कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हंसे हम रोये.
ऐसी करनी कर चलो, हम हंसे जग रोये।
बीकानेर के लालेश्वर महादेव मंदिर के अधिष्ठाता संवित् सोमिगिरि जी महाराज का महाप्रयाण हो चुका है. ये वो नाम था, जिनके अनुयायी देश-दुनिया में मिल जाएंगे. स्वामी जब बोलते थे, तो लगता था कि कोई नदी बह रही है, जी करता है कि सुनते ही जाएं. हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा पर अच्छा कमांड. कला, साहित्य और संस्कृति के लिए अथाह प्रेम और राष्ट्र के लिए कुछ कर गुजरने का जुनून, बयां नहीं किया जा सकता. स्वामी सोमगिरी जी बचपन में बादलों को, बरसात को और आंधियों को देखकर विराट का अनुभव करते थे. बचपन में ही उनमें वैराग्य का अंकुर फूट गया था. तभी तो पूर्वाश्रम में जब एक महात्मा उनके घर आए और बोले कि- "महात्मा बनना आसान नहीं, " तो उन्होंने सहसा यही जवाब दिया कि इसमें कौनसी बड़ी बात है? और यही बात माउंट आबू के एकांत में अश्रुधारा के साथ बह निकली कि वो संत बनना चाहते हैं, घर बार छोड़ना चाहते हैं. लेकिन एक सफल इंजीनियर से संत बनने का रास्ता इतना आसान कहां था? इतना विरोध और इतना परिहास झेलना पड़ा कि वो कल्पना से बाहर था. सोमगिरि जी ने कुछ समय पहले ख़बर अपडेट मीडिया ग्रुप के प्लेटफॉर्म 'Success Talks' में अपनी सफलता की कहानी सुनाई थी. इस कहानी में उन्होंने ऐसी-ऐसी बातें बताई हैं, जो आप शायद ही जानते होंगे. अपनी कहानी के जरिए उन्होंने यह संदेश भी दिया था कि "असली सफलता को पहचानना बहुत ज़रुरी है."
नीचे Video पर Click कीजिए, और सुनिए- स्वामी जी की कहानी, ख़ुद उन्ही की ज़ुबानी-