सुमित शर्मा, संपादक
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10 December 2020 07:53 PM
ये प्रतीकात्मक तसवीरें संसद की नई इमारत की है, जो साल 2022 तक बनकर तैयार हो जाएगी. जिसे बनाने में क़रीब 1000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. 10 दिसंबर 2020 को पीएम मोदी इसी इमारत का शिलान्यास करेंगे. ये इमारत तो जब बनेगी तब बनेगी. लेकिन इसके निर्माण से पहले ही एक विवाद जुड़ गया है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे प्रोजेक्ट के अप्रूवल के तरीके पर नाराजगी भी जताई है. कितनी हैरान करने वाली बात है कि संसद की नई इमारत के निर्माण पर रोक लेकिन शिलान्यास की इजाज़त दे दी गई है. अब पीएम नरेंद्र मोदी गुरुवार को इस इमारत का शिलान्यास करने जा रहे हैं. आज हम बात करेंगे कि आखिर संसद की नई इमारत की जरुरत क्यों आन पड़ी? सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट क्या है? संसद की नई बिल्डिंग कहां बनेगी और इसका विरोध क्यों हो रहा है? विरोध करने वाले लोगों का क्या तर्क है? सुप्रीम कोर्ट का नई इमारत के निर्माण पर क्या कहना है? नई इमारत बनने के बाद अभी जो संसद भवन है, उसका क्या होगा? बारी-बारी से इन तमाम पहलुओं पर बारीक़ी से बात करेंगे.
आइये, सबसे पहले जानते हैं कि आखिर संसद की नई इमारत क्यों बनाई जा रही है?
नई संसद की रिक्वायरमेंट को समझने के लिए हमें साल 1951 का रुख करना होगा. साल 1951 में जब पहली बार चुनाव हुए थे, तब देश की आबादी 36 करोड़ थी और 489 लोकसभा सीटें थीं। एक सांसद औसतन 7 लाख आबादी को रिप्रजेंट करता था। धीरे-धीरे देश की आबादी बढ़ती गई और आज देश की आबादी 138 करोड़ से ज्यादा है। आज एक सांसद औसतन 25 लाख लोगों को रिप्रजेंट करता है। आर्टिकल-81 के मुताबिक देश में 550 से ज्यादा लोकसभा सीटें नहीं हो सकती हैं। इनमें 530 राज्यों में जबकि 20 केंद्र शासित प्रदेशों में होंगी। फिलहाल देश में 543 लोकसभा सीटें हैं। इनमें 530 राज्यों में और 13 केंद्र शासित प्रदेशों में हैं। लेकिन, देश के आबादी को देखते हुए इसमें भी बदलाव की बात चल रही है। आर्टिकल-81 के मुताबिक हर जनगणना के बाद सीटों का परिसीमन मौजूदा आबादी के हिसाब के करने का भी प्रावधान था। लेकिन, 1971 के बाद से ऐसा नहीं हो पाया. पिछले साल यानी साल सितंबर 2019 में नई संसद बनाने का प्रस्ताव रखा गया था. इसमें 900 से लेकर 1200 सांसदों को बैठने का बंदोबस्त किया गया था. इस साल यानी मार्च 2020 में सरकार ने संसद को बताया कि पुरानी बिल्डिंग ओवर यूटिलाइज्ड हो चुकी है. साथ ही लोकसभा सीटों के नए सिरे से परिसीमन के बाद जो सीटें बढ़ेंगी, उनके सांसदों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह भी नहीं रहेगी. ऐसे में संसद की नई बिल्डिंग बनवानी जरुरी सी मालूम होती है. जिसके बाद इस पर तेजी से काम होना शुरु हो गया और 5 दिसंबर 2020 को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि
"10 दिसंबर को इस नई इमारत की नींव रखेंगे और इसे 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा. इसमें अनुमान के मुताबिक़ क़रीब 971 करोड़ रुपये की लागत आएगी. इस पूरे प्रोजेक्ट का निर्माण क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर होगा. यह मौजूदा संसद भवन से 17,000 वर्ग मीटर अधिक होगा. नई इमारत में लोक सभा कक्ष भूतल में होगा, जिसमें 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी जबकि राज्य सभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी. संयुक्त बैठक के दौरान 1272 सदस्य इसमें बैठ सकेंगे."
अब बात करते हैं कि ये सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट क्या है?
सेंट्रल विस्टा राजपथ के दोनों तरफ के इलाके को कहते हैं. राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के करीब प्रिंसेस पार्क का इलाका इसके अंतर्गत आता है. इसके तहत राष्ट्रपति भवन, संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, उपराष्ट्रपति का घर आता है. साथ ही नेशनल म्यूजियम, नेशनल आर्काइव्ज, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स, उद्योग भवन, बीकानेर हाउस, हैदराबाद हाउस, निर्माण भवन और जवाहर भवन भी सेंट्रल विस्टा का ही हिस्सा हैं. दरअसल, साल 2019 में केंद्र सरकार ने मौजूदा संसद के पास, संसद की एक नई त्रिकोणाकार इमारत बनाने के प्रोजेक्ट का ऐलान किया था. इस तरह इस पूरे इलाके को रिनोवेट करने की योजना को ही सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट नाम दिया गया. जिसका कई लोग विरोध भी कर रहे हैं.
आइये, जानते हैं कि आखिर क्यों लोग इस निर्माण का विरोध क्यों कर रहे हैं?
इस प्रोजेक्ट का विरोध करने वालों में इतिहासकारों से लेकर कई पर्यावरणविद शामिल हैं. उनके विरोध करने की कई वजहें हैं, मसलन-
अब बात करते हैं सुप्रीम कोर्ट का नई इमारत के निर्माण पर क्या कहना है?
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट मामले पर 7 दिसंबर 2020 को ही सुनवाई हुई है. SC ने केंद्र सरकार से कहा कि हमने इस मामले को सूचीबद्ध किया है क्योंकि कुछ डवलपमेंट पब्लिक डोमेन में आया है. ये सही है कि प्रोजेक्ट पर कोई रोक नहीं है. इसका मतलब यह नहीं है कि आप हर चीज के साथ आगे बढ़ सकते हैं. कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा,
"हमें उम्मीद थी कि आप कागजी कार्रवाई आदि के साथ आगे बढ़ेंगे, लेकिन इतनी आक्रामक तरीके से आगे नहीं बढ़ेंगे कि आप निर्माण शुरू कर देंगे. कोई स्टे नहीं है इसका मतलब यह नहीं है कि आप निर्माण शुरू कर सकते हैं. 10 दिसंबर को आप शिलान्यास कार्यक्रम कर सकते है, आप कागजी कार्रवाई कर सकते हैं लेकिन वहां कोई निर्माण कार्य, तोड़फोड़ या पेड़ काटने का काम नहीं होगा.जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर क्लियरेंस नहीं देगी, तब तक सरकार इस मुद्दे पर कोई कदम आगे नहीं बढ़ाएगी."
नई इमारत बनने के बाद अभी जो संसद भवन है, उसका क्या होगा?
ये सवाल बहुत अहम है. दरअसल संसद की मौजूदा इमारत को पुरातत्व धरोहर में बदल दिया जाएगा। इसका इस्तेमाल संसदीय कार्यक्रमों में भी किया जाएगा.
अब एक और सवाल यहां उठता है कि जो अमूमन हर भारतीय का है कि देश कोरोना महामारी से बुरी तरह जूझ रहा है. आम आदमी पैसों की कमी से जूझ रहा है. केंद्र ने राज्यों को जीएसटी के 2.35 लाख करोड़ रुपए नहीं दिए हैं। नौकरियां, इंक्रीमेंट सब टल रहे हैं तो फिर हजारों करोड़ के खर्च वाला नई संसद का निर्माण क्यों नहीं टाला जा रहा? विपक्ष ने कोरोना संकट के बीच खर्चीले सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को रोकने को कह रही है. लेकिन सरकार का इस मसले पर कोई राय नहीं आई है. उनका लक्ष्य है कि अगस्त 2022 यानी 75वें स्वतंत्रता दिवस तक हर हाल में नया संसद भवन बन जाना चाहिए. सरकार ! जनता भी तो अपने सपने, अपने लक्ष्यों की गुहार लगाना चाहती हैl
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