विमर्श : दुनिया में भारत ही गो आधारित उद्यमिता सैक्टर

भारत की गौ एवं पंचगव्य आधारित अर्थव्यवस्था एवं विकसित भारत संकल्प में स्वावलंबन/ सशक्त करने की योजना उपाय व पंच परिवर्तन के माध्यम। जिससे वर्तमान या भविष्य की आपदा और जलवायु परिवर्तन के संकट से भी बचा जा सके। इस दिशा में ठोस कार्य नीति बनाई जा रही है। आने वाले वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर की बनेगी, जिसमें गौ आधारित उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान हो सकेगा। गौ पालन और इससे जुड़ी अर्थव्यवस्था ही देश की बड़ी ताक़त है। देश के समग्र विकास में विज्ञान, उद्योग, तकनीक, युवाशक्ति और किसानों की भूमिका तो है ही, लेकिन एक विशेष और ऐतिहासिक योगदान हमारे भारतीय गौवंश का भी है। भारत की पहचान सिर्फ आईटी और उद्योग जगत से ही नहीं, बल्कि कृषि और गौ-आधारित अर्थव्यवस्था से भी है। आज जब दुनिया ऑर्गेनिक खेती और स्वास्थ्य की तरफ लौट रही है, तब हमारी देशी गायें और उनका योगदान फिर से भारत की शक्ति बन सकता है। राजस्थान गौ सेवा परिषद भी इस दिशा में प्रयासरत है।

विश्व में अशांन्ति, आपदायें और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के दौर में भारत विश्व शक्ति बनने और आत्मा निर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए 13 अक्टूबर 2025 को आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस पर ‘तृतीय राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन’ का आयोजन होने जा रहा है। राष्ट्रीय नीति में समाज, कुटुंब, पर्यावरण, आत्मनिर्भरता एवं कर्तव्य से भारत को सशक्त एवं विकसित करने की दिशा में दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जहां गाय की महिमा गाई गई है। भारत में ही गो आधारित उद्यमिता विकास का नया सैक्टर विकसित हो रहा है। यह दुनिया के लिए उद्योग का एक नया क्षेत्र होगा। देश भर में हर गांव यहां तक की गांवों में घर घर इस दिशा में परम्परागत रूप से काम हो रहा है। देश के तकनीकी, वैज्ञानिक क्षेत्र में इस दिशा में ध्यान दे रहे हैं। दुर्भाग्य है कि नीति निर्धारक, ब्यूरोक्रेसी और राजनेताओं के स्तर पर उचित संरक्षण और मार्गदर्शन नहीं मिला रहा है। अन्यथा देश में हरित क्रांति और धवल क्राति के बाद गोबर गोमूत्र से एक नई क्रांति का सूत्रपात हो चुका होती।

गौ आधारित उद्योगों का वैश्विक परिसंघ के संस्थापक अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. वल्लभ भाई कथीरिया ने बताया कि अब इस दिशा में मिशन भारत, पशुपालन मंत्रालय, समाज कल्याण मंत्रालय, विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्रालय, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, क्षमता निर्माण आयोग, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, CUTS (उपभोक्ता एकता एवं ट्रस्ट सोसाइटी), GCCI (गौ-आधारित उद्योगों का वैश्विक परिसंघ) और गौ विज्ञान अनुसंधान केंद्र के सहयोग से आयोजित की जा रही है। सहभागिता और साझेदारी से राष्ट्र निर्माण में 17 वर्षों की सेवा पूरी करने के बाद, खुशी सेंटर फॉर रिहैबिलिटेशन एंड रिसर्च द्वारा आयोजित यह सम्मेलन गौ-आधारित अर्थव्यवस्था को विकसित और सुदृढ़ करने हेतु यह प्रयोग है! जिसमे हमें गौ-आधारित अनुसंधान और गतिविधियाँ करने वाले संगठनों से भी समर्थन प्राप्त हुआ। हम इस कार्यक्रम का आयोजन “पंचगव्य” के रूप में करेंगे – गाय से प्राप्त पाँच उत्पाद (दूध, दही, घी, गोबर, गौमूत्र) – जो भारत के पारंपरिक ज्ञान का एक अभिन्न अंग रहे हैं और जिन्हें हमने HEALS प्रोटोकॉल के रूप में प्रलेखित अनुप्रयोगों में दिया है, अर्थात स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कृषि, पशुधन और सतत अर्थव्यवस्था इस सम्मेलन का उद्देश्य शिक्षाविदों, प्रशासकों, प्रौद्योगिकीविदों, विशेषज्ञों, संस्थानों, संगठनों, कॉर्पोरेट्स और सरकारी अधिकारियों को एक साथ लाना है। इसका उद्देश्य अनुसंधान और वैज्ञानिक सत्यापन, नवाचार, गुणवत्ता प्रबंधन और नीतिगत हस्तक्षेपों अन्वेषण करना, चुनौतियों, समस्याओं और समाधानों की पहचान करना और हमारी स्थानीय क्षमता को बढ़ाना है।

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