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मेरी बात : ..तो क्या यही तरीक़ा बचा है अपराधों को नियंत्रित करने का?

‘9 दिन नवरात्रा, 10वें दिन दशहरा और 20 दिन बाद दीवाली।’ नवरात्रा से दीपावली तक के ये 30 दिन.. हर भारतीय के लिये त्योहारों के लिहाज से.. पूरे साल के सबसे अहम दिन माने जाते हैं। इसी दौरान हम घरों को सजाते हैं, मरम्मत और रंग-रोगन करवाते हैं, शहरभर में काम चलता है, दिन-रात बाज़ार सजता है, सुबह से देर रात तक ख़रीददारी चलती है। लेकिन.. इस बार त्योहारी सीजन में बीकानेर में न तो देर रात तक बाज़ार लगेगा, न ही कोई जमघट होगी। वजह है- खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा का एक आदेश।

इस बार 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रा की शुरुआत हुई। लेकिन त्योहारों के सीजन की शुरुआत से एक दिन पहले यानी 2 अक्टूबर को खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा.. भाजपा मुख्यालय से अधिकारियों को आदेश देते हैं कि “बीकानेर में बढ़ते अपराधों को नियंत्रित करने के लिये रात 11 बजे बाद सभी बाज़ार बंद हो जाने चाहिये।”

मंत्री के आदेश के बाद शहरभर में रात 11 बजे बाद बाज़ार बंद करवाये जाने लगे। लेकिन.. त्योहारों के सीजन में उनके इस आदेश से जनता और व्यापारियों को परेशानी होनी लगी है। जिसके चलते उनका यह एक आदेश, अनेक सवालों से घिरता जा रहा है। मसलन, जनता का कहना है कि-
“नवरात्रा और दीपावली में रात को ही तो बाज़ारों में रंगत होती है। तो क्या अपराधों के भय से हम उत्सव का आनंद लेना छोड़ दे?”

शहर के छोटे-मोटे व्यापारियों का कहना है कि-
“क्या अपराधों के डर से हम रात में व्यापार करना छोड़ दें।”

इसी तरह कुछ व्यापारी इस बात से भी नाराज़ हैं कि-
“शहरी परकोटे में मंत्रीजी के आदेश की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। वहां रातभर दुकानें खुली रहती हैं, जबकि जस्सूसर गेट के बाहर और अन्य जगहों पर दुकानें बंद करवा दी जाती हैं। मंत्री के आदेश की पालना में इतना भेदभाव क्यों किया जा रहा है?

वहीं, कुछ लोग तो मसखरी करते हुए कहने लगे हैं-
“मंत्री जी को एक आदेश यह भी निकाल देना चाहिये कि बीकानेर में अपराधों के भय से जनता को दीपावली भी दिन में ही मना लेनी चाहिये।”

ऐसे ही कई सवाल अन्य लोग भी उठा रहे हैं। इनमें एक सवाल मेरा भी है। बेशक मंत्री जी की मंशा सही है लेकिन-
“क्या त्योहारों के सीजन में उनका यह आदेश उत्सव की उमंग को प्रभावित नहीं कर रहा? क्या बीकानेर में अपराधों को नियंत्रित करने का यही एक आख़िरी तरीक़ा बचा है? “

बहरहाल, ये तो शहर में अपराधों को नियंत्रित करने को लेकर आदेश है। मगर, कई आदेश तो ऐसे होते हैं, जो बगैर सोचे-समझे ही जनता पर थोप दिये जाते हैं। शासन-प्रशासन को अपनी ड्यूटी करनी होती है, मगर भुगतना जनता को पड़ता है, जैसे-

जब कोई सरकारी एग्जाम होता है, उस दिन पूरे शहर का इंटरनेट बंद कर दिया जाता है। क्यों ?
जब शहर में कोई बड़ा मंत्री आता है, तो रातोंरात सड़कें बना दी जाती हैं? चाहे जनता धरना भी क्यों न दे दे, ‘नाली के पानी’ की निकासी तक नहीं की जाती। क्यों ?
जहां एक तरफ बीकानेर ज़िला प्रशासन नाइट टूरिज्म की बात करता है, वहीं दूसरी तरफ मंत्री रात 11 बजे बाद बाज़ार बंद करने के आदेश दे देते हैं। क्यों?

फिर क्या ही जरुरत है बीकानेर जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि द्वारा शहर की गलियों में घूमकर बीकानेर को ‘हेरिटेज सिटी’ बनाने की संभावनाएं तलाशने की? इसी तरह जब बाज़ार ही नहीं खुलेंगे तो शहर में क्या ही नाइज टूरिज्म विकसित होगा? हां, जनता को सुनाने को बड़ी-बड़ी बातें ज़रूर हो गईं, हेरिटेज सिटी… नाइट टूरिज्म.. वगैरह-वगैरह। वहीं दूसरी तरफ, इस मुद्दे पर कांग्रेस जनता और व्यापरियों की संवेदनाओं को मुद्दा बना रही है। कांग्रेसी नेताओं ने चेताते हुए कहा है कि “जनता और व्यापारियों की परेशानी कम नहीं हुई तो विरोध-प्रदर्शन झेलने के लिये तैयार रहें।”

बहरहाल, बीकानेर में अपराधों को नियंत्रित करने के लिये मंत्री महोदय, ज़िला कलेक्टर और सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस को कोई और कारगर तरीक़ा निकालना चाहिये। त्योहारों के सीजन में रात 11 बजे बाद बाज़ार बंद करवाने से अपराधों पर अंकुश नहीं लगने वाला। हां.. इससे आपकी जनता ज़रूर परेशान होगी।

1 COMMENTS

  1. आपने वाक़ई बेहद सहीह् बात कही हैऔर यक़ीनन इस नब्ज़ को ईमानदारी से पकड़ा है कि क्या जल्दी बाज़ार बंद करवाने से अपराध ख़त्म हो जायेंगे?
    आपने बेहद ईमानदारी से मुद्दा उठाया है जहाँ पत्रकारिता के नाम पर चाटूकारिता हो रही है वहाँ आपने बहुत हिम्मत दिखाई है ज़िंदाबाद सुमित भाई

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