे के उद्देश्य राजनीति की पाठशाला के असली ‘सबक’ कहे जा सकते हैं।
दरअसल, भंवर सिंह भाटी श्रीकोलायत में ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुर्नगठन को लेकर हो रही राजनीति से परेशान है। उन्होंने इस मुद्दे पर रैली निकाल कर ज़िला कलेक्टर को आगाह किया हैं। उन्होंने कहा है कि “इसमें विसंगतियां हैं और देशनोक नगर पालिका के वार्डों का पुर्नगठन राजनीति के भेंट चढ़ रहा है।”
वहीं, दूसरी तरफ देवी सिंह भाटी ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में पेयजल संकट को लेकर परेशान हैं। वे जनता की इस समस्या से इतने परेशान हैं कि अपनी ही पार्टी की सरकार के ख़िलाफ़ धरना देने की घोषणा कर चुके हैं। वो भी ज़िला प्रशासन की नाक के नीचे। सोमवार को बीकानेर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ने आरोप लगाया कि “प्रदेश सरकार की ओर से नहरबंदी के बाद लोगों को सुगमता से पानी मिले, इसके लिए बजट जारी किया गया है। जल जीवन मिशन में भी केंद्र और राज्य सरकार की ओर से करोड़ों रुपए का बजट है। लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही के चलते अब जल संकट के हालात उत्पन्न हो गए हैं। अधिकारी जगहों का दौरा नहीं करते, अपने-अपने कार्यालयों में बैठे रहते हैं। ज़िला प्रशासन को चेताने के लिये 8 मई से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठूंगा।”
वैसे, भाटी का यह धरना सरकार-प्रशासन की नींद तोड़ सके तो जनता को राहत मिल सकती है।
यहां सवाल उठता है कि जब श्रीकोलायत के ग्रामीण इलाक़ों में, जिले के अन्य हिस्सों और शहरी क्षेत्र में पानी-बिजली की किल्लत है, तो कांग्रेस नेता भंवर सिंह भाटी क्यों नहीं बोल रहे हैं? क्या वे इस चिलचिलाती गर्मी में पानी की समस्या को मुद्दा नहीं समझते? या फिर उनके लिये पंचायत क्षेत्र के पुर्नगठन की समस्या…पब्लिक की ‘प्यास’ से बड़ी समस्या है? इसकी विसंगतियां जनता की तृष्णा से बढ़कर है? सवाल उठता है कि पूर्व ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी और उनके साथी नेता.. विपक्ष की भूमिका क्यों नहीं निभा रहे हैं? यह सवाल उनके साथ मौजूद रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भू दान बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मण कड़वासरा, प्रधान श्रीकोलायत पुष्पा देवी सेठिया, देहात जिलाध्यक्ष बिशना राम सियाग कांग्रेस संगठन के पदाधिकारी से भी पूछा जाना चाहिये। क्या उनमें से किसी भी नेता ने इस भीषण गर्मी में जनता की इस असल समस्या पर क्यों नहीं बोला?
यह बात सही है कि वे पंचायतों के पुर्नगठन की विसंगतियों के मुद्दे पर इकट्ठे हुए और कलेक्टर से मिले। लेकिन ये सब जन समस्याओं को लेकर कलेक्टर से कितनी बार मिले हैं? कांग्रेस पार्टी के कार्य योजना को लेकर तो राजनीतिक धरना-प्रदर्शन भले ही किए हों, लेकिन जनता की समस्या पर कोई कदम उठायें हों तो बतायें।
फिर, सत्ता में बैठे देवी सिंह भाटी इतने क्यों उद्देलित है? उनके पास फीडबैक है कि जिले में पानी की भारी किल्लत है। नौकरशाह संवेदनहीन है। अफसर दफ्तरों में ही मीटिंगें कर लेते हैं। मगर दौरा नहीं करते। पर्याप्त बिजली की आपूर्ति नहीं है। जल जीवन मिशन में 80 फीसदी पानी नहीं है। यह योजना विफल है। प्रशासन जांच नहीं कर रहा है। टैंकर से पानी पहुंचाने के 50-50 लाख के टेंडर हो रखे हैं। बावजूद इसके, पानी नहीं पहुंच रहा है। फर्जी भुगतान उठाया जा रहा है। जन सुनवाई नाटक है।
देवी सिंह भाटी ने जो सवाल उठाए हैं, वे सवाल कांग्रेस नेताओं को उठाने चाहिये थे। अपने राजनीतिक हितों पर चोट पहुंचने पर कांग्रेसी नेताओं का उद्वेलित होना स्वाभाविक है, लेकिन उतने ही उद्वेलित वे जनता की समस्याओं पर क्यों नहीं होते? वैसे, यह बात भी सही है कि प्रशासन पर सरकार की पकड़ कमजोर है, और उतनी ही सही यह बात भी है कि विपक्ष के तौर पर कांग्रेस अपनी भूमिका निभाने में नाकाम हुई है। और..यही कारण है कि प्रशासन निष्क्रिय और संवेदनहीन बना बैठा है। न विपक्ष आवाज़ उठाता है, और न ही प्रशासन सुनवाई करता है। ऐसे में जनता का माई-बाप कौन? सोचने वाली बात है।
भाटी जी (देवी सिंह) ! आपको ही और.. भाटी जी (भंवर सिंह) ! आपको भी जनता की आवाज़ बनना चाहिए।