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1 मार्च 2021 से देश में कोरोना वैक्सीनेशन का दूसरा फेज शुरु हो गया है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार सुबह कोरोना वायरस की वैक्सीन लगवाई। उन्हें दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में पहला डोज दिया गया। पीएम मोदी को भारत बायोटेक की बनाई कोविड वैक्सीन गई है। पीएम मोदी को वैक्सीन सिस्टर पी निवेदा ने लगाई। पीएम मोदी को वैक्सीन लगाने वाली नर्सों को पता नहीं था कि किसी वीवीआईपी या प्रधानमंत्री को टीका लगाना है. इसी को लेकर प्रधानमंत्री ने माहौल को हल्का बनाने के लिए कुछ ऐसी बातें कहीं, कि न केवल माहौल हल्का हो गया बल्कि नर्सों के ऊपर जो तनाव था वो भी काफी हद तक छट गया. उसके बाद पीएम मोदी को सुई लगाई गई. नर्स निवेदा ने बताया कि बताया कि "पीएम मोदी वैक्सीन लगवाते समय काफी सहज थे और हंसी मजाक भी कर रहे थे। उन्होंने हम दोनों नर्सों से पूछा कि हम कहां की रहने वाली हैं। इसके अलावा वैक्सीन लगवाने से पहले उन्होंने कहा कि वैक्सीन के लिए थोड़ी मोटी सूई लगाना क्योंकि हम नेताओं की चमड़ी काफी मोटी होती है।" आपको बता दें कि पीएम मोदी को भारत बायोटेक की कोवैक्सीन लगी है और अब उन्हें 28 दिनों बाद अगली डोज दी जाएगी.पीएम नरेंद्र मोदी को वैक्सीन लगाने वाली नर्स सिस्टर पी निवेदा पुडुचेरी की रहने वाली हैं, जबकि दूसरी नर्स रोसम्मा अनिल केरल से हैं. प्रधानमंत्री को वैक्सीन लगाने वाली निवेदा को ऐन वक्त तक ये नहीं पता था कि पीएम आने वाले हैं और वो पीएम के लिए वैक्सीन की डोज तैयार कर रही हैं.
कोरोना वैक्सीनेशन का दूसरे चरण की शुरुआत. जिसके पहले दिन देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में कोरोना की वैक्सीन लगवाई. लेकिन उनके वैक्सीन लगवाने के इस खास अंदाज़ ने 5 चुनावी राज्यों को साधने का काम किया है. अब आप पूछेंगे कि भला वो कैसे? तो इसका जवाब इस तसवीर में छिपा है. सबसे पहले इस तसवीर को गौर से देखिये. पहनावा बंगाल का, गमछा असम का, नर्स पुडुचेरी और केरल की और स्टाफ तमिलनाडु का. 1 मार्च की अलसुबह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ इस अंदाज में कोरोना की वैक्सीन लगवाई कि पांचों चुनावी राज्यों को ही साध लिया. मोदी के वैक्सीनेशन के लिए ना रूट लगा और ना ही किसी कोई खबर हुई। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुडुचेरी की सिस्टर पी निवेदा से भारत बायोटेक की को-वैक्सीन लगवाई है. वैक्सीन लगवाने के बाद पीएम मोदी ने नर्स पी निवेदा को धन्यवाद देते हुए कहा कि आपने तो ऐसे वैक्सीन लगाई कि पता ही नहीं चला. ठीक उसी तरह पीएम मोदी ने भी इस अंदाज़ में वैक्सीन लगवाई कि 5 चुनावी राज्यों को साध लिया और पता ही नहीं चला. पीएम मोदी के वैक्सीन लगवाने की तसवीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, जिस पर सोशल मीडिया यूजर्स तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. कोई इस फोटो के जरिए वैक्सीन को सेफ एंड सिक्योर बता रहा है तो कोई वैक्सीनेशन के दौरान पीएम मोदी के मास्क न पहनने पर सवाल उठा रहा है. आपको यह भी बता दें कि कोरोना वैक्सीनेशन के पिछले चरण में वैक्सीन लगाने को लेकर लोगों में काफी डर का माहौल भी बना था, ऐसे में कहा जा रहा है कि दूसरे चरण के पहले दिन खुद प्रधानमंत्री ने यह वैक्सीन लगवाकर देश की जनता को एक संदेश देने का काम किया है.
1 मार्च 2021 से देश में कई नियम लागू होने जा रहे हैं, जिनका आपके जीवन पर सीधा असर पड़ेगा. ये बदलाव बैंकिंग, स्वास्थय और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं. ऐसे में आइये जान लेते हैं कि 1 मार्च से किन 5 नियमों में क्या-क्या बदलाव होने वाले हैं. 1. मार्च महीने में 11 दिन बैंक बंद रहेगा मार्च 2021 में कुल 11 दिन बैंकों में छुट्टी रहेगी. इनमें 5 मार्च, 11 मार्च, 22 मार्च, 29 मार्च और 30 मार्च को बैंकों की छूट्टी रहेगी. इसके अलावा 4 इतवार और 2 शनिवार बंदी रहेगी. वहीं बैंकरों ने 15 मार्च से दो दिन की हड़ताल का ऐलान किया है. यानि ये दो दिन और बैंकों में कामकाज नहीं होगा. इसलिए बैंक संबंधी कामों को इन तारीखों में नहीं किया जा सकेगा. 2. कोरोना टीकाकरण का दूसरा चरण 1 मार्च से देश में 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को कोविड का टीका लगने लगेगा. देश के सरकारी अस्पतालों में यह मुफ्त लगेगा. प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीन का पैसा देना होगा. कोरोना से बचाव की वैक्सीन 10 हजार सरकारी केंद्रों और 20 हजार प्राइवेट अस्पतालों में लगेगी. 3. 1 मार्च से बदल जाएंगे सिलेंडर के दाम हर महीने की पहली तारीख को तेल कंपनियां सिलेंडर के दाम तय करती हैं. ऐसे में 1 मार्च से सिलेंडर की कीमतों में बदलाव हो सकता है. हालांकि, फरवरी महीने में कंपनियां तीन बार सिलेंडर के दाम बढ़ा चुकी हैं. 4. 1 मार्च से प्राइमरी स्कूल खुल जाएंगे देश के तीन राज्यों में एक मार्च से स्कूल खुलेंगे. यूपी और बिहार में सभी प्राइमरी स्कूल (कक्षा 1 से 5) 1 मार्च से खुल जाएंगे. वहीं हरियाणा सरकार ने 1 मार्च से ग्रेड 1 और 2 के लिए नियमित कक्षाएं शुरू करने का फैसला किया है. हरियाणा में कक्षा 3 से 5वीं के छात्रों के लिए स्कूल पहले से खुल चुके हैं. 5. 1 मार्च से बैंकिंग क्षेत्र का बदलाव विजया बैंक और देना बैंक के IFSC कोड 1 मार्च 2021 से काम नहीं करेंगे. 1 मार्च से ग्राहकों को नए IFSC कोड का इस्तेमाल करना होगा. बैंक ऑफ बड़ौदा इस बारे में ग्राहकों को पहले ही सूचित कर चुका है.
कुछ दिन पहले देश के मशहूर उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक से भरी गाड़ी खड़ी मिली थी. पुलिस इस मामले की जांच कर ही रही थी कि आतंकी संगठन जैश-उल-हिंद ने इसकी जिम्मेदारी ले ली। आतंकी संगठन ने खुद आगे आकर सोशल मीडिया पर इससे जुड़ी पोस्ट की है। जिसमें संगठन ने जांच एजेंसी को चैलेंज किया है और पैसों की डिमांड करते हुए लिखा कि "यह सिर्फ ट्रेलर है और पिक्चर अभी बाकी है। रोक सको तो रोक लो। तुम कुछ नहीं कर पाए थे, जब हमने तुम्हारी नाक के नीचे दिल्ली में हिट किया था, तुमने मोसाद के साथ हाथ मिलाया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। तुम्हें मालूम है तुम्हें क्या करना है। बस पैसे ट्रांसफर कर दो, जो तुम्हें पहले बोला गया है।" संगठन के इस धमकीभरे दावे की मुंबई पुलिस ने कोई पुष्टि नहीं की। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स में इसे आतंकी संगठन का पब्लिसिटी स्टंट बताया जा रहा है। मामले की छानबीन से जुड़े आतंकवाद निरोधक दस्ते के मुताबिक अब तक की छानबीन में जो सबूत मिले हैं, उससे लगता है कि यह किसी आतंकी संगठन की हरकत नहीं है। वैसे आपको बता दें कि पुलिस ने इस गाड़ी के मालिक का पता लगा लिया है. यह गाड़ी मनसुख हिरेन नाम के शख्स के नाम पर रजिस्टर्ड है। हिरेन के मुताबिक 17 फरवरी की शाम को उनकी गाड़ी खराब हो गई थी. ऐसे में उन्होंने ऐरोली ब्रिज के पास सड़क के किनारे खड़ी कर दी। अगले दिन वे कार लेने गए तो वह नहीं मिली। यह कार चुराने के बाद आरोपियों ने गाड़ी की नंबर प्लेट बदल दी थी और चेसिस नंबर खुरच दिया था। इसके बावजूद पुलिस गाड़ी मालिक की पहचान करने में कामयाब हो गई। इसी गाड़ी से 20 नंबर प्लेट भी मिली थीं। इनके नंबर मुकेश अंबानी के स्टाफ की गाड़ियों के नंबर से मिलते-जुलते हैं। आशंका है कि आरोपी लंबे समय से उनके काफिले का पीछा कर रहे थे।
वर्ष 2020 में कोरोना को लेकर जो माहौल बना हुआ था। देश एक बार फिर उस माहौल की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। पिछले कुछ दिनो से कोरोना वायरस के फैलने की रफ्तार तेज हो गई है। कोरोना मरीजो के आंकड़े रोजाना बढ़ रहे हैं। जिसके चलते केन्द्र सरकार के साथ कई राज्य सरकारें भी सख्ती बरतने के मूड में दिख रही है. ऐसे में हर किसी के दिमाग में एक ही सवाल घूम रहा है कि कहीं लॉकडाउन वापस तो नहीं लगने वाला? स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 16,488 नए मामले सामने आने के बाद कुल पॉजिटिव मामलों की संख्या 1,10,79,979 हो गई है. साथ ही 113 नई मौतों के बाद कुल मौतों की संख्या 1,56,938 हो गई है. देश में सक्रिय मामलों की कुल संख्या अब 1,59,590 है और राहत की बात करे तो अब तक कोरोना मरीजो के डिस्चार्ज की कुल संख्या 1,07,63,451 है. शुक्रवार को कोरोना के 16,577 नए मामले सामने आये. वहीं महाराष्ट्र में लगातार तीसरे दिन कोरोना वायरस संक्रमण के आठ हजार से अधिक मामले सामने आए तथा महामारी से 48 और मरीजों की मौत हो गई. संक्रमण के नए मामलों में से 40 प्रतिशत मामले मुंबई, पुणे, नागपुर और अमरावती के हैं. यहां अब कुल मामले बढ़कर 21,38,154 हो गए. वहीं कोरोना से अब तक 52,041 मरीजों की मौत हो चुकी है. साथ ही अब तक 20,17,303 लोग ठीक हो चुके हैं और अभी 67,608 मरीज ऐसे हैं, जिनका इलाज चल रहा है। विभिन्न राज्यो की ताजा स्थिति देखे तो मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के 332 नए मामले सामने आए हैं। दिल्ली में कोविड-19 के 256 नए मामले सामने आए, जो फरवरी के एक दिन में आए आंकड़ो में सबसे ज्यादा है। साथ ही एक मरीज की मौत भी हुई. राजस्थान में भी कोरोना के 149 नए मामले सामने आ चुके हैं। झारखंड में भी कोरोना की रफ्तार विभिन्न स्थानों पर तेजी पकड़ रही है। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए केन्द्र सरकार सख्त हो चुकी है। सरकार ने विदेशों से आने वाली उड़ानो के प्रतिबंध के आदेश को बढ़ा दिया है। पहले यह पाबंदी 28 फरवरी तक लागू थी। इस प्रतिबंध को 31 मार्च तक के लिए बढ़ा दिया है। हालांकि डीजीसीए ने यह भी कहा कि विशेष परिस्थितियों में चुनिंदा मार्गों पर उड़ानों की छूट दी जा सकती है. वहीं दिल्ली ने देश में बढ़ते कोविड केस के मध्यनजर 5 राज्यों केरल, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब से आने वालो की नेगेटिव पीसीआर रिपोर्ट के आदेश जारी किए थे। अब उत्तर प्रदेश, राजस्थान ने महाराष्ट्र और केरल से आने वाले यात्रियों की कोरोना वायरस की एंटीजन जांच कराए जाने के निर्देश दिए हैं. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि राज्य सरकारें भी सख्ती बरतने के मूड में हैं. कहीं उनकी यह सख्ती फिर से लॉकडाउन लगाने की तरफ न चली जाए.
1 मार्च से कोरोना वैक्सीनेशन का दूसरा फेज शुरु हो रहा है. जिसमें 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों और 45 साल से ज्यादा उम्र के बीमार लोगों को टीका लगाया जाएगा. इससे पहले फर्स्ट फेज में भी बड़ी तादाद में टीकाकरण किया गया था. कुल मिलाकर कोरोना के टीकाकरण की प्रक्रिया तेजी से चल रही है. बावजूद इसके देश के कई राज्यों में कोरोना वायरस की दूसरी लहर आ चुकी है. चिंताजनक बात तो यह है कि जिस महाराष्ट्र और दिल्ली में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों पर कुछ कंट्रोल कर लिया गया था. अब वहां फिर से कोरोना पांव पसारने लगा है. महाराष्ट्र में तो कोरोना फैल ही रहा था. अब देश की राजधानी दिल्ली में भी कोरोना के मामले तेज होने लगे हैं। यहां पिछले तीन दिन से मरीजों की एक्टिव संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। मतलब हर दिन रिकवरी से ज्यादा नए केस सामने आ रहे हैं। आंकड़ों की बात करें तो गुरुवार को दिल्ली में 220 लोग संक्रमित पाए गए और 188 लोग ठीक हुए। इस तरह 32 एक्टिव केस बढ़ गए। अब तक यहां 6 लाख 38 हजार 593 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 6 लाख 26 हजार 519 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 10 हजार 905 मरीजों की मौत हो गई। 1,169 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। वहीं, महाराष्ट्र में 127 दिनों में लगातार दूसरी बार 24 घंटे में 8 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए। आंकड़ों के मुताबिक, बुधवार को यहां 8807 और गुरुवार को 8702 लोग संक्रमित पाए गए। इसके पहले 21 अक्टूबर को 8,142 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। पिछले 24 घंटे में यहां 3,744 लोग ठीक भी हुए और 56 की मौत हो गई। इस तरह से राज्य में अब तक 21 लाख 29 हजार 821 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 20 लाख 12 हजार 367 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 51 हजार 993 मरीजों की मौत हो चुकी है। अब सवाल उठता है कि आखिर कोरोना वायरस के दुबारा तेजी से फैलने की क्या वजहें है? तो आइये, इन पर विस्तार से बात करते हैं- 1. वैक्सीन आने के बाद लोग सामान्य हो गए हैं आप भारत में कोरोना वायरस के शुरुआती दिनों को याद कीजिए, तब लोगों में इस वायरस को लेकर कितनी सावधानी थी, मगर जबसे कोरोना की वैक्सीन आई है, लोगों पहले की तरह सामान्य हो गए हैं. शादियां, पार्टियां, इवेंट्स सब पहले की तरह होने लगे हैं. ये ही बातें अब कोरोना को फिर से पांव पसारने में मदद कर रही हैं. 2. कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग को लेकर सरकारी मशीनरी धीमी कोविड-19 एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेज़ी से फैलता है. इसलिए किसी कोरोना संक्रमित के संपर्क में आने वाले लोगों की ट्रेसिंग बहुत जरूरी है. महामारी के पहले चरण में स्वास्थ्य विभाग ने ज्यादा जोखिम वाले लोगों की आक्रामक तरीक़े से कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की थी. जबकि अब ऐसा नहीं हो रहा है. 3. देश में हो रहे चुनाव भी जिम्मेदार देश में जनवरी के महीने में क़रीब 14 हज़ार से ज्यादा ग्रामपंचायतों में चुनाव हुए थे. जिसमें लोग चुनाव प्रचार और फिर वोट देने के लिए बड़ी संख्या में अपने घरों से निकले थे. आज भी 5 राज्यों में चुनाव की घोषणा हो चुकी है. जिसकी तैयारियां काफी समय से चल रही थीं. देश में हो रहे चुनाव भी कोरोना को फैलाने में जिम्मेदार माने जा रहे हैं. 4. मास्क-सेनेटाइजर की नजरअंदाजगी इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि मास्क-सेनेटाइजर के इस्तेमाल में तेजी से कमी आई है. कोरोना संक्रामक बीमारी है, जिसे रोकने में इन दोनों का इस्तेमाल जरुरी है.लेकिन देश की जनता पहले के मुकाबले इसे केजुअली ले रही है. इसी तरह स्कूल-कॉलेजेज का खुलना, मौसम में बदलाव, गंभीरता की कमी, कोरोना खत्म होने को लेकर ग़लतफहमी जैसी कई वजहें है, जिनके चलते देश के कई राज्यों में कोरोना की दूसरी लहर आ चुकी है. हम सबको यह समझना चाहिए कि कोरोना आज भी उतना ही खतरनाक है, जितना पहले था. इसलिए आज भी दवाई के साथ कड़ाई भी उतनी ही जरुरी है.
भारत का दुश्मन देश चीन, चाइना वॉल को लेकर हमेशा शेखी बघारता रहता हैं, वहीं फ्रांस भी एफिल टॉवर को लेकर इतराता रहता है. लेकिन भारत ने बारी-बारी से इन दोनों देशों के गुरुर को खत्म कर दिया. हमने पहले तो दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाई और अब दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज- चेनाब ब्रिज बनाकर इन दोनों देशों की बोलती ही बंद कर दी है. ये दोनों कीर्तिमान ही ऐसे हैं, जिनसे चीन और फ्रांस भारत से जल-भुन रहे हैं. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को बने तो 2 साल से ज्यादा का वक्त हो गया लेकिन अब दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज बनकर लगभग तैयार है. इस ब्रिज का निर्माण 3 साल पहले शुरु हुआ था. खुद रेलवे मंत्री पीयूष गोयल ने चेनाब नदी पर स्टील के ढांचे पर बने 476 मीटर लंबे इस ब्रिज का फोटो शेयर किया है. उन्होंने ट्वीट में लिखा है- "इन्फ्रास्ट्रक्चर मार्बल इन मेकिंग. भारतीय रेलवे एक और इंजीनियरिंग मील का पत्थर हासिल करने की राह पर है. यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज होगा." इंद्रधनुष के आकार का यह ब्रिज रेलवे के उस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का हिस्सा है जो कश्मीर को शेष भारत से जोड़ेगा. इस ब्रिज के लिए काम नवंबर 2017 में शुरु हुआ था. 1250 करोड़ रुपये की लागत का यह ब्रिज चेनाब नदी के तल से 359 मीटर ऊपर और पेरिस के मशहूर एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा होगा. यही नहीं, यह रेलवे ब्रिज रिक्टर स्केल पर 8 तीव्रता वाले भूकंप और अति तीव्रता के विस्फोट का भी बख़ूबी सामना कर सकेगा. ब्रिज की कुल लंबाई 1315 मीटर होगी. अब आप ही बताइये, जब यह ब्रिज इतनी ख़ूबियों से लबरेज होगा तो चीन और फ्रांस तो जलेंगे ही न ?
आज पूरे देश को एक ख़बर ने चौंका दिया और यह ख़बर यह थी- 7 बार सांसद रहे मोहन डेलकर की मौत की. शुरुआती जानकारी के मुताबिक दादरा और नगर हवेली के लोकसभा सांसद मोहन डेलकर ने मुंबई के होटल में फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली. मुंबई के मरीन ड्राइव इलाके के होटल 'सी ग्रीन व्यू' से उनकी डेड बॉडी मिली थी. जानकारी मिलते ही मुंबई पुलिस मौके पर पहुंच गई. जहां पुलिस को गुजराती में लिखा 6 पन्नों का एक सुसाइड नोट भी मिला है. जिसमें 40 लोगों के नाम लिखे हुए हैं. हालांकि इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि ये 40 नाम किनके हैं. *अब सवाल उठता है कि आखिर मोहन डेलकर ने खुदकुशी क्यों की ? आखिर दादरा और नगर हवेली के सांसद मुंबई में क्या कर रहे थे? क्या होटल में मिला सुसाइड नोट उन्होंने ही लिखा था? *मुंबई पुलिस इन तमाम सवालों के जवाब तलाशने में जुटी है. फिलहाल मौत की वजहों का पता नहीं चल पाया है. पुलिस उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है ताकि मौत के असली कारण का पता लगाया जा सके. साथ ही फॉरेंसिक डिपार्टमेंट उस सुसाइड नोट की भी जांच कर रही है कि ये सुसाइड नोट मोहन डेलकर ने ही लिखा था या किसी और ने? इसके अलावा फॉरेंसिक टीम ने क़रीब 4 घंटे तक तलाशी भी ली, जहां उनका शव बरामद हुआ था. *आपको बता दें कि 58 साल के मोहन डेलकर साल 1989 से दादरा और नगर हवेली लोक सभा क्षेत्र से सांसद थे. वो 7 बार दादरा और नगर हवेली से सांसद चुने गए. उन्होंने वर्ष 2009 में कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन कर ली थी. लेकिन वर्ष 2019 के लोक सभा चुनावों में उन्होंने पार्टी छोड़ दी और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरे और फिर से जीत गए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहचान एक अच्छा वक्ता की रही है. मौक़ा चाहे कोई भी हो, वो जब भी बोलना शुरु करते हैं तो सुनने वाले सुनते ही रह जाते हैं. यहां तक कि कब घंटों निकल जाते हैं, ये पता ही नहीं चलता. यह उनके भाषण देने की कला ही है, जिससे हर कोई मोदी का मुरीद हो जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मोदी के इस जादुई भाषण के पीछे एक डिवाइस का बड़ा रोल है.. इस डिवाइस की वजह से ही मोदी इतना जबरदस्त भाषण दे पाते हैं. आखिर क्या है ये डिवाइस, आइये, आपको तफसील से बताते हैं- इस डिवाइस का नाम है- टेलिप्रॉम्पटर.. आमतौर पर टेलिप्रॉम्पटर डिस्प्ले डिवाइस न्यूज चैनल्स में इस्तेमाल की जाती है. जहां इसे न्यूज एंकर के सामने कैमरे के साथ लगाया जाता है. एंकर इस डिवाइस को रिमोर्ट के जरिए ऑपरेट करता है..इसे प्ले करने पर इसमें इलेक्ट्रॉनिक विजुअल टेक्स्ट स्क्रॉल होते रहते हैं, जिन्हें देखकर एंकर धाराप्रवाह बोलता रहता है. जबकि देखने वालों को ऐसा लगता है कि एंकर बिना देखे बोल रहा है, जबकि उ दर्शकों को सामान्य रूप से पता नहीं चलता है कि वक्ता भाषण पढ़ रहा है या धाराप्रवाह ख़ुद से ही बोल रहा है. इसी डिवाइस का इस्तेमाल पीएम नरेंद्र मोदी अपने भाषणों के दौरान कर रहे हैं. इस टेलिप्रॉम्पटर के जरिए मोदी उस विषय से संबंधित सारी बात एक-एक करके बोलते जाते हैं. जनता को ऐसा लगता है कि मोदी को सब आंकड़ें और बातें जुबानी याद है, जबकि वो तो टेलिप्रॉम्पटर में पढ़कर बोल रहे होते हैं. नीचे क्लिक करके आप इस ख़बर की वीडियो रिपोर्ट भी देख सकते हैं.
देश में पेट्रोल-डीजल की क़ीमतें हर रोज आसमान छू रही हैं। भारत में साधारण पेट्रोल अब 100 रुपये के पार पहुंच चुका है। वहीं राजस्थान के श्रीगंगानगर में पेट्रोल आज 100.13 रुपये प्रति लीटर के भाव पर बिक रहा है। दिल्ली में पेट्रोल 90 रुपये के करीब पहुंच चुका है, जबकि मुंबई में पेट्रोल 96 रुपये हो चुका है। सरकार का दावा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते ऐसा हुआ है। लेकिन ये सच आधा है, इसका आधा सच और भी है, जो आपसे छिपाया जा रहा है। दरअसल सच्चाई तो यह है कि ईंधन की कीमत तब भी महंगी थी जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम थीं। जबकि कीमतें कम होने से भारत में भी पेट्रोल डीजल सस्ता होना चाहिए था। इसके उलट कच्चे तेल की कीमतें कम होने के बाद भी केंद्र और राज्य सरकारों ने ज्यादा टैक्स लगाना शुरू किया। सरकार ने इस अवसर का इस्तेमाल अपना राजस्व बढ़ाने के लिए किया। वहीं अमेरिका, चीन और ब्राजील की बात की जाए तो वहां इस समय लोग पेट्रोल और डीजल पर ठीक एक साल पहले की तुलना में कम कीमत दे रहे हैं। अमेरिका में एक साल पहले के मुकाबले 7.5 प्रतिशत , चीन में 5.5 प्रतिशत और ब्राजील में 20.6 प्रतिशत कम कीमत ग्राहक चुका रहे हैं। जानकारों का कहना है कि पेट्रोल और डीजल के महंगे होने को खाने-पीने की चीजों के सस्ते होने ने बैलेंस कर दिया है। भले ही जनवरी में महंगाई कम रही हो लेकिन महंगा होता ईंधन लोगों को काफी परेशान कर रहा है। जहां शहरों में लोग महंगे होते पेट्रोल डीजल से ज्यादा परेशान हैं वहीं गांवों में सिंचाई के लिए महंगा होता डीजल किसानों को परेशान कर रहा है। कुल मिलाकर कच्चे तेल की क़ीमतें कम होने के बावजूद पेट्रोल और डीजल के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी होती जा रही है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को लोकसभा में कुछ ऐसा किया, जिसके चलते लोकसभा स्पीकर ओम बिरला उनसे नाराज हो गए. हुआ यूं कि लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी अपनी बात रख रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि "मैं बजट पर टिप्पणी नहीं करूंगा और प्रदर्शन के तौर पर बजट पर नहीं बोलूंगा. मैं आज सिर्फ किसान के मुद्दे पर बोलूंगा, जो किसान शहीद हुए हैं उन लोगों को सदन में श्रद्धांजलि नहीं दी गई है. मैं भाषण के बाद दो मिनट के लिए किसानों के लिए मौन रहूंगा. आप मेरे साथ खड़े हो जाइए.' इसके बाद कांग्रेस के सदस्यों ने मौन धारण किया." राहुल गांधी द्वारा मर्यादा तोड़ने के बाद स्पीकर ओम बिरला नाराज हो गए. उन्होंने कहा कि सदन चलाने की जिम्मेदारी मेरी है और अनुमति के बिना ऐसा नहीं होना चाहिए. ओम बिरला ने कहा कि यह नियमों को उल्लंघन है. अगर आप मौन रखवाना चाहते थे तो पहले उनको अनुमति लेनी चाहिए थी. लोकसभा ओम बिरला इस फटकार के बाद राहुल गांधी ने लोकसभा से वॉकआउट कर लिया. इस ख़बर की वीडियो रिपोर्ट नीचे क्लिक करके देख सकते हैं-
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेट टिकैत, जो लंबे समय से किसानों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. ये वही टिकैत हैं, जिन्होंने एक आंसू से आंदोलन में नई जान फूंक दी थी. ये वही टिकैत हैं, जो सड़क पर बैठकर खाना खाते हैं तो सरकार की हालत खस्ता हो जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि खुद को किसान नेता बताने वाले राकेश टिकैत की कमाई कितनी है? जी न्यूज ने राकेश टिकैत की इनकम पर एक चौंकाने वाला बड़ा खुलासा किया है. वैसे किसानों की एक महीने की औसत कमाई 6400 रुपये होती है लेकिन राकेश टिकैत की मंथली इनकम जानकर आप दांतो तले उंगलियां दबा लेंगे. जी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, "राकेश टिकैत की उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली और महाराष्ट्र में संपत्ति हैं. एक आंकड़े और अनुमान के मुताबिक राकेश टिकैत की देश के 13 शहरों में संपत्ति है, जिनमें मुजफ्फरनगर, ललितपुर, झांसी, लखीमपुर खीरी, बिजनौर, बदायूं, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, देहरादून, रूड़की, हरिद्वार और मुंबई शामिल हैं. एक अनुमान के मुताबिक राकेश टिकैत की संपत्ति करीब 80 करोड़ रुपये की है. उनका ज़मीन, पेट्रोल पंप, शोरूम, ईंट-भट्टे समेत और भी कई कारोबार हैं." इस रिपोर्ट में हालांकि जी न्यूज ने यह भी कहा कि "हम ये नहीं कहते कि राकेश टिकैत की संपत्ति अवैध है. वो उनकी मेहनत से बनाई गई संपत्ति हो सकती है, लेकिन क्या किसान आंदोलन का सच यही है कि जो अमीर हैं वो प्रदर्शन कर रहे हैं और जो गरीब किसान हैं वो खेतों में अपना और देश का पेट पालने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं?" खैर, आपको यह भी बता दें कि राकेश टिकैत दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल थे और किसान नेता कहे जाते हैं. टिकैत को एक बेटा और 2 बेटियां हैं. जिनमें छोटी बेटी ज्योति टिकैत ऑस्ट्रेलिया में रहती है. बहरहाल, आपका राकेश टिकैत पर क्या कहना है? अपनी राय हमें कमेंट करके जरूर बताएं. नीचे क्लिक करके इस न्यूज रिपोर्ट का वीडियो भी देख सकते हैं-
उत्तराखंड के चमोली ज़िले में ग्लेश्यिर टूटने से धौलीगंगा नदी में बाढ़ आ गई है. नदी के कई तटबंध टूटने के बाद बाढ़ का अलर्ट जारी किया गया है. इससे ऋषिगंगा प्रोजेक्ट को बड़ा नुकसान पहुँचा है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुताबिक अब तक 7 शव बरामद किए गए हैं जबकि करीब 125 लोग लापता हैं. वहीं एक सुरंग में फंसे 16 लोगों को आईटीबीपी ने ज़िंदा बचा लिया है. रैणी गांव के कम से कम 5 लोगों के मारे जाने की भी अपुष्ट रिपोर्टें हैं. मुख्यमंत्री के मुताबिक रैणी गांव के आसपास के 17 गांवों से सड़क मार्ग से संपर्क कट गया है. ये तो हुई ग्लेशियर से आई तबाही की बात. अब सवाल उठता है कि आखिर चमोली में इस 'ग्लेशियर प्रलय' के पीछे की वजह क्या है? हालांकि फिलवक़्त इस सवाल का जवाब तलाशना बेहद मुश्किल है लेकिन इस पूरी घटना पर एक्सपर्ट की राय से काफी हद तक इसकी वजह के क़रीब पहुंच सकते हैं. *ग्लेशियरों पर शोध करने वाले विशेषज्ञों के मुताबिक हिमालय के इस हिस्से में ही एक हज़ार से अधिक ग्लेशियर हैं.ऐसे में सबसे प्रबल संभावना ये है कि तापमान बढ़ने की वजह से विशाल हिमखंड टूट गए हैं जिसकी वजह से उनसे भारी मात्रा में पानी निकला है. जिससे हिमस्खलन हुआ होगा और चट्टानें और मिट्टी टूटकर नीचे आई होगी.वहीं कुछ विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि हो सकता है कि ग्लेशियर की किसी झील में हिमस्खलन हुआ है जिसकी वजह से भारी मात्रा में पानी नीचे आया हो और बाढ़ आ गई हो. *एक संभावना ये भी है कि हिमस्खलन और भूस्खलन होने की वजह से नदी कुछ समय से जाम हो गई होगी और जलस्तर बढ़ने की वजह से अचानक भारी मात्रा में पानी छूट गया होगा. हिमालय क्षेत्र में भूस्खलन की वजह से नदियों के जाम होने और अस्थायी झीले बनने के कई मामले सामने आए हैं. बाद में ये झीलें मानव बस्तियों, पुलों और हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट जैसे अहम इंफ्रास्ट्रक्चर को बहा ले जाती हैं. वैसे आपको बता दें कि चमोली की धौलीगंगा नदी में ये बाढ़ क्यों आई है इसका पता लगाने के लिए विशेषज्ञों का दल भेजा जा रहा है.
किसान आंदोलन को लेकर अब सेलिब्रिटीज की प्रतिकिया भी सामने आने गयी है. एक और जहाँ सेलिब्रटीज ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रियाओं को साझा कर रहे हैं तो वही नेता ने नामचीन शख्सियतों के रुख पर पलटवार कर रहे है. चलिए बात करते इस खबर की तो कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन के गरमाए पारे के बीच अब बॉलीवुड और खेल से जुड़े सेलेब्रिटीज निशाने पर हैं। आंदोलन को समर्थन दे रहे नेताओं ने सेलेब्स की प्रतिक्रियाओं पर तल्ख़ तेवर दिखा रहे है. कुछ ऐसा ही मामला सामने आया जब राजस्थान के सिरोही विधायक व वरिष्ठ कांग्रेस नेता संयम लोढा ने पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की प्रतिक्रिया पर पलटवार किया। उन्होंने सचिन के एक ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए जवाबी हमला किया. आइये सबसे पहले जानते हैं की सचिन तेंदुलकर ने क्या ट्वीट किया? दरहसल पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने किसान आंदोलन को लेकर पहली बार किये अपने ट्वीट में विरोधियों पर निशाना साधा. तेंदुलकर ने ट्विटर पर लिखा, 'भारत की संप्रभुता से किसी भी तरह से समझौता नहीं किया जा सकता है। बाहरी ताकतें देख सकती हैं, लेकिन इसमें हिस्सा नहीं ले सकती हैं. भारतीय भारत को जानते हैं और भारत को लेकर फैसले ले सकते हैं. एक देश के तौर पर हम एक रहते हैं.' *इसके बाद विधायक व वरिष्ठ कांग्रेस नेता संयम लोढा ने पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की प्रतिक्रिया पर पलटवार किया. उन्होंने सचिन के एक ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए जवाबी हमला किया. लोढा ने अपनी प्रतिक्रिया में लिखा, ‘कभी सरकारी असंवैधानिक कार्यवाही पर नहीं बोले, किसानों की जाने गई पर नहीं बोले, बेहतर होता शांत रहते। करोड़ों लोग जिन्होंने आपको हीरो माना, क्रिकेट के भगवान की उपाधि दी, आज मन से दुखी होंगे कि इस सब के बावजूद आप खुल कर सही के साथ स्वतंत्र रूप से खड़े न हो सके.‘ ... इधर, बॉलीवुड सेलेबस भी निशाने पर पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ही नहीं, राजस्थान के नेताओं ने बॉलीवुड सेलेब्रिटीज की किसान आंदोलन पर आई प्रतिक्रियाओं पर भी जमकर पलटवार किया. किसान नेता हिम्मत सिंह ने एक्टर अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी, अजय देवगन सहित अन्य एक्टर्स की ट्वीट प्रतिक्रियाओं को साझा करते हुए उन्हें निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, ‘किसी रिहाना को हमारे देश के किसानों का दर्द दिख रहा है जिसका भारत से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं जबकि एक हमारे देश के ये ‘स्टार’ हैं जिन्हें सिर्फ लोकतंत्र की हत्या नहीं दिख रही बल्कि प्रोपेगेंडा का खुद हिस्सा बन रहे हैं. शर्मनाक है.‘
किसान आंदोलन के दौरान चर्चा में आये पत्रकार मनदीप पुनिया को आखिरकार रिहा कर ही दिया. अब जेल से बाहर आने के बाद मनदीप का एक बयान सामने आया है.आपको पता हो की किसान आंदोलन को कवर कर रहे स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया को अचानक ही गिरफ्तार कर लिया था. बता दें कि पूनिया के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं–186 (सरकारी कर्मचारी के कामकाज में बाधा डालना), 353 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य पालन से रोकने के लिए उस पर हमला करना या उस पर आपराधिक बल प्रयोग करना) और 332 (सरकारी कर्मचारी को उसकी ड्यूटी से रोकने के लिए उसे स्वैच्छिक रूप से चोट पहुंचाना)— के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. बहरहाल, पत्रकार मनदीप पुनिया दिल्ली की रोहिणी कोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद बुधवार देर रात रिहा हो गए. रिहा होने के बाद मनदीप ने एक मीडिया संस्थान को बताया कि उन्होंने जेल में अपने साथ बंद किसानों से बातचीत के आधार पर जेल में ही पैरों पर कुछ नोट्स लिखे थे. मनदीप ने कहा कि मेरा काम ग्राउंड जीरो (जेल के अंदर) से रिपोर्ट लिखना है. मुझे जेल में बंद किसानों से बात करने का मौका मिला। मैंने उनसे पूछा कि उन्हें आखिर क्यों गिरफ्तार किया गया.” *कोर्ट ने दी थी पुनिया को जमानत दिल्ली की मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सतबीर सिंह लाम्बा ने पुनिया की जमानत मंजूर करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता, पीड़ित और गवाह सिर्फ पुलिसकर्मी ही हैं ,‘‘इसलिए, इस बात की कोई संभावना नहीं है कि आरोपी/प्रार्थी किसी पुलिस अधिकारी को प्रभावित कर सकता है।’’ न्यायाधीश ने आदेश में इस बात का जिक्र किया कि कथित हाथापाई की घटना शाम करीब साढ़े छह बजे की है, जबकि, मौजूदा प्राथमिकी अगले दिन रात करीब एक बज कर 21 मिनट पर दर्ज की गई। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘आरोपी फ्रीलांस पत्रकार है। आरोपी व्यक्ति जांच को प्रभावित नहीं करेगा और आरोपी को न्यायिक हिरासत में रखे जाने से किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी. ’’ उन्होंने कहा कि कानून का यह बखूबी स्थापित विधिक सिद्धांत है कि ‘जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद है.’’ न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसलिए, तथ्यों एवं परिस्थितियों पर, दोनों पक्षों की ओर से पेश गई दलीलों पर और न्यायिक हिरासत में आरोपी को रखने की अवधि पर संपूर्णता से विचार करते हुए वह 25,000 रुपये की जमानत और इतनी ही राशि के मुचलके के साथ जमानत मंजूर करते हैं।’’ अदालत ने पूनिया पर उसकी (अदालत की) पूर्व अनुमति के बिना देश से बाहर नहीं जाने सहित शर्तें भी लगाई. गौरतलब है कि पूनिया को गिरफ्तारी के बाद अदालत ने रविवार को 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
कहते हैं कि सियासत वो शै है, जो भाई-भाई को ही लड़ा देती है. और भाई जब नरेंद्र मोदी हो तो फिर बात ही क्या. जी हां, देश के पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार पर उनके ही भाई प्रह्लाद मोदी ने तीखे सवाल दागे हैं. प्रह्लाद मोदी ने मोदी सरकार से जो पूछा है, वो सुनकर ख़ुद नरेंद्र मोदी भी दंग रह जाएंगे. आखिर क्या है पूरा माजरा? आइये, आपको तफसील से समझाते हैं. दरअसल गुजरात में 21 फ़रवरी और 28 फ़रवरी को स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं. एक ओर जहाँ कांग्रेस पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है, वहीं बीजेपी भी चुनावों को लेकर कमर कस चुकी है. लेकिन गुजरात बीजेपी प्रमुख सीआर पाटिल ने हाल ही में उम्मीदवारों के लिए आवश्यक मानदंडों की घोषणा की है. उन्होंने अपनी घोषणा में कहा कि 60 साल से अधिक आयु के लोगों, नेताओं के रिश्तेदारों और जो लोग पहले से ही कॉर्पोरेशन में तीन कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, उन्हें इस बार टिकट नहीं दिया जाएगा. इस घोषणा के बाद से ही प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ताओं-नेताओं के बीच हलचल का माहौल है. पीएम मोदी के बड़े भाई प्रह्लाद मोदी ने भी इस संबंध में टिप्पणी की है. *प्रह्लाद मोदी ने कहा कि उनकी बेटी सोनल मोदी अहमदाबाद के बोदकदेव से चुनाव लड़ना चाहती थीं. लेकिन तय किए गए मानदंडों के चलते वो चुनाव नहीं लड़ पाएंगी, क्योंकि वो तो सीधे तौर पर पीएम मोदी के परिवार से आती हैं. ऐसे में एक सवाल यह भी उठता है कि पार्टी जो भी नियम बनाती है, वो पूरे भारत में, पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं पर लागू होते हैं. अगर राजनाथ सिंह के बेटे सांसद बन सकते हैं, अगर मध्य प्रदेश के वर्गीस जी के बेटे विधायक हो सकते हैं और अगर गृहमंत्री के बेटे जय, जिनका क्रिकेट में कोई महत्वपूर्ण योगदान नहीं है और ना ही मैंने उनकी इस क्षेत्र में किसी उपलब्धि के ही बारे में पढ़ा है, बावजूद इसके उन्हें क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की ज़िम्मेदारी दी गई है. उनके पास क्या कोई डिग्री है कि वो सरकार के लिए उपयोगी हैं? मुझे समझ नहीं आता कि अमित शाह के बेटे जय शाह को क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की जिम्मेदारी क्यों दी गई है? अगर वो क्रिकेट बोर्ड के सचिव बन सकते हैं तो पार्टी दो सामानांतर तरीक़ों से काम कर रही है. खैर, मेरी बेटी काबिल है, इसलिए उसे संसदीय बोर्ड टिकट देना चाहिए..इसलिए नहीं क्योंकि वो पीएम मोदी की भतीजी है. मुझे और मेरी बेटी को पीएम का रिश्तेदार होने के नाते कोई कृपा नहीं चाहिए. हालांकि प्रह्लाद मोदी के इस बयान पर मोदी सरकार की तरफ से कोई बयान नहीं आया है. वैसे यह पहला मौका नहीं है जब प्रह्लाद मोदी अपने भाई नरेंद्र मोदी के खिलाफ आवाज़ बुलंद की हो.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को आम बजट पेश किया. आपने, हम सबने 2021-22 का बजट भी देख लिया. हर बार की तरह इस बार भी बजट में कई घोषणाएं हुईं लेकिन इसबारग़ी बजट में कुछ ऐसा हुआ है, जो आज़ादी के बाद से आज तक नहीं हुआ था. क्यों सोच में पड़ गए ना? चलिए आपकी उलझन दूर करते हैं और आपको बताते हैं कि इस बार के बजट में क्या कुछ ख़ास था. *दरअसल इस बार के बजट में बरसों से चली आ रही पुरानी परंपरा ख़त्म हो गई. और वो परंपरा था- पेपर वाले बजट की. इस बार जब देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पढा तो उनके पास एक टैबलेट था और उन्होंने इसी टैबलेट से 2021-22 का बजट पढ़ा. ख़ास बात यह रही कि सभी सांसदों को भी बजट उनके मोबाइल पर मिला. आज़ादी के बाद यह पहला मौका था, जब बजट के पेपर प्रिंट नहीं किए गए. इस साल कोरोना के चलते बजट की सॉफ्ट कॉपी साझा की गई. शुक्रवार को सभी सांसदों को इकोनॉमिक सर्वे की भी सॉफ्ट कॉपी दी गई. आपको बता दें कि पहले वित्त मंत्रालय की प्रेस में बजट डॉक्यूमेंट्स प्रिंट होते थे. क़रीब 100 कर्मचारी इससे जुड़े होते थे, जो बजट डॉक्यूमेंट प्रिंट होने, सील होने और बजट के दिन डिलिवर किए जाने तक क़रीब 15 दिन साथ रहते थे। इस दौरान ये लोग घर भी नहीं जा सकते थे। तब इनके पास न तो इंटरनेट की सुविधा होती थी, न ही मोबाइल फोन होता था। वैसे आपको बता दें कि मोदी सरकार के कार्यकाल में यह पहला मौक़ा नहीं है जब बजट की रवायतों में तब्दीलियां की गई हों, इससे पहले भी बजट पेश करने में कई बदलाव किए गए. आइये, जानते हैं कि मोदी सरकार के बीते सालों के बजट के दौरान कब-कब और क्या-क्या बदलाव हुए? साल 2017 में 92 साल में पहली बार रेल बजट पेश नहीं हुआ. साल 2018 में पहली बार देश में बनी चीज़ों के दाम बजट के बाद न ही घटे और न ही बढ़े. साल 2019 में 159 साल पुराने ब्रीफकेस में बजट डॉक्यूमेंट्स ले जाने की परंपरा ख़त्म हुई. साल 2020 में पहली बार दो तरह का टैक्स सिस्टम आया. और साल 2021 के बजट में पहली बार देश के सामने पेपरलेस बजट पेश किया गया. वैसे आपको बता दें कि मोदी सरकार के पेपरलेस बजट की काफी तारीफ़ें भी हो रही है. कई राज्यों की सरकारें अपने बजट को पेपरलेस करने की बात कह रहे हैं. यूपी की योगी सरकार ने तो इसकी तैयारियां भी शुरु कर दी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज मंत्रियों की बैठक बुलाई है. इस बैठक में पेपरलेस कैबिनेट और पेपर लेस गवर्नेंस के लिए ट्रेनिंग होगी. सभी मंत्रियों की ट्रेनिंग आज 5 कालिदास मार्ग में होगी. पेपर लेस केंद्रीय बजट पेश होने के बाद अब योगी सरकार, यूपी के बजट को भी पेपरलेस करने की तैयारी में है.
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने 20 दिसंबर 2020 को भारत बायोटेक की वैक्सीन- 'कोवैक्सीन' के ट्रायल के दौरान कोरोना का टीका लगवाया. अनिल विज को टीका लगवाने के 15 दिन ही बीते थे कि 2 दिसंबर 2020 को वो कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए इस बात की जानकारी उन्होंने खुद अपने ट्विटर अकाउंट से दी है. जैसे ही अनिल विज के कोरोना संक्रमित होने की ख़बर आई, वैसे ही इस वैक्सीन को लेकर सबके जेहन में सवाल उठने लगे कि " वैक्सीन लगाने के बाद भी उन्हें कोरोना कैसे हो गया? क्या भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन असरदार नहीं है? क्या इस वैक्सीन का ट्रायल फेल हो गया?" बहुत सारे यूजर्स ने यही सवाल पूछते हुए वैक्सीन के असर पर सवाल खड़े किए हैं. इन तमाम सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे लेकिन उससे पहले ये जानना जरुरी है कि अनिल विज को वैक्सीन लगने के बाद भी कोरोना कैसे हो गया? *दरअसल अनिल विज को को अंबाला के एक अस्पताल में 20 नवंबर को Covaxin की पहली डोज दी गई थी। Covaxin के फेज 3 ट्रायल प्रोटोकॉल के अनुसार, 0.5mg की दो डोज दी जानी हैं। पहली डोज के बाद दूसरी डोज 28वें दिन लगती है। यानी विज को वैक्सीन की दूसरी डोज अभी तक नहीं दी गई है। जब तक वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लगतीं, कोविड से इम्युनिटी मुश्किल है। विज के संक्रमित होने की यही वजह नजर आती है, हालांकि एक्सपर्ट्स अभी उनकी जांच कर कारण को पिनपॉइंट करेंगे। *अब बात करते हैं लोगों के संशय और सवालों की. देखिये, यह कहना बेहद अभी जल्दबाजी होगी कि यह वैक्सीन असरदार नहीं है. क्योंकि किसी भी वैक्सीन का डोज प्रोटोकॉल पूरा होने के बाद ही, उसके असर के निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। खुद वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक का भी यही कहना है कि "कोवैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल दो डोज शेड्यूल आधारित है जो 28 दिन के अंतराल पर दिए जाते हैं। इस वैक्सीन का प्रभाव दूसरे डोज के 14 दिन बाद पता चलेगा। दोनों खुराक लेने के बाद ही कोवैक्सीन प्रभावी होता है।"* *फिलहाल Covaxin देशभर में करीब 26 हजार वॉलंटियर्स पर फेज 3 ट्रायल से गुजर रही है। दोनों डोज देने के बाद वैक्सीन के असर और सेफ्टी का डेटा कलेक्ट किया जाएगा। फाइजर, मॉडर्ना, ऑक्सफर्ड समेत अभी तक जिन भी वैक्सीन के इम्युनोजेनिसिटी डेटा आए हैं, वह सभी डबल डोज वाली हैं। ऐसे में केवल इस घटना के आधार पर वैक्सीन को खारिज नहीं किया जा सकता। ट्रायल पूरा होने के बाद, जब डेटा आएगा तभी वैक्सीन के असर पर स्पष्ट रूप से कुछ कहा जा सकेगा। असल बात तो यह है कि कोविड वैक्सीन के ट्रायल में शामिल किसी को भी संक्रमण हो सकता है। इसमें हैरान होने वाली कोई बात नहीं है। यह बेहद सामान्य प्रक्रिया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन को ऐसी वैक्सीन को मंजूरी दे रहा है जो 50% भी असरदार हैं। यानी अगर कोई वैक्सीन लगने के बाद आधे से ज्यादा लोगों में भी इम्युनिटी डिवेलप होती है तो वह वैक्सीन सफल है।
"भारत में 'गोमय वसते लक्ष्मी' का रूप साकार होगा। अब गाय के दिन फिरेंगे तो धरती का रूप भी बदल जाएगा। दूध की नदियां बहेंगी। भारतीय ग्रामीण जीवन नई प्रौद्योगिकी के साथ फिर से प्रकृति की तरफ लौटे जागा।" यह कोई कपोल कल्पना नहीं है बल्कि राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का नया भारत है। बेशक इन क़दमों से भारत में फिर से गो आधारित अर्थव्यवस्था, गो आधारित कृषि के दिन दूर नहीं है। क्योंकि इसका ताना-बाना बुन लिया गया है। बस ! देश के किसानों और लोगों का माइंड सेट बदलने की देरी है। *राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डॉ. बल्लभ कथीरिया ने आयोग और बीएआईएस डवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन की वेबिनार में यह कार्य योजना रखी है। जिसमें उन्होंने बताया कि अब डेयरी फार्म का कॉन्सेप्ट बीते जमाने की बात हो जाएगी। दूध से ज्यादा गोबर गोमूत्र की उपयोगिता होगी। गाय का दूध नहीं, गोबर-गोमूत्र मुख्य उत्पाद है। देशभर में गोबर-गोमूत्र से खाद व कीट नियंत्रक बनाने की दिशा में काम करने वाली संस्थाओं को अगले साल तक एक मंच पर लाया जाएगा। देश में 80 प्रतिशत गोबर खाद बनाने में ही प्रयुक्त हो और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बनाने का राष्ट्रीय अभियान चलेगा। जिससे गोबर गोमूत्र से आय होगी। मिट्टी स्वस्थ बनेगी। कृषि उत्पादन रसायन मुक्त हो सकेगा। पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी। गो आधारित कृषि व ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था विकसित हो सकें।। *नीति आयोग ने देश में गो आधारित जैविक कृषि की उपादेयता को हाल ही में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक माना है। अब गो आधारित उद्योगों पर भारत सरकार लोन, सब्सिडी देगी। कॉर्पोरेट लेवल से लेकर छोटे उद्यम लगाए जा सकेंगे। नीति निर्धारक, ब्यूरोक्रेसी, किसान, औऱ संस्थाएं मिलकर काम करेगी। आयोग गोबर-गोमूत्र पर देशभर में काम करने वाली संस्थाओं का राष्ट्रीय मंच बनाएगा। ऐसे में गाय को पालने वाला गोपालक तो समझो मालामाल ही हो जाएगा.
'राजस्थान गो सेवा परिषद' 26-27 दिसम्बर 2020 को 'राष्ट्रीय गो समृद्धि सम्मलेन' कर रही है. ऑनलाइन होने वाले इस राष्ट्रीय सम्मेलन में दोनों दिन 2 सत्र रखे जाएंगे. इस सम्मेलन में देशभर से इस क्षेत्र से जुड़े लोग शिरकत करेंगे. साथ ही देश के हर राज्य के प्रतिनिधि इसमें हिस्सा लेंगे. इसके अलावा राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डॉ. वल्लभ भाई कथीरिया, केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, राजस्थान सरकार के तीनों मंत्री, गोपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. लाल सिंह, राजस्थान पशु चिकित्सा एव पशु विज्ञान विवि के कुलपति डॉ. विष्णु शर्मा, पूर्व कुलपति एवं परिषद के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. ए. के. गहलोत, गो विज्ञान केंद्र के सुनील मानसिंहका, संवित सोमगिरि जी, दिनेश गिरी जी, परिषद की राष्ट्रीय समितियों के अध्यक्ष राजेश डोगरा, अनिल अग्रवाल, डॉ. त्रिभुवन शर्मा समेत कई बड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल होंगे. *'राजस्थान गो सेवा परिषद' के अध्यक्ष हेम शर्मा ने बताया कि "यह राष्ट्रीय सम्मेलन गोबर से खाद व गोमूत्र से कीट नियंत्रक बनाने के विषय पर केंद्रित होगा. जिसमें गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बनाने के विषय पर सुझावों और क्रियान्वयन पर चर्चा की जाएगी. हमने इस सम्मेलन में शिरकत करने वाले प्रबुद्धजनों से गोबर खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रण के उत्पादन और विपणन के लिए सुझाव भी मांगे हैं. यह आग्रह भी किया है कि इस मुद्दे पर कार्य योजना और सुझाव रखने की सूचना संस्था को पहले से दे दें ताकि कार्यक्रम के दौरान रूपरेखा में कोई बदलाव न करना पड़े. हर सहभागी पूर्व सूचना देकर विचार रख सकते हैं. कार्यक्रम की रूपरेखा से जल्द ही सबको अवगत करवा दिया जाएगा." *आपको बता दें कि 'राजस्थान गो सेवा परिषद' पिछले 2 सालों से गाय के इन विषयों पर काम कर रही है. इससे पहले संस्था ने बीकानेर में 'गोबर-गोमूत्र प्रसंस्करण समारोह'. जिसमें राज्य के कोने-कोने से आए गोपालकों को गोबर से जैविक खाद और गोमूत्र से कीटनाशक बनाने की ट्रेनिंग दी गई ताकि वो दूध के अलावा गोबर-गोमूत्र से भी कमाई कर सकें. इसके अलावा संस्था ने गोबर से जैविक खाद और गोमूत्र से कीटनाशक बनाने के कई जिलों में ट्रेनिंग सेंटर्स भी बनवाए हैं.
सर्दी का मौसम शुरु हो चुका है. इसी के साथ भारत में कोरोना संक्रमण के मामले फिर से रफ्तार पकड़ने लगे हैं. कुछ रिपोर्ट्स का भी दावा है कि ठंड के चलते आने वाले दिनों में कोरोना संक्रमितों की संख्या में और इजाफा हो सकता है। देश की राजधानी दिल्ली में अचानक बढ़े कोरोना संक्रमितों के मामले इस दावे पर मुहर भी लगाते हैं. इसी आशंका को देखते हुए कई राज्यों ने अपने बड़े-बड़े शहरों में नाइट कर्फ्यू लगाने की घोषणा कर दी है। वहीं कोरोना की इस दूसरी लहर को देखते हुए देश के कई राज्यों ने प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए हैं. *मध्य प्रदेश के इंदौर, गुजरात के सूरत और राजकोट में 21 नवंबर की रात से नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है। वहीं राजस्थान के 8 शहरों- जयपुर, जोधपुर, कोटा, बीकानेर, उदयपुर, अजमेर, अलवर और भीलवाड़ा में नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है. साथ ही सार्वजनिक जगहों पर मास्क नहीं पहनने पर जुर्माना 200 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया गया है। हालांकि इस दौरान विवाह समारोह में जाने वाले, दवाइयों सहित अति आवश्यक सेवाओं से संबंधित लोगों तथा बस, ट्रेन व हवाई जहाज में सफर करने वालों को आवागमन की छूट होगी। इसी तरह देश के दूसरे राज्यों में कोरोना वायरस के हालात कमोबेश कुछ ऐसे ही हैं. *देश में दीवाली के बाद कोरोना वायरस ने फिर से कोहराम मचाना शुरु कर दिया है. एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि ठंड के मौसम को देखते हुए कोरोना की दूसरी लहर पहली से भी ज्यादा ख़तरनाक हो सकती है. स्थितियां कुछ भी हो सकती हैं. कोरोना के मामलों ने ज्यादा रफ्तार पकड़ी तो सरकार फिर से लॉकडाउन लगाने के बारे में भी सोच सकती है. आपको बता दें कि इसराइल में भी कोरोना ने कुछ ऐसा ही गदर मचाया था. जिसके बाद इस देश ने दोबारा लॉकडाउन की घोषणा की. वहीं दवा कंपनियों का दावा है कि आने वाले 1-2 महीनों में कोरोना की वैक्सीन तैयार हो जाएगी. ऐसे में 'जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं. नहीं तो देश को फिर से लॉकडाउन जैसे हालातों से जूझना पड़ सकता है.
घर सज गए, कार्ड बंट गए, मेहमान-रिश्तेदार भी आ गए लेकिन सरकार के इस फैसले से 3400 लोग कुंवारे ही रह गए आखिर क्यों इस एक शहर में 1700 शादियां होते-होते रह गईं? *जी हां, सही सुना आपने.. सरकार के एक फैसले के चलते 1700 शादियां रुक गई. अब आप सोच रहे होंगे कि भला किसी की शादी से सरकार को क्या एतराज हो सकता है? लेकिन हुआ तो कुछ ऐसा ही है और वो भी एक ही शहर में. आखिर क्या है पूरा माजरा? आइये, इस ख़ास रिपोर्ट में आपको समझाते हैं. *मामला गुजरात के अहमदाबाद शहर का है. जहां कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ते ही जा रहे हैं. जिसके चलते सरकार ने 21 नवंबर की रात 9 बजे से 23 नवंबर की सुबह 6 बजे तक अचानक कर्फ्यू लगा दिया. जिसके चलते जो जहां था, वो वहीं अटक गया. सरकार ने तो अचानक से फैसला ले लिया. लेकिन इस एक फैसले से शहर की 1700 शादियां रुक गईं. क्योंकि 21 और 22 नवंबर को शहर में 1700 शादियां होनी थीं, जो अब रद्द करनी पड़ गईं. *इस फैसले के बाद सरकार पर अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या वो इस फैसले की सूचना पहले नहीं दे सकती थी? क्या वो नहीं जानती कि उसके इस एक फैसले से लाखों-करोड़ों का नुकसान हो जाएगा? क्या सरकार को इस मामले में विचार नहीं करना चाहिए था या फिर गाइडलाइन के तहत रात के 10 या 11 बजे के बाद लॉकडाउन का समय तय नहीं करना चाहिए था? हालांकि, यह माना जा रहा है कि अहमदाबाद में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह सख्ती जरूरी है क्योंकि शादियों में होने वाले बड़े जमावड़े कोरोना के सुपर स्प्रेडर इवेंट बन सकते थे।
2 साल पहले गुजरात में दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति स्टेचू ऑफ़ यूनिटी का लोकार्पण हुआ था. लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की इस मूर्ति की ऊंचाई 182 मीटर थी. जिसके सामने दुनियाकी तमाम मूर्तियां छोटी पड़ गई थीं. लेकिन अब स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का रिकॉर्ड भी जल्द ही टूटने वाला है क्योंकि अब कर्नाटक में स्टेचू ऑफ़ यूनिटी से भी ऊंची मूर्ति- स्टेच्यू ऑफ हनुमान का निर्माण होने जा रहा है. स्टेच्यू ऑफ हनुमान का निर्माण कर्नाटक के किष्किंधा स्थित पम्पापुर में किया जाएगा. जिसे भगवान हनुमान का जन्मस्थल भी माना जाता है. ‘हनुमद जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ के अध्यक्ष स्वामी गोविन्द आनंद सरस्वती ने दुनियाकी सबसे ऊंची हनुमान की मूर्ति बनाने की घोषणा की है. आइये, अब जान लेते हैं कि इस मूर्ति में क्या-क्या खासियतें होंगी? *1. स्टेच्यू ऑफ यूनिटी से भी ऊंची जी हां, जहां स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की ऊंचाई 182 मीटर थी, वहीं दुनिया की सबसे ऊंची हनुमान की मूर्ति की ऊंचाई 215 मीटर होगी. *2. मूर्ति को बनाने में कितने रुपये खर्च होंगे? जहां दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को बनाने में 3000 करोड़ का खर्च आया, वहीं स्टेच्यू ऑफ हनुमान बनाने में 1200 करोड़ रुपए का खर्च आएगा. *3. कहां से आएगा बनाने के लिए रुपये? इस मूर्ति को बनवाने के लिए लोगों से भी दान लिया जाएगा. ट्रस्ट ने बताया कि पूरे देश में लोगों से दान लेने के लिए रथयात्रा भी निकाली जाएगी. इसके साथ ही ‘हनुमद तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ ने अयोध्या के ‘राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ को राम मंदिर के निर्माण के क्रम में एक भव्य रथ का दान देने का भी निर्णय लिया है. इसके अलावा राज्य सरकार भी ट्रस्ट की सहायता करेगी. सरकार के साथ इस निर्माण कार्य का प्रस्ताव भी शेयर किया गया है. *4. मूर्ति को बनाने में किन धातुओं का होगा इस्तेमाल? स्टेच्यू ऑफ हनुमान को बनाने में तांबे के अलावा 4 धातुओं के मिश्रण का इस्तेमाल हुआ है..जिस पर ना तो धूप का असर होगा और ना ही बारिश का. *5. मूर्ति को बनाने में कितना समय लगेगा? जहां स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को बनाने में 4 सालों का समय लगा था. वहीं इस मूर्ति को बनने में क़रीब 6 सालों का समय लग सकता है. ट्रस्ट ने निर्णय लिया है कि अगले 6 वर्षों में इसका निर्माण पूरा कर लिया जाएगा. तो ये थीं स्टेच्यू ऑफ हनुमान की 5 खासियतें. वैसे आपको बता दें कि किष्किंधा रामायण काल का हिस्सा था, जो विंध्य से लेकर दक्षिण भारत तक में फैला हुआ था. तब वहां वानरराज सुग्रीव का शासन हुआ करता था. फ़िलहाल वहां हनुमान जी की एकमात्र प्रतिमा अंजनाद्रि पर्वत पर स्थित है, जहां जाने के लिए श्रद्धालुओं को 550 सीढियां चढ़नी होती है. तब जाकर वो मंदिर तक पहुंचते हैं. स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि वो इस स्थल को और भव्य और सबकी पहुंच में रखते हुए बनाना चाहते हैं, जो हमारी संस्कृति की झलक दिखाये
दिल्ली में कोरोना वायरस के मामले नित नए रिकॉर्ड रच रहे हैं. पिछले 24 घंटे में 7486 नए केस सामने आए हैं. जिनमें 131 लोगों की मौत हो गई. इसी के साथ दिल्ली में एक दिन में होने वाली मौत का रिकॉर्ड टूट गया है. दिल्ली में अब तक क़रीब 8 हजार लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है. *दिल्ली में कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुए सीएम केजरीवाल ने सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें कांग्रेस ने बाजारों को बंद करने का विरोध किया. वहीं भाजपा ने कुप्रबंधन और बेड की संख्या में वृद्धि का मामला उठाया। कांग्रेस ने सार्वजनिक रूप से छठ पर प्रतिबंध नहीं लगाने के लिए दिल्ली सरकार को एक चिट्ठी भी दी है. खैर, दिल्ली सरकार ने 18 दिनों के इंतजार के बाद शादियों में शामिल होने वालों की संख्या पर रोक लगाई है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कोविड -19 स्पाइक से निपटने के दिल्ली सरकार के हालिया उपायों पर फटकार लगाते हुए पूछा, शादियों में लोगों की संख्या को सीमित करने के लिए आपने 18 दिनों तक इंतजार क्यों किया? इस दौरान कोविड -19 से कितनों की जान चली गई. आप नींद से जागकर उठे हैं। जब हमने सवाल किए, तब आप हरकत में आए। *कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने के लिए अर्धसैनिक बलों के 45 डॉक्टर और 160 पैरामेडिक्स दिल्ली पहुंचे हैं। दिल्ली में कोरोनोवायरस के मामलों में वृद्धि जारी है।
रिपब्लिक ग्रुप के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को मुंबई के इंटीरियर डिजाइनर अन्वय और उनकी मां को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में बुधवार को गिरफ्तार किया गया था। अब उनको 18 नवंबर तक ज्यूडिशियल कस्टडी में रखा जाएगा. कोरोना के खतरे को देखते हुए जमानत अर्जी पर फैसले से पहले उन्हें जेल नहीं भेजा गया। पिछली 3 रातों में उन्हें अलीबाग के एक स्कूल में बने कोविड सेंटर में रखा गया था। अर्नब की जमानत याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। अर्नब के वकील ने आज कोर्ट में सप्लीमेंट्री एप्लिकेशन लगाई। इसमें अर्नब गोस्वामी ने ऐसे-ऐसे दावे किए हैं, जिन्हें जानकर आप हक्के-बक्के रह जाएंगे *अर्नब गोस्वामी ने दावा किया है कि "पुलिस ने उन्हें जूते से मारा। यहां तक कि उन्हें पानी तक नहीं पीने दिया। और तो और पुलिस ने गिरफ्तारी के वक्त जूते पहनने तक का समय नहीं दिया। मेरे और मेरे परिवार के सदस्यों के साथ भी पुलिस ने मारपीट की. इसके बाद अर्नब ने अपने हाथ में 6 इंच गहरा घाव होने, रीढ़ की हड्डी और नस में चोट होने का दावा भी किया है। *वहीं दूसरी तरफ अलीबाग पुलिस पत्रकार अर्नब गोस्वामी को पूछताछ के लिए हिरासत में भेजने की मांग कर रही है। जिस पर 9 तारीख को सुनवाई की जाएगी। देखते हैं इस मामले में आगे-आगे और क्या होता है?
हेम शर्मा ख़बर अपडेट, नोएडा। अभी कुछ ही महीनों पहले राजस्थान कांग्रेस में सियासी भूचाल आया था. पूर्व प्रदेशाध्यक्ष 'पायलट' ने ऐसा 'टेक ऑफ' किया मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पसीने छूट गए थे. लेकिन 'जादूगर' भी ठहरे पक्के सियासतदां. ऐसा जादू डाला रे, कि सुरमई है अब उजाला रे. समय बीता और सारे तूफ़ान शांत हो गए. अब बारी आई- नए चक्रव्यूह के रचने की. *'पायलट' की सीट पर गोविंद डोटासरा डट गए हैं. उनके प्रदेशाध्यक्ष बनाने के साथ ही प्रदेश संगठन का रूप बदला-बदला सा नजर आने लगा है. प्रदेश संगठन में आमूलचूल बदलाव के बाद अब संगठन को सशक्त करने की कवायद चल रही है. कांग्रेस ज़िला और ब्लॉक स्तर पर संगठन को सशक्त बनाना चाहती है. स्थानीय जनहित के मुद्दों को संगठन के जरिए चिन्हित करके, काम से पार्टी की नई छवि ईजाद करना चाहती है. मौक़ा अच्छा है, जिसे भून लेने का 'मौक़ा' कोई कांग्रेसी नहीं छोड़ना चाहता. फिर चाहे बात निगम बार्ड की नियुक्तियों की हो या फिर संगठन के पदों की. हर कोई अपना सियासी सिट्टा सेंकने की कोशिशों में लगा है. वफादारी और भीतरघात के खेल का असर सत्ता और संगठन के नए गठन में दिखाई देना लाजमी है. *बस ! थोड़ा सा और इंतेज़ार कीजिएगा. नया साल आते-आते प्रदेश कांग्रेस की सत्ता का रूप बदला हुआ नजर आएगा. मुमकिन है कि प्रदेश संगठन को जिला संगठन से समन्वय, पदाधिकारियों को दिशा निर्देश और पदाधिकारियों को महत्व देकर संगठन को सशक्तिकरण की तरफ ले जा सकता है. हर ज़िले और ब्लॉक में पार्टी के सक्रिय 4-5 युवाओं की पहचान करके संगठन को नई दिशा देने की कवायद संगठन को नया रूप दे सकता है। हर जिले से 4-4 योग्य कार्यकर्ताओं को प्रदेश कार्यालय में बुलाकर पार्टी की नीति और कार्य योजना के प्रशिक्षण से सालभर में हजारों कार्यकर्ताओं की नई टीम तैयार हो सकती है. इस तरह जल्द ही राजस्थान कांग्रेस एक ऐसा चक्रव्यूह तैयार करने की जद्दोजहद में लगी है, जिसे भेद पाना बीजेपी के बूते की बात न हो, शायद. *बहरहाल, अब देखने वाली बात यह होगी कि राजस्थान में कांग्रेस का यह नया अवतार बीजेपी को कितनी टक्कर देगा? क्या कांग्रेस की यह कवायद बीजेपी की देश को कांग्रेस विहीन करने की चुनौती को नेस्तेनाबूत कर देगी? क्या कांग्रेस की यह व्यूह रचना भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय अभियान की मजबूत खंभा ठोक देगी? समय इसका जवाब लेकर आ रहा है.
'ख़बर अपडेट डॉट कॉम' एक स्वच्छंद उड़ान का नाम है. जिसे शुरु करने के पीछे एक टीस भी है, वो यह कि क्यों राष्ट्रीय पत्रकारिता बड़े शहरों के नाम से ही जानी आती है? आख़िर क्यों यह छोटे शहरों से संभव नहीं? मज़ा तो तब आये, जब छोटे शहरों में भी दिल्ली मीडिया जैसा कलेवर हो। वैसा ही ऑडियो-विजुअल, वैसा ही ग्राफिक्स, वैसी ही टेक्निक और वैसा ही नॉलेज। जो ये एहसास कराए कि डिजिटल मीडिया चाहे तो किसी मसले को 7 समंदर पार भी पहुंचा दे । बड़े शहरों से लोग यहां पत्रकारिता करने आएं। बस ! इसी सोच का नाम है- ख़बर अपडेट डॉट कॉम. जो यह मानता है कि बड़ी पत्रकारिता छोटे शहरों से भी की जा सकती है. वो भी 'मन का राजा' बनकर. *ख़बर अपडेट न तो कोई बड़ा मीडिया घराना हैं और न ही बड़े मीडिया हाउसेज जितना समृद्ध-सम्पन्न, लेकिन हां, हमारे पास ऐसे लोग ज़रूर हैं, जो ईमानदारी के साथ पत्रकारिता करते आये हैं। ख़बर अपडेट को देश के स्थापित प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक और डिजिटल मीडिया हाउस के तजुर्बेदार पत्रकारों ने बनाया है. इसमें काम करने वाले मुट्ठीभर लोग अपने काम को बेहद पवित्रता और नयेपन के साथ करने की चाह रखते हैं। हमारे पास ग्राउंड रिपोर्ट्स हैं, सत्य है, निडरता है, वो पत्रकारिता है, जो इसे औरों से विशिष्ट बनाती है। यहां ख़बर मतलब खालिस सियासत नही होगी, बल्कि ख़बर मतलब सामाजिक सरोकार भी होंगे। इसी सोच के साथ हम छोटे शहर से बड़ी पत्रकारिता की शुरुआत करने जा रहे हैं. वो भी नए कलेवर में और लीक से ज़रा हटकर. तभी तो इस वेबसाइट का लॉन्चिंग भी किसी बड़ी शख्सियत से न करवाकर 3 महीने की छोटी बच्ची 'प्रिशा' से करवा रहे हैं। नयेपन का आग़ाज़ यहीं से किया है। *दोस्तों, आपने हमारे YouTube channel- Khabar Update को बाहें फैलाकर प्यार किया है। 3,50,000 Subscribers और करीब 10 करोड़ दर्शकों वाले हमारे चैनल की असली ताक़त- आपका ये भरोसा ही है। जो हमें हौसला देता है कि नामुमकिन नाम की कोई फ़ाख्ता नहीं होती। खैर, हमें इस शहर और सूबे के ज़रिए देश को बहुत कुछ देना है। हमारे सामने पहाड़ सरीखा ऊंचा मकसद है। जिन्हें हम नन्हें क़दमों से मापना शुरू कर रहे हैं। हम जानते हैं कि रास्ते में कांटे भी होंगे, पत्थर भी चुभेंगे, कई बार लड़खड़ाएंगे भी। लेकिन इतना भरोसा ज़रूर है कि आप हमें गिरने नहीं देंगे। हमें थाम लेंगे. इसी उम्मीद के साथ www.khabarupdate.com अब आपका हुआ। ये अब आपको समर्पित... सुमित शर्मा, एडिटर, ख़बर अपडेट
कुछ दिनों पहले भारत में कोरोना वायरस का पीक आकर चला गया. जिसके बाद से कोरोना के मामलों में लगातार गिरावट जारी है. लेकिन इस रिपोर्ट में जो हम आपको बताने जा रहे हैं, वो जानकर आप राहत की सांस लेंगे.तो ख़बर यह है कि कोरोना का ग्राफ इतना गिरने लगा है कि बीते 24 घंटे में होने वाली मौतों के औसत को देखें तो भारत लॉकडाउन से पहले की स्थिति में पहुंच गया है. मायने यह कि बीते 24 घंटे में देश में कोरोना से 500 से भी कम लोगों की मौत हुई है. जो कि अपने आप में बहुत ही राहत देने वाली ख़बर है. मरने वालों का आंकड़ा गिरने के साथ ही कोरोना मरीजों का मृत्यु दर 1.5 प्रतिशत पर आ गया है. जिसे 22 मार्च के बाद से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट कहा जा सकता है. *केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि भारत 22 मार्च की स्थिति से बेहतर स्थिति में पहुंच गया है. यह दावा एक दिन में आए कुल नए केस और मौतों की संख्या के आधार पर किया गया है. इस दावे के मुताबिक बीते 24 घंटों में 45,149 नए मामले सामने आए हैं और 480 कोरोना मरीजों की मौत हुई है. *बहरहाल, आपको यह भी बता दें कि देश में अब तक 79 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. जिनमें 71 लाख से ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं और 1.19 लाख लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि देश में तेजी से कोरोना के मामलों में गिरावट आ रही है.
कोई आपसे कहे कि अब राजस्थान के बीकानेर में आपको नेशनल मीडिया जैसा कलेवर मिलेगा । तो आपका क्या रिएक्शन होगा? ठीक वैसा ही ऑडियो-विजुअल, वैसा ही ग्राफिक्स, वैसी ही टेक्निक और वैसा ही विश्लेषण । जी हां, बीकानेर में कुछ ऐसा ही होने जा रहा है क्योंकि यहां से अब ख़बर अपडेट डिजिटल मीडिया हाउस की शुरुआत हो गई है। विजयादशमी के ख़ास अवसर पर नए ख़बर अपडेट की वेबसाइट की लॉन्च की गई. कलेवर और लीक से हटकर काम करने की सोच रखने वाले 'ख़बर अपडेट डिजिटल मीडिया हाउस' ने 3 महीने की छोटी बच्ची 'प्रिशा शर्मा' से इसकी लॉन्चिंग करवाई है. *ख़बर अपडेट में देश के स्थापित प्रिंट मीडिया हाउस, इलेक्ट्रोनिक और डिजिटल मीडिया हाउस के तजुर्बेदार पत्रकार जुड़े हैं. इसमें काम करने वाले मुट्ठीभर लोग अपने काम को बेहद पवित्रता और नयेपन के साथ करने की चाह रखते हैं। हमारे पास ग्राउंड रिपोर्ट्स हैं, सत्य है, निडरता है, वो पत्रकारिता है, जो इसे औरों से विशिष्ट बनाती है। यहां ख़बर मतलब खालिस सियासत नही होगी, बल्कि ख़बर मतलब सामाजिक सरोकार भी होंगे। *आपको बता दें कि 'ख़बर अपडेट' का हैडक्वार्टर नोएडा में है। इसके यूट्यूब चैनल पर 3,50,000 Subscribers हैं और क़रीब 10 करोड़ दर्शक अब तक इसे देख चुके हैं। इसकी सैकड़ों रिपोर्ट्स को मिलियंस की तादाद में लोगों ने देखा है. यही वजह है कि 'ख़बर अपडेट डिजिटल मीडिया हाउस' अभी से ही कई स्थापित मीडिया हाउसेज को टक्कर दे रहा है। साथ ही इस चैनल को राजस्थान के सबसे तेजी से बढ़ते चैनल होने का गौरव प्राप्त है। इसकी तेजी से बढ़ती लोकप्रियता और सब्सक्राइबर्स के चलते YouTube ने 1 साल पहले इसे Silver Play Button से नवाजा था। आज इसकी वेबसाइट की लॉन्चिंग के साथ ही राजस्थान में डिजिटल मीडिया की एक नई नींव रखी जा चुकी है. आप भी जुड़िये www.khabarupdate.com के साथ।
01 March 2021 06:31 PM
01 March 2021 04:53 PM
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-बाबूलाल नागा
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