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रविवार को 'गोचर विकास संयुक्त समिति' की बैठक हुई. इस बैठक में गोचर से जुड़े कई मु्द्दों पर निर्णय लिये गये. बैठक में सर्व सम्मति से निर्णय लिया गया कि गंगाशहर गोचर की चारदीवारी का निर्माण 8 अक्टूबर को भूमि पूजन के साथ शुरु किया जाएगा। इसके लिए महावीर रांका ने मस्त मण्डल की ओर से 11 लाख रुपए देने और जनसहयोग से राशि जुटाने की घोषणा की। वहीं नवरतन डागा और धर्म सिंघी ने मौके पर ही इसकी चार दीवारी के लिए एक-एक लाख रुपए देने की घोषणा की। इसके अलावा सहयोग राशि देने वालों की सूची में गंगाशहर क्षेत्र के 60 लोग शामिल हुए हैं। मीटिंग में तय हुआ कि पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी कार्यकर्ताओं के साथ गंगाशहर के मुख्य बाज़ारों में गोचर विकास के लिए झोली फैलाएंगे। देवी सिंह भाटी ने बताया कि "जनसहयोग से चल रहे गोचर विकास के कार्यों में समाज का प्रबुद्ध वर्ग स्वप्रेरणा से मदद की पहल कर रहा है। इस नेक काम में हमें लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा है।" *भाटी के सुझाव पर प्रस्तावित गोचर विकास के मॉडल को मुहूर्त रूप देने के लिए चारागाह विकास, जल संरक्षण औऱ गोचर सुरक्षा समितिया गठित की गईं। ये समितियां तय मॉडल के अनुरूप अगले महीने से गोचर विकास का शुरू कर देगी। गंगाशहर चार दीवारी निर्माण के लिए बनी 11 सदस्यीय समिति में नवरत्न डागा, महावीर रांका, आदू राम भाटी, कनक चोपड़ा, शिव कुमार रंगा, विजय मालू, अरिहन्त नाहटा, महेश सोनी, झंवर गहलोत, पुख राज सोनी, किसान सांखला, बजरंग सारडा शामिल है। इसके अलावा बंशी लाल तंवर ने सभी लोगों को गोचर विकास में जुट जाने का आह्वान किया। निर्मल बरड़िया ने विकास मॉडल को मुहूर्त रूप देने की भूमिका रखी। इस दौरान चारदीवारी निर्माण शुरू होने वाले स्थल का निरीक्षण किया गया। बृज नारायण किराड़ू ने फीता काटकर नए ब्लॉक का उद्घाटन किया। देवी सिंह भाटी, महावीर रांका, नवरत्न डागा ने गोचर के ब्लॉक में पौधरोपण किया। बैठक गोचर समितियों के पदाधिकारियों में अजय पुरोहित, बृजनारायण किराडू, हजारी देवड़ा, शिवकुमार रंगा, सूरजप्रकाश राव, मन्नू बाबू सेवग, महावीर गहलोत, किशन सांखला, कैलाश सोलंकी समेत कई लोगों ने हिस्सा लिया।
बीकानेर। सरेह नथानिया गोचर स्थित हनुमान मंदिर परिसर में मंगलवार को बरसात के लिए यज्ञ में इंद्र देव का आह्वान किया गया । सुबह से पूर्वान्ह तक आयोजित एक कुंडीय वर्षा महायज्ञ में 11 पंडितों ने मन्त्रों के माध्यम से इंद्र देव का आव्हान किया । यजमान देवी सिंह भाटी, बृज नारायण किराडू, महावीर रांका ने बरसात के लिए आहुतियां दी । दोपहर में ही बादल छाने लगे । भारतीय परंपरा में यज्ञ का महत्व आदिकाल से है । यज्ञ प्रकृति पोषण का सुगम विधान है । वायुमण्डल में आए विकारों को यज्ञ से दूर किया जा सकता है । इसका वैज्ञानिक प्रमाण भी है । गोघृत, पंचगव्य, गोबर का कंडा तिल, जो, अक्षत, गट समेत हवन सामग्री से दी गई आहुति से कई किलोमीटर वातावरण में शुद्धि आ जाती है । बीकानेर जिले में अभी तक बारिश नहीं होने के कारण सूखा है । लोग जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग करने लगे हैं । गोधन के लिए भी चारे का संकट गहराने लगा है । इन हालातों के बीच वर्षा यज्ञ कर इंद्र देव का आव्हान किया । मंत्रोच्चार औऱ हर आहुति में इंद्र देव की अर्चना की गई कि इंद्र देव वर्षा करो की भावना से प्रार्थना की गई । यज्ञ के बाद बादल घिरने लगे हैं । शीघ्र वर्षा होने की उम्मीद बंधी रही है । इस बीच मौसम विभाग ने भी बंगाली की खाड़ी में कम दवाब का क्षेत्र बनने और राजस्थान में भारी बारिश की चेतावनी दी है । राजस्थान में 8 से 11 सितम्बर तक भारी वर्षा की चेतावनी मौसम विभाग ने जारी की है । पूरे सप्ताह मानसून सक्रिय रहने की उम्मीद जताई गई है ।
बीकानेर के पास गेबना पीर एरिया में आज दोपहर को एक ऐसा वाकया हुआ, जिसके बारे में सुनने वालों के भी होश फाख़्ता हो गए. हुआ यह कि नाल पुलिस को इस इलाक़े के एक खेत में किसी संदिग्ध चीज़ मिलने की जानकारी मिली. पुलिस मौक़े पर पहुंचती, उससे पहले ही इस खेत में लोगों की भीड़ उमड़ चुकी थी. मौक़े पर मौजूद भीड़ में हड़कंप मच चुका था. पुलिस ने जब मौक़ा मुआयना किया तो मालूम चला कि "यह कोई बिना फटा लॉन्चर था." जो कि दिखने में किसी रॉकेट लॉन्चर की तरह लग रहा था. जिसके बाद पुलिस ने इसके चारों तरफ मिट्टी के कट्टे जमा दिए और फौरन आर्मी को इतला किया. गनीमत यह रही कि इससे किसी तरह का कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ. अब सवाल यह उठता है कि आख़िर खेत में यह लॉन्चर आया कहां से? हालांकि इस सवाल का अभी तक कोई जवाब नहीं मिल पाया है लेकिन कयास ये लगाए जा रहे हैं कि इस इलाक़े के नजदीक छावनी एरिया होने के चलते युद्धाभ्यास के दौरान कोई बम यहां गिर पड़ा हो. खैर, जो भी हो लेकिन ग़नीमत यह रही कि इससे कोई जान-माल का नुक़सान नहीं हुआ. यह और बात है कि कई बार लोग इसमें से तांबा निकालने के लालच में बम उठाकर ले जाते हैं और खोलने के दौरान यह फट भी जाता है। ऐसी घटनाएं पहले भी कई बार हो चुकी है। यह लॉन्चर कहां से आया और इस लापरवाही के लिए कौन ज़िम्मेदार है? इसकी पड़ताल और जिम्मेदार पर कार्यवाही होनी चाहिए.
बीकानेर 12 मार्च। ‘मंगल टीका जागरुकता अभियान’ के तहत आज कई धर्मगुरुओं ने एक साथ कोविड वैक्सीनेशन करवाकर संदेश दिया कि टीका जरूर लगाएं, यह पूर्णतया सुरक्षित है। इसके प्रति किसी प्रकार की भ्रांति रखने की जरूरत नहीं है। धर्मगुरुओं ने कहा कि बीकानेर, गंगा-जमुनी संस्कृति और साम्प्रदायिक सौहार्द वाला जीवंत शहर है। कोरोना जागरुकता अभियान में हमारी साझी जिम्मेदारी रही। अब वैक्सीनेशन में भी इस जज्बे को बनाए रखें।’ जिरियेट्रिक सेंटर में देवस्थान विभाग द्वारा आयोजित संयुक्त टीकाकरण अभियान में शहर काजी मुश्ताक अहमद, रसिक शिरोमणि मंदिर के पं. विजय शंकर व्यास, सच्चियाय माता मंदिर के महंत राम कुमार व्यास, आईजीएनपी स्थित गुरुद्वारा के ग्रंथी मनजीत सिंह, रानी बाजार गुरुद्वारा के सचिव गुरविंदर सिंह, गुरुद्वारा आइजीएनपी के ग्रंथी मनजीत सिंह, बीबीएस के फादर जोसेफ, मिस मबेल, निर्मला डिसूजा सहित सभी विभिन्न धर्मों के गुरुओं का टीकाकरण किया गया। अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) बलदेव राम धोजक ने बताया कि कोरोना वैक्सीनेशन के प्रति आमजन में जागरुकता के उद्देश्य से जिला कलक्टर नमित मेहता की पहल पर सघन अभियान चलाया जा रहा है। धर्मगुरुओं द्वारा दिया गया संदेश अधिक सुलभता से अधिक लोगों तक पहुंचता है। इसके मद्देनजर यह पहल की गई है। पीबीएम अस्पताल के वैक्सीनेशन प्रभारी डाॅ. नवल गुप्ता ने वैक्सीनेशन के पंजीकरण प्रक्रिया के बारे में बताया। इस दौरान देवस्थान विभाग की निरीक्षक श्वेता चैधरी, राजेश दाधीच, गोपाल आचार्य तथा बड़ी ईदगाह के हाफिज फरमान मौजूद रहे।
आज महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है. देशभर के मंदिरों में भोले भंडारी के भक्तों की कतारें लगी हैं. महाशिवरात्रि के इस ख़ास मौके पर हम आपको राजस्थान के बीकानेर के शिवबाड़ी मंदिर की ऐसी 5 ख़ूबियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन पर आपने शायद ही कभी गौर किया होगा. 1. महाराजा डूंगर सिंहजी ने बनवाया था बीकानेर के इस शिवबाड़ी मंदिर का निर्माण महाराजा डूंगर सिंहजी ने 19वीं सदी में करवाया था. स्थानीय लोग इसे लालेश्वर महादेव के नाम से भी जानते हैं. बीकानेर से 6 किमी दूर बने इस मंदिर को देखने के लिए देश-विदेश से सैलानी पहुंचते हैं. 2. मंदिर की बनावट शिवबाड़ी मंदिर को बनाने के लिए बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था. मंदिर चारों ओर से बड़े-बड़े पत्थरों वाली दीवार से घिरा हुआ है. मंदिर का बाहरी हिस्सा बेहद सुंदर है, जिस पर भगवान कृष्ण और गोपियों की प्रतिमाएं लगी हैं. इसके अलावा मंदिर के मंडप, गुंबद और स्तंभ और वास्तुकला को देखने वाले देखते ही रह जाते हैं. 3. मंदिर की प्रतिमाएं इस मंदिर में लगी प्रतिमाओं का तो कहना ही क्या. मंदिर में चारमुखी शिव की संगमरमर की प्रतिमा है और उसके सामने शिव के नंदी बैल की कांस्य प्रतिमा है. मुख्य मंदिर में भगवान भोलेनाथ का पंचमुखी काले पत्थर का शिवलिंग है. मुख्य मंदिर के चारों कोनों में सद्योजात महादेव, वामदेवाय महादेव, अघोर महादेव, तत्पुरुष व इशान महादेव मंदिर बने हैं. इसके अलावा देवी पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की प्रतिमाएं भी लगी हैं. 4. मंदिर में महादेव का मंदिर बीकानेर के महाराजा डूंगरसिंह ने भी इस मंदिर में महादेव मंदिर का निर्माण करवाया था, जो डूंगरेश्वर महादेव के नाम से पहचाना जाता है. मंदिर के वर्तमान महंत स्वामी संवित सोमगिरि महाराज के सानिध्य में मंदिर परिसर में महादेव पंचायत मंदिर और शिवलिंग की स्थापना भी की गई. हर साल श्रावण सुदी दशम को यहां मेला भरता है. 5. सात समंदर पार से आते हैं श्रद्धालु इस मंदिर में दो विशाल बावड़ियां भी बनी हैं। सावन के महीने में शिव बाड़ी मंदिर में पूरे देश से हजारों भक्त भगवान के दर्शन और पूजन के लिए आते हैं। इसके अलावा देश-विदेश से लाखों लोग इस मंदिर को देखने के लिए पहुंचते हैं आपका इस मंदिर की ख़ूबसूरती पर क्या कहना है? अपनी राय हमें कमेंट करके जरूर बताएं.
देश के कई राज्यों में फिर से कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. बीते 24 घंटों में 13 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में रिकवरी से ज्यादा कोरोना मरीजों की पहचान हुई है. वहीं 4 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना की दूसरी लहर आ चुकी है. देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते एक बार फिर डर का माहौल है. बात बीकानेर की करें तो आज से कुछ महीनों पहले कोरोना वायरस ने यहां ख़ूब तांडव मचाया था. ऐसे में देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते बीकानेरवासी भी खौफजदा हैं. लेकिन राहत की ख़बर यह है कि फिलहाल जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या नियंत्रण में है. आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी के महीने में 8,423 लोगों की जांच की गई, जिसमें सिर्फ जिसमें छह पॉजिटिव केस आये हैं। वहीं किसी भी कोरोना मरीज की मौत नहीं हुई और 22 लोगों को डिस्चार्ज कर दिया गया है। इन आंकड़ों को देखकर कहा जा सकता है कि बीकानेर में कोरोना वायरस के संक्रमितों की संख्या नियंत्रण में है. लेकिन ये बात भी सनद रहे कि दवाई भी, कड़ाई भी क्योंकि कोरोना का वैक्सीनेशन अभी चल रहा है. ऐसे में कोरोना से जुड़ी सावधानियां रखना बेजा जरुरी है. मास्क लगाते रहिए, थोड़ी-थोड़ी देर में हाथों को सेनेटाइज करते रहिए.
पूरे विश्व में बीकानेर भौगोलिक रूप से ऐसा इलाक़ा है जहां साल के 365 दिनों में से 325 दिन सूर्य की किरणें रहती हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो बीकानेर को सूर्य देव का सौर ऊर्जा हब के रूप में कुदरत का तोहफा मिला है. इस तोहफा को वरदान का रूप भी दिया जा सकता है, बस ज़रुरत है तो एक अदद पहली की और वो है बीकानेर को सौर ऊर्जा का हब कैसे बनाया जाए. बीकानेर में राजनीतिक दलों और व्यापारियों की सरकार से बीकानेर को औद्योगिक हब बनाने की मांग रही है. ऐसे में राजस्थान के ऊर्जा मंत्री डॉ बी डी कल्ला ने उद्यमियों को बीकानेर को सौर ऊर्जा हब बनाने के लिए खुला आमंत्रण दिया है. यहां कई सौर ऊर्जा प्लांट लगे हैं और लगते ही जा रहे हैं. ऊर्जा मंत्री ने बीकानेर को सौर ऊर्जा हब बनाने के लिए राज्य सरकार को डीएलसी दर पर भूमि उपलब्ध करवाने, सीलिंग में छूट, स्टाम्प ड्यूटी तथा विद्युत कर में छूट के प्रस्ताव दिए हैं. उनका आकलन है कि सौर ऊर्जा प्लांट लगाने पर उसका खर्च 5 साल के उत्पादन से निकल जाता है. फिर 20 वर्ष तक इकाई से बिजली उत्पादन लेकर लाभ कमाया जा सकता है. बीकानेर से जैसलमेर के बीच आगामी वर्षो में सौर ऊर्जा से 30 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य है. कुल मिलाकर बीकानेर सौर ऊर्जा का हब बनने की दूरी महज कुछ क़दम की है. बस ! ज़रुरत है तो इस अवसर का लाभ उठाने की.उसके लिए व्यापारियों को आगे आना होगा. इससे एक पंथ दो काज हो जाएंगे- व्यापारियों को तो मुनाफा होगा ही, वहीं बीकानेर को भी सौर ऊर्जा का हब बनने में देर नहीं लगेगी.
बीकानेर में क्राइम का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. आलम यह है कि अब तो शहर के अंदरुनी हिस्सों में भी लूट की वारदातें होने लगी हैं. कुछ ऐसा ही वाकया हुआ मंगलवार की रात को. घर जा रहे एक व्यापारी के साथ जो हुआ, वो जानकर आप भी ख़ौफ़ज़दा हो जाएंगे. शातिर लुटेरों के हौसले भी ऐसे, कि सरे बाज़ार उन्होंने कारोबारी से रुपयों से भरा बैग छीन लिया और फारिग हो गए. लोगों ने उन बदमाशों का पीछा भी किया लेकिन वो तब तक भागने में कामयाब हो गए. मामले की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले और लुटेरों की तलाश में जुट गई. मिली जानकारी के मुताबिक मामला शहर के मुकीम बोथरा मोहल्ले का है. घटना रा 8 बजे के आसपास की बताई जा रही है. तब एक व्यापारी फड़ बाज़ार स्थित अपनी दुकान को बंद करके घर लौट रहे थे. तभी मुकीम बोथरा मोहल्ले में 2 बाइक सवार लुटेरों ने इस व्यापारी से 40 हजार रुपयों से भरा बैग लूट लिया। और बड़ा बाजार की तरफ भाग निकले. वहां मौजूद चश्मदीदों ने उनका भुजिया बाजार तक पीछा भी किया, लेकिन तब तक वो बाइक दौड़ाते हुए शहर की तंग गलियों में गुम हो गए. बहरहाल, पुलिस अपनी तफ्तीश में जुटी है. फ़िलहाल फुटेज के आधार लुटेरों की तलाश जारी है. लेकिन यह शहर के बीचोंबीच हुई ये वारदात सवाल खड़े करती है कि अब तो बीकानेर सिटी में भी सरेआम लूटपाट होने लगी. राम जाने ! शहर में बढ़ती क्राइम की वारदतों पर कब अंकुश लगेगा ? शायद पुलिस-प्रशासन इसका कोई जवाब ढूंढ पाये.
बीकानेर की केईएम रोड. या यूं कहें कि शहर की सबसे बिजी रोड, जहां के मैन मार्केट में देर रात एक तेज़ रफ़्तार कार बिजली के खंभे से टकरा गई. यह टक्कर इतनी तेज़ थी कि इस टक्कर से खंभा भी गिर गया. इस हादसे में कार चालक गंभीर रूप से घायल हो गया. जिसे फौरन वहां मौजूद लोगों ने पीबीएम हॉस्पिटल में भर्ती कराया. वहीं जबकि दूसरा व्यक्ति अस्पताल में नहीं है. उसका पता लगाया जा रहा है. *ख़बर खालिस इतनी ही नहीं है. इस हादसे के बाद इस इलाक़े की बत्ती भी गुल हो गई. जिससे इस इलाक़े के बाशिंदों को ख़ासी परेशानियों का सामना करना पड़ा. शिकायतों के बाद मंगलवार सुबह बिजली कंपनी के कर्मचारियों ने नया खंभा लगाकर आपूर्ति को सुचारू किया. *बहरहाल, चश्मदीदों के मुताबिक़ ये हादसा देर रात का है. जब खजांची मार्केट के पास ये कार बेक़ाबू हो गई और सड़क से काफी दूर लगे एक खंभे से टकरा गई. भले ही इस हादसे में इस इलाके की बत्ती गुल हो गई लेकिन गनीमत यह रही कि इस हादसे में कोई बड़ा नुक़सान नहीं हुआ. लेकिन इसे लापरवाही का नाम तो ज़रूर दिया जा सकता है. अब यह सवाल भी तो उठता है कि आखिर यह लापरवाही किसकी थी?
बीकानेर एक छोटा सा शहर है लेकिन इस छोटे शहर की सियासत बहुत बड़ी है. यहां के नुमाइंदे संसद की सीढ़ियां भी चढ़े हैं तो सरकार के कई बड़े ओहदों पर काबिज भी हुए हैं. फिलहाल इस शहर के 3 राजनेता केंद्र और राज्य सरकार के बड़े पदों पर आसीन हैं. जनता उन्हें हाथ जोड़कर 'मंत्रीजी' बुलाती है और 'मंत्री जी' मुस्कुराकर उनका अभिवादन स्वीकार कर लेते हैं. आज का 'विमर्श' लिखने के पीछे एक चिंता है, वो ये कि इतनी ऊंची सियासत वाले इस शहर में दूसरी पंक्ति के नेताओं की साख क्यों नहीं बन रही है? आखिर वो क्या वजहें हैं जिनके चलते बीकानेर में कोई नया नेता स्थापित ही नहीं हो पाता? आइये, आज 'विमर्श' में इसी पर बात करते हैं. *बीकानेर में बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों का बराबर बोलबाला है. जनता बारी-बारी से दोनों राजनीतिक दलों को मौक़ा देती है. लेकिन उन मौक़ों का फायदा सिर्फ स्थापित नेता लोग ही उठाते रहे हैं. दूसरी पंक्ति के नेता फ़क़त मुंह तांकते पिछलग्गू की तरह रह जाते हैं. क्या वजह है? बड़ी साफगोई से कहें तो इन दोनों दलों के स्थापित नेता दूसरी पंक्ति के लोगों को मौका देना ही नहीं चाहते. *आइये, पहले बात करते हैं, कांग्रेस की- बीकानेर शहर की राजनीति में कांग्रेस का कब्जा एक ही हाथों में रहा है. ऐसे में क्या मजाल जो दूसरी पंक्ति का कोई प्रभावशाली नेता पनप जाए. इसका मतलब यह नहीं है कि कांग्रेस में सेंकड लाइन में कोई जिजिविषा वाला नेता नहीं है. मक़सूद अहमद, यशपाल गहलोत, गोपाल गहलोत, गजेंद्र सिंह सांखला, अब्दुल मजीद खोखर, अरविंद मिड्ढा, रिद्धकरन सेठिया जैसे लोग अपने बूते ही तो बने हैं. प्रथम पंक्ति के राजनेता उन्हें मौक़ा देकर तो देखे कभी. महिला कांग्रेस की तो बात ही क्या करें? वो तो गोया सिमट ही गई हो. महिला कार्यकर्ताओं की लंबी फेहरिस्त वाली कांग्रेस में अब शर्मिला पंचारिया, सुनीता गौड़ कांग्रेस की डोर थामे हुए हैं. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालत और भी ख़राब है. सक्रिय लोगों में विमल भाटी, विक्रम स्वामी, बिश्वाराम जैसे गिनती के लोग बचे हैं. अब कोई कैसे राजनीति कर ले? *अब बीजेपी की भी बात कर लेते हैं- देवीसिंह भाटी ने लंबे समय तक बीजेपी की राजनीति की. उन्होंने अपने कार्यकाल में वट वृक्ष बनकर कार्यकर्ताओं की पूरी फौज तैयार की लेकिन अफसोस ! उस फौज से भी कोई सेनापति नहीं बन पाया. सब के सब सैनिक ही बनकर रह गए. दूसरी तरफ गोपाल गहलोत, गुमान सिंह, अखिलेश प्रताप सिंह, सुनील बांठिया शहरी क्षेत्र में और इतने ही लोग उस समय ग्रामीण क्षेत्र में सक्रिय रहे. फिलहाल बीजेपी में सुरेंद्र सिंह राठौड़, विजय आचार्य, भँवर पुरोहित, मोहन सुराणा, महावीर रांका, विजय मोहन, जोशी, सत्य प्रकाश आचार्य, अखिलेश प्रताप, भगवान सिंह मेड़तिया, सुनील बांठिया, विजय उपाध्याय जैसे नेताओं की लंबी लिस्ट है, लेकिन इनमें से भी कोई प्रभावी तौर पर आगे नहीं बढ़ पा रहा है. मैंने बीजेपी के एक नेता से 'सेकंड लाइन लीडर्स' के नाम जानने चाहें तो उन्होंने यह तक कह दिया कि "मुझे वास्तव में कोई गंभीर नाम नज़र नहीं आया. खुद के आंकलन पर हर व्यक्ति ख़ुद को अव्वल समझता है, यह सामान्य मानवीय स्वभाव है. लेकिन इससे गलतफहमी भी पैदा होती है और अहंकार भी. चूंकि मैं जिस राजनीतिक प्रतिबद्धता के साथ राजनीति में आया और मानिक सुराणा जी जैसे प्रखर नेताओं का जो सानिध्य मुझे मिला, उससे लगता है कि यह उन सब पुण्य आत्माओं का प्रभाव रहा कि मैंने 'Pro-People Politics' का रास्ता चुना. हालांकि खुद के बारे में राय बनाना और कह देना बहुत हल्की बात लगती है लेकिन जब मैंने गंभीरता से सोचा तो वास्तव में मुझे पूरे ज़िले में 5 नाम भी ढूंढने बहुत भारी लगे." *राजनेता के इस एक जवाब ने अनेक सवाल खड़े किए हैं. अब इसे राजनीतिक दलों की विडंबना कहा जाए या नई पीढ़ी के लोगों की राजनीतिक प्रतिबद्धता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया जाए? इसे समझना जितना मुश्किल है, उससे भी गंभीर यह मसला है. अरे ! दिल बड़ा कीजिए, ज़रा दूसरों को भी तो आगे आने दीजिए.
बीकानेर में बीजेपी-कांग्रेस के विधायक, सांसद और संगठन से जुड़े नेता अपने चहेतों को पंचायत समिति, जिला परिषद सदस्य, प्रधान और जिला प्रमुख जिताने की जुगत में लगे हैं। साम, दाम, दंड, भेद से चुनाव की रणनीति में जीत हासिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसमें आरोप-प्रत्यारोप का खेल तो है ही, साथ में छल-कपट में भी कमी नहीं है। वैसे तो किसी भी नेता के प्रति जनता का ऐसा पक्का विश्वास नहीं है कि किसी नेताओं की साख और अपील पर कोई प्रत्याशी चुनाव जीत सके। इस चुनाव में समीकरण, दुश्मन का दुश्मन दोस्त, आपसी खुन्नस से अपने ही पार्टी प्रत्याशी को हराने में लगे हैं। *केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के बेटे और खाजूवाला विधायक गोविंद मेघवाल की पत्नी और बेटी की उम्मीदवारी पर सबकी नज़र हैं। हो भी क्यों न? इसके बीकानेर की भावी राजनीति में कई मायने भी हैं। बीकानेर जिले में जिला प्रमुख और प्रधान चुनाव में 5 ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों के बीजेपी और कांग्रेस में किसी नेता की पूरी तरह अपनी ही पार्टी में स्वीकार्यता नहीं है। उच्च शिक्षा मंत्री भँवर सिंह भाटी , देवी सिंह भाटी के साख से नहीं बल्कि प्रत्याशी राजनीतिक समीकरण से चुनावी व्यूह रचना पर काम कर रहे हैं। चाहे रामेश्वर डूडी हो या बिहारी लाल नोखा और पांचू से राजनीतिक प्रतिष्ठा का सवाल बनाकर काम कर रहे हैं। *भाजपा देहात अध्यक्ष तारा चंद सारस्वत की प्रधान सीट के लिए कोई ठोस वजह सामने नहीं आई है। श्रीडूंगरगढ़ में मंगला राम गोदारा व माकपा विधायक गिरधारी लाल महिया एक दूसरे के लिए चुनौती है। लूणकरणसर में सुमित गोदारा और वीरेंद्र बेनीवाल भी अपने जनाधार को बरकरार रखने की मशक्कत में लगे हैं। खाजूवाला में कांग्रेस विधायक गोविंद मेघवाल सामने भाजपा से डॉ. विश्वनाथ औऱ अर्जुन राम मेघवाल एक हैं। जिले में प्रधान की 9 सीटें भाजपा और कांग्रेस में ग्रामीण क्षेत्रों की राजनीति करने वाले नेताओं के प्रभाव से ज्यादा इलाके में जातीय और पार्टी नेताओं बीच आपसी गुटबाज़ी से बने समीकरण ज्यादा निर्णायक लग रहे हैं। अब देखना यह होगा कि बीकानेर में पंचायत चुनावों के आगे नेता कितने टिक पाते हैं?
- हेम शर्मा ख़बर अपडेट, बीकानेर। ज़रुरी नहीं रोशनी चरागों से ही हो, शिक्षा से भी तो घर रोशन होते हैं। यह शे'र सुनने में जितना ख़ूबसूरत लग रहा है, उतने ही बदसूरत राजस्थान में उच्च शिक्षा के हालात हैं। यहां रोशन करने वाली शिक्षा खुद अंधियारे के गर्त में है। विश्वविद्यालय और कॉलेज शिक्षा ढर्रे से उबर नहीं पा रही है। वजह एक नहीं, अनेक हैं। उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी को तो इन वजहों और स्थितियों का कोई भान तक नहीं है। अरे ! राजस्थान की तो छोड़ो बीकानेर के चार विश्वविद्यालय बुरी स्थिति में है। शिक्षा के स्तर से लेकर अकर्मण्यता, स्वार्थ की सियासत और भाई भतीजावाद चरम पर है। कुलपति एमओयू औऱ उदघाटन के प्रचार से कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। *काश ! मंत्री जी आप कभी जान लेते कि इन विश्वविद्यालय के बॉर्ड ऑफ स्टडीज, एकेडमिक कांउसिल और बॉर्ड ऑफ मैनेजमेंट ने बीते 2 सालों में क्या फैसले लिए हैं? इन्हीं से विश्वविद्यालयों में हो रहे कामों की तस्वीर सामने आ जाती। लेकिन विडंबना वाली बात है कि उच्च शिक्षा मंत्री ने इनमें कभी रूचि नहीं दिखाई। यही वजह रही कि राजस्थान में उच्च शिक्षा के गिरते स्तर का इतिहास रचा जा रहा है। *आख़िर क्यों उच्च शिक्षा मुकम्मल होने के बाद विद्यार्थी ठगा सा महसूस करते हैं। और करेंगे ही क्योंकि जो शिक्षा खुद दिशाहीन है, वो भला उन्हें क्या दिशा दिखाएगी? उल्टा उनकी दशा ही बिगाड़ेगी। उच्च शिक्षा मंत्री को उनकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अगर वो उच्च शिक्षा मंत्री होने की जिम्मेदारी महसूस करते हैं तो बॉर्ड ऑफ स्टडीज को क्षेत्रीय उद्योग आधारित पाठ्यक्रम तैयार करने के शिक्षाविदों और विशेषज्ञों के सुझावों पर अमल करने, एकेडेमिक काउंसिल और बोम तय लक्ष्य के लिए काम करें, इन बातों यह निगरानी रखें। *मंत्री जी ! मत भूलिएगा कि फ़क़त दौरों और सियासत से शिक्षा का भला नहीं होने वाला हैं। इससे तो कई विद्यार्थियों का भविष्य ही उजडे़गा। और किसी विद्यार्थी का भविष्य बिगाड़ने का अधिकार किसी को नहीं है। अगर आपसे यह जिम्मेदारी नहीं संभल रही तो इस्तीफ़ा दे दें। यूं किसी का अहित तो मत कीजिए। उच्च शिक्षा ऊंचाई का पर्याय है, इसे गर्त रूपी विलोम मत बनाइये। सरकार को उच्च शिक्षा की दुर्दशा समझने की ज़रुरत है। आप संभालने वालों में से हो, इसे गिरने तो मत दें।
हाल ही बीकानेर प्रशासन ने 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान के तहत मिलावटखोरी की सूचना देने वालो को 51,000 रुपये ईनाम देने का ऐलान किया था। जिसके पीछे मक़सद बताया गया कि आम आदमी भी इस अभियान में हिस्सेदार बनें। लेकिन कहने में कतई गुरेज नहीं है कि ये फ़क़त एक तरह का 'पम्प एंड शो' लगता है। हर कोई जानता है कि बीकानेर में आए दिन मिलावटी मिठाइयां मिल जाती हैं, फिर ये तो त्योहारी सीजन है। हर दूसरे चोराहे पर मिलावटखोर मिल जाएंगे। लेकिन सवाल यह कि पकड़े कौन? किसी अधिकारी के पास 51 हजार ईनाम के नगद है तो आइए बताते हैं- मिलावटी सामान का बाजार। ज्यादा दूर नहीं, फड़ बाज़ार में ही तलाशी लेकर देख लीजिए। वो भी दूर लगे तो अलसुबह गाड़ियों में भरकर बेचे जानी वाली सिंथेटिक दूध की टंकियों की जांच कर लीजिए। हर घर में मिलावटी दूध पहुंचाया जा रहा है सिर्फ दूध ही नहीं घी, तेल वगैरह में भी मिलावट धड़ल्ले से चलती है। वजह यह कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम की पालना करवाने का जिम्मेदार विभाग आंखे मूंदकर बैठा है। *ज़रा निरोगी राजस्थान अभियान के नाम पर मीटिंग और मीडिया के प्रचार से बाहर निकलकर देखिये। तब आपको दूध और मावा तो खानापूर्ति लगेगा। सेहत से व्यापक स्तर पर खिलवाड़ तो मिठाइयों में कृत्रिम रंग, स्वाद के लिए एसेंस से होता मिल जाएगा। इतना भी न हो सके तो अमानक और अपमिश्रित खाद्यान्न तो हर जगह ही मिल जाएगा। घी मिलावटी, तेल मिलावटी, मसाला, आटा, बेसन और भी बहुत कुछ.. आप ही बताइये कि अब बाकी क्या रह गया है? जाइये और जांच करके मीडिया को बताइये कि ये मिलावट आम आदमी के लिए कितनी ख़तरनाक है। सौ बात की एक बात तो यह है कि राज्य सरकार मिलावट रहित खाद्य सामान आम जन तक पहुंचा ही नहीं पा रही है। खाद्य सुरक्षा अधिनियम की पालना करवाना तो दूर की बात रही। खाने-पीने के मिलावटी सामान से बाज़ार भरे पड़े हैं। नकली मिठाइयों से दुकानें सजी हुई हैं। और आप कहते हैं कि "मिलावटख़ोरी की सूचना देने वालों को 51 हजार रुपये का ईनाम?" क्या आपको या विभाग को नहीं मालूम कि मिलावटख़ोरी कहां-कहां होती है? *मेरा सीधा सवाल है कि आप कितनों को 51 हज़ार का ईनाम देंगे? दूसरा सवाल यह भी कि अगर दोगे तो इस आर्थिक मंदी में इतना बजट कहां से लाएंगे? मेरी मानें तो मिलावटी सामान की सूचना देने वालों को ईनाम देने की बजाय, बगैर मिलावटी सामान दिलाने वाले को वो 51 हजार रोकड़ा ईनाम में दे दीजिए। कम से कम त्योहारी सीजन में शुद्ध मिठाई तो मिलेगी। और मेरी सलाह ठीक न लगे तो मिलावट के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करके दिखाइये. असल मायनों में 'शुद्ध के लिए युद्ध' तो वही होगा न?
बीकानेर। त्योहारों का मौसम है। इस मौसम में मुंह मीठा करना तो बनता ही है लेकिन ज़रा संभलकर। क्योंकि हो सकता है आपकी मिठाई में मिलावट का सामान इस्तेमाल किया गया हो। इसलिए ज़रूरी है कि मिठाई खरीदते और खाते वक़्त आप सजग रहें। लेकिन ख़ास बात यह है कि आपसे भी ज्यादा संभलकर रहने की जरूरत है तो मिलावटखोरों को। क्योंकि अगर मिठाइयों में मिलावट मिली तो उनकी खैर नहीं। *दरअसल त्योहारों के सीजन में ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में मिठाइयों में मिलावट का गोरख धंधा ज़ोरों से चलता है। इन मिठाइयों को खाने से आम आदमी की सेहत के साथ खिलवाड़ होता है। बस ! इसी खिलवाड़ को रोकने के लिए प्रशासन ने विशेष रूप से 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान शुरू किया है। जिसमें इसके लिए गठित विशेष दल ने मिठाई की दुकानों और कोल्ड स्टोरेज पर निरीक्षण किया. मोबाइल खाद्य प्रयोगशाला द्वारा मौके पर ही 19 खाद्य नमूनों की जांच की और ताबड़तोड़ कार्रवाई कर सैंपल्स इकट्ठे किए। इस दौरान मौक़े पर ही हजार किलो से ज्यादा ख़राब मावा नष्ट करवाया और दुकानदारों को मिठाइयों की एक्सपायरी डेट अंकित करने की चेतावनी दी। FSSAI एक्ट के अंतर्गत मावा, गुलाब जामुन, जलेबी सहित कई तरह की संदिग्ध पाई गई मिठाइयों के 5 नमूने लिए गए। जिनकी जांच जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला बीकानेर में की जाएगी। वहीं, दूध या दूध से बनी चीजों, तेल, मसाले, आटा, बेसन, सूखा मेवा इत्यादि को लेकर मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अवमानक (सबस्टैण्डर्ड) पाये प्रकरणों पर अधिकतम 5 लाख रूपये और अपमिश्रित पाये गये प्रकरणों में अधिकतम तीन लाख रूपये और असुरक्षित पाये गये प्रकरणों में 6 माह से लेकर आजीवन कारावास एवं दस लाख रूपये के जुर्माना का प्रावधान खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत रखा गया है। *इसके अलावा प्रशासन ने 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान में आम आदमी को भी जोड़ने की कोशिश की है. हानिकारक उत्पाद निर्माण में संलिप्त उत्पादक के विरूद्ध सूचना देने वाले सजग नागरिकों को सूचना सत्यापन व कार्यवाही पश्चात 51 हजार रूपए का पुरस्कार देने का प्रावधान भी राज्य सरकार ने किया है। 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान दीपावली तक चलाया जाएगा।
01 June 2023 06:59 PM
29 May 2023 09:45 AM
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