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विमर्श : प्रधानमंत्री जी ! आपके मंत्री भी तो पत्रकारों को धमकाते हैं

माननीय प्रधानमंत्री जी !

बीते दिनों अमेरिका में राहुल गांधी के समर्थकों ने भारतीय पत्रकार के साथ जो बदसलूकी की, उस पर अमेरिकी नेशनल प्रेस काउंसिल ने फौरन नोटिस लिया। अमेरिकी संविधान द्वारा पत्रकार को सुरक्षा दी गई। आपने भी इस पूरे प्रकरण की निंदा करते हुए कहा था कि-

“वे (कांग्रेस) संविधान की बातें करने वाले नफरत की दुकान पर मोहब्बत का बोर्ड लगाकर घूमते हैं। लोकतंत्र का महत्वपूर्ण स्तम्भ हमारा स्वतंत्र मीडिया है। पत्रकार पर अमेरिका मे जो जुल्म किया, उसकी कहानी जनता के सामने रखी है। अमेरिका की धरती पर हिन्दुस्तान के एक बेटे, वो भी पत्रकार को, जो भारतीय संविधान की रक्षा के लिए काम करने वाले एक पत्रकार को कमरे में बंद कर लोकतंत्र को संविधान की मर्यादा को उजागर करने वाला है। क्या वे (कांग्रेस) किसी पत्रकार के साथ ऐसा बर्ताव करके भारत की प्रतिष्ठा बढ़ा रहे हैं? आपके (कांग्रेस) मुंह में संविधान शब्द शोभा नहीं देता।”

आपने बिल्कुल सही कहा था प्रधानमंत्री जी। अमेरिका ही नहीं, बल्कि दुनिया में कहीं भी किसी भी पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार सही नहीं है। लेकिन.. माननीय प्रधानमंत्री जी ! अगर आप ही के भारत में.. आप ही की सरकार का कोई केंद्रीय मंत्री.. लोकतंत्र की पैरवी करने वाले ऐसे ही किसी पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार करें, धमकाएं.. तब आप क्या कहेंगे? आपको कितना बुरा लगेगा, जब मालूम चलेगा कि ऐसा करने वाला कोई और नहीं बल्कि संविधान, क़ानून और नियमों की पैरवी करने वाले मंत्रालय का, आपकी ही सरकार का कोई केंद्रीय मंत्री है। आपके क़ानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के संसदीय क्षेत्र (उनके ही पैतृक गांव किशमीदेसर) में जल-भराव की समस्या थी। जनता इस परेशानी से बेजा त्रस्त थी। लोग 2 हफ्तों तक धरने पर बैठे थे। हमने इस मसले पर ख़बर के जरिये मंत्री से जवाबदेही मांगी तो मंत्री जी जनता की आवाज़ बनने वाले पत्रकार के साथ ही दुर्व्यवहार करने लगे। शर्म की बात है कि उन्होंने बीकानेर में राजस्थान के राज्यपाल के एक कार्यक्रम के दौरान, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री, 2-3 कुलपतियों और प्रेस के सामने सार्वजनिक तौर पर ऐसा बर्ताव किया।

आदरणीय प्रधानमंत्री जी ! अमेरीका में पत्रकार के साथ जो हुआ, वो बड़े मीडिया हाउस की वजह से आपके संज्ञान में आ गया, लेकिन देश में बाक़ी पत्रकारों के साथ क्या-क्या हो रहा है, कितना दुर्व्यवहार किया जा रहा है, इसकी आवाज़ आप तक कभी नहीं पहुंचने दी जाती, उसका संज्ञान नहीं लेने दिया जाता। बीकानेर में हुये इस पूरे प्रकरण में आपके मंत्री मेघवाल के व्यवहार की देशभर में निंदा हुई, देशभर के पत्रकारों ने इसकी आलोचना की। लेकिन आप तक यह पूरा मामला कभी पहुंचने ही नहीं दिया गया। (घटना का पूरा सच ख़बर अपडेट की वेब साइट (www.khabarupdate.com) देख सकते हैं।)

पीएम साहब ! एक आप हैं, जिनका व्यक्तिगत व्यवहार मीडिया के प्रति हमेशा सम्मानजनक रहा है। एक आपके मंत्री हैं, जो प्रेस को कुछ समझते ही नहीं हैं, एक आप हैं कि वैश्विक पटल पर हिंदुस्तान का नाम रोशन करते हैं, एक आपके केंद्रीय मंत्री हैं, जो ‘नाले के पानी’ जैसे छोटे से मसले पर सरकार की छवि धूमिल कर देते हैं। एक आप हैं कि संसद की सीढ़ियां चढ़ते वक्त भी भावुकता में रो पड़ते हैं, एक ‘मिच्छामि दुक्कड़म’ की बात करने वाले आपके मंत्री हैं, जिनको ग़लती का अहसास तक नहीं होता। एक आप हैं, जिनको दुनियाभर के सवाल झेलने पड़ते हैं, एक आपके मंत्री हैं, जो अपने ही पैतृक गांव में जल-निकासी के सवाल को बर्दाश्त नहीं कर पाते। एक आप हैं कि दुनियाभर की आलोचना झेलते हैं, एक आपके मंत्री हैं, एक ही सवाल पर आपे से बाहर आ जाते हैं। बस ! यही फर्क और फासला उन्हें आपसे अलग बनाता है। मगर… फिलहाल वे उस ऊंची कुर्सी पर बैठे हैं, जहां से उन्हें सब छोटा ही दिखाई देता है। वे ये भी भूल चुके हैं कि आप हैं, तो वे हैं। मोदी से वे हैं। मोदी हैं, तो ही वे हैं। मोदी के बगैर वे कुछ भी नहीं है। शायद इसी भूल के चलते वे ऐसी हरकतें करते होंगे। आपको उन्हें इस बात का अहसास कराने की ज़रुरत है। वे तो ऐसा करके भूल जाते हैं, भुगतना माननीय प्रधानमंत्री आपको और आपकी सरकार को पड़ता है। ऐसे ही प्रकरणों की वजह से कोई ध्रुव राठी कह देता है “मोदी सरकार तानाशाह..” कल कोई और कहेगा, परसों कोई और..

पीएम साहब ! दुनिया का सबसे बड़े इस लोकतांत्रिक देश में पत्रकारिता ही तो आधार स्तम्भ है। जो पत्रकार, पत्रकारिता को धर्म मानकर निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता करते हैं, वे भी तो सच्चे अर्थों में राष्ट्र की सेवा करते हैं। शक्तिशाली ताक़तों से टकराने से उनको क्या ही व्यक्तिगत फायदा होता होगा? लेकिन पत्रकारिता धर्म सर्वोपरि.. इसी धर्म को निभाने में और जनता की आवाज़ बनने से अगर आपके कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम को आपत्ति है तो आपकी उस बयान के क्या ही मायने रह जाते हैं, जिनमें आप कहते हैं कि “लोकतंत्र का महत्वपूर्ण स्तम्भ हमारा स्वतंत्र मीडिया है। पत्रकार संविधान की रक्षा करते हैं।” अगर आपका मंत्री ही आपकी बात को न माने तो यह बात तो सरासर ‘राजनीतिक’ हो गई। कांग्रेस ने दुर्व्यवहार किया तो निदंनीय और आपका मंत्री करे सभी स्तरों पर चुप्पी? जब राहुल गांधी के समर्थकों को अधिकार नहीं बनता कि वे पत्रकार के साथ बदसलूकी करें, फिर भारत में क़ानून और न्याय मंत्री को ये अधिकार कैसे मिल गया कि उनके ही पैतृक गांव में जल निकासी की समस्या को लेकर धरने पर बैठे लोगों की आवाज़ बनने पर पत्रकार को सार्वजनिक तौर पर धमका दें।

माननीय पीएम साहब ! पत्रकार..पत्रकार होता है। चाहे अमेरिका में राहुल के समर्थक पत्रकार से बदसलूकी करें या फिर भारत में केन्द्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पत्रकार को धमकाएं, दोनों ही बातें ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ पर चोट कहलाती हैं। फिर दोनों मामलों में फर्क क्यों? क्यों राहुल गांधी के समर्थकों वाली बात पर आपने निंदा की? …और क्यों आपके मंत्री के बर्ताव वाली बात आप तक पहुंचने भी नहीं दी गई? हम जानते हैं अगर ये बात आप तक पहुंचने दी गई होती तो आप प्रेस की स्वतंत्रता की पहले रक्षा करते। पीएम साहब ! अब इस बुरी कोशिश को बेअसर कीजिये और कोशिश करके अपने मंत्री के व्यवहार का सच तो जानिये। इससे आपकी सरकार की एक मिसाल ही पेश होगी कि मोदी सरकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को दिये गये अधिकारों की रक्षा के लिये कितनी जागरुक है। लगे हाथ बीकानेर में सर्वे करवा लीजियेगा, ताकि यह खुलासा हो कि मधुरता और विकास की मूरत वाले मंत्री जी के व्यवहार और संसदीय क्षेत्र की क्या स्थिति है। मोदी जी ! इस पूरे प्रकरण की जांच करवाकर सच जानियेगा। इतनेभर से केन्द्र सरकार का मीडिया के प्रति दायित्व पूरा मान लिया जाएगा। हम जानते हैं कि यह सब जानकर आपको बहुत तकलीफ होगी लेकिन स्वस्थ लोकतंत्र के लिये ये सब जानना जरुरी है। मुमकिन है कि ये प्रकरण जानकर आप उनसे ही कह दें कि-

“वे (मंत्री मेघवाल) संविधान की बातें करने वाले नफरत की दुकान पर मोहब्बत का बोर्ड लगाकर घूमते हैं। लोकतंत्र का महत्वपूर्ण स्तम्भ हमारा स्वतंत्र मीडिया है। पत्रकार पर बीकानेर में जो जुल्म किया, उसकी कहानी जनता के सामने रखी है। बीकानेर की धरती पर हिन्दुस्तान के एक बेटे, वो भी पत्रकार को जो भारतीय संविधान की रक्षा के लिए काम करने वाले पत्रकार को कमरे में बंद कर लोकतंत्र को संविधान की मर्यादा को उजागर करने वाला है। क्या वे (मंत्री मेघवाल) किसी पत्रकार के साथ ऐसा बर्ताव करके भारत की प्रतिष्ठा बढ़ा रहे हो? आपके (मंत्री मेघवाल) मुंह में संविधान शब्द शोभा नहीं देता।”

एक संवेदनशील प्रधानमंत्री से स्वतंत्र मीडिया के अधिकारों की रक्षा के लिये ऐसी ही उम्मीद की जाती है। आख़िर आप ही तो इन मंत्रियों के आलाकमान हैं और हमारे देश के सूत्रधार भी।

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