डॉ. कृष्णा आचार्य
ख़बर अपडेट, बीकानेर।
करवा चौथ का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इस बार करवा चौथ 4 नवंबर 2020 को है. करवा चौथ के दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. जिसे चंद्रमा के दर्शन के बाद खोला जाता है. वैसे तो चंद्रमा की पूजा कई त्याहोरों पर की जाती है लेकिन करवा चौथ को चांद कुछ ज्यादा ही ख़ास हो जाता है. तो आइये न ! करवा चौथ के बहाने चांद को ज़रा क़रीब से जानते हैं.
*चंद्रमा को 'मन का देवता' कहा जाता है. जो मन की चंचलता, स्थिरता और प्रसन्नता को नियंत्रित करने का काम करता हैं. हमारे मस्तक पर भौहों के बीच वाले भाग को चन्द्रमा का स्थान कहा गया है. चंद्रमा की अनुकूलता बनी रहे इसके लिए यहांचन्दन, रोली का टीका लगाया जाता है और महिलाएं बिंदी लगाती है. ईद हो या कजली तीज, दूज हो या करवा चौथ, चांद के दीदार के बगैर सब अधूरे हैं. ख़ासकर करवा चौथ को तो महिलाएं सोलह श्रृंगार करके चंद्रमा के दर्शन करती हैं और अपने पति के दीर्घायु होने का आशीर्वाद मांगती हैं.
*ऐसे में फ़र्ज़ कीजिए कि क्या होता गर चांद ही न होता, तो जवाब है कि गर चांद न होता तो दिन-रात 6-12 घंटों में ही सिमट जाते, ..तो साल में 1000-1400 के आसपास दिन हो जाते, ..तो दिन में भी रोशनी न होती, ..तो मौसम के ये नज़ारे न होते, ..तो न सूर्यग्रहण होता, न ही चंद्रग्रहण होता, ..तो न ईद मनती न करवा चौथ मनती, गर चांद न होता तो न हम होते, न ही आप होते. यही वजह है कि चांद बेशक़ीमती है. चांद है तो ही करवा चौथ है.